पंजाब कांग्रेस में सियासी घमासान एक बार फिर से छिड़ गया है. पंजाब कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू के आक्रामक तेवर और उनके दो सलाहकारों मालविंदर सिंह और डा. प्यारेलाल गर्ग की विवादित टिप्पणियों के बाद पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कड़ा रुख अख्तियार किया है. कैप्टन ने इन टिप्पणियों पर कड़ी चेतावनी दी है तो सिद्धू ने भी गन्ना किसानों के बहाने बीजेपी शासित राज्यों से गन्ना मूल्य की तुलना कर अमरिंदर सरकार को घेरा है. ऐसे में पंजाब में सिद्धू बनाम कैप्टन के बीच शह-मात का खेल शुरू हो गया है.
पंजाब में छह महीने के बाद होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए कांग्रेस हाईकमान ने मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह और नवजोत सिंह सिद्धू के बीच सुलह-समझौता का फॉर्मूला निकाला. सिद्धू को मर्जी के मुताबिक कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष की कमान सौंप दी गई, लेकिन इसके बाद भी कैप्टन और सिद्धू के बीच राजनीतिक घमासान खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. दोनों नेताओं में जब जिसे मौका मिल रहा है, वो उसे निशाने पर लेने से बाज नहीं आ रहा है.
अपनी टिप्पणियों की वजह से चर्चा में सिद्धू के सलाहकार
पंजाब कांग्रेस कमान मिलते ही नवजोत सिंह सिद्धू ने अपने लिए तीन सलाहकार नियुक्त किए हैं. तीन सलाहकारों में से दो प्रो. प्यारेलाल गर्ग और मालविंदर सिंह माली के द्वारा पिछले तीन-चार दिनों में तरफ से लगातार राष्ट्रीय मुद्दों पर की जा रही सार्वजनिक बयानबाजी और सोशल मीडिया पर विवादित पोस्टों से पंजाब की सियासत में गरमा गई है.
मालविंदर माली द्वारा अपने फेसबुक पेज पर इंदिरा गांधी का विवादित कार्टून लगाने और कश्मीर को लेकर विवादित पोस्ट किया था. उन्होंने कहा था कि कश्मीर अलग देश है और इस पर भारत व पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है. इतना ही नहीं मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह के निजी जीवन के जुड़े फोटो अपलोड करके अभद्र टिप्पणी करने का मामला पार्टी हाईकमान तक पहुंच गया है.
कश्मीर और पाकिस्तान जैसे संवेदनशील राष्ट्रीय मुद्दों पर सिद्धू के सलाहकारों द्वारा की गई बयानबाजी को गंभीरता से लेते हुए पंजाब के मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह ने जमकर लताड़ा. उन्होंने दोनों को ताकीद करते हुए कहा कि उनकी घिनौनी और बुरी टिप्पणियों से राज्य के साथ-साथ देश की अमन-शांति व स्थिरता को भी ख़तरा पैदा हो सकता है.
कैप्टन ने उन्हें हिदायत दी कि वे प्रदेश अध्यक्ष को सलाह देने तक ही सीमित रहें और बेवजह की बयानबाजी न करें. मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा कि कश्मीर भारत का अटूट अंग था और अब भी है. कैप्टन के सुर में सुर मिलाते हुए मनीष तिवारी ने भी सिद्धू के सलाहकारों को लेकर निशाना साधा.
वहीं, नवजोत सिंह सिद्धू ने सोमवार को गन्ना किसानों के बहाने कैप्टन सरकार को कठघरे में खड़ा ही नहीं बल्कि बीजेपी शासित राज्यों से तुलना करके घेरा. सिद्धू पंजाब के रेल ट्रैक पर बैठे गन्ना किसानों का समर्थन खुलकर उतर आए हैं. सिद्धू ने ट्वीट कर कहा कि गन्ना किसानों के मुद्दे को सौहार्दपूर्ण ढंग से तत्काल हल करने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि अजीब बात है कि पंजाब में खेती की आधिक लागत होने के बावजूद राज्य की सुनिश्चित मूल्य हरियाणा/ यूपी/ उत्तराखंड की तुलना में बहुत कम है. कृषि के पथ प्रदर्शक के रूप में पंजाब में एसएपी बेहतर होना चाहिए.
बता दें कि पंजाब में गन्ना किसानों का आंदोलन लगातार बढ़ता ही जा रही है, जिससे कैप्टन सरकार बैकफुट पर है. कृषि कानून के विरोध में उतरकर कैप्टन अमरिंदर सिंह सरकार ने किसानों के बीच जो सियासी आधार बनाया था, वो अब गन्ना किसानों की मांग ने चिंता बढ़ा दी है. गन्ना किसान अपने बकाया भूगतान और गन्ना मूल्य को बढ़ाने की मांग को लेकर पंजाब हाईवे और रेलवे ट्रैक को जाम कर रखा है. गन्ना किसानों, पंजाब सरकार और शुगर मिल मालिकों के बीच रविवार को चंडीगढ़ में हुई बैठक बेनतीजा रही थी.
ऐसे में नन्ना किसानों ने आंदोलन जारी रखने का एलान किया. स्टेट अशोर्ड प्राइस (एसएपी) को लेकर दोनों पक्षों में करीब 90 मिनट चली बैठक में सरकार अपने विशेषज्ञों की ओर से तय गन्ने के लागत मूल्य पर अड़ी रही, जबकि किसान संगठन अपने हिसाब से तय किए लागत मूल्य पर कायम रहे. ऐसे में सिद्धू ने बीजेपी शासित राज्यों के एसएपी से पंजाब की तुलना कर कैप्टन सरकार को घेर दिया है. इससे साफ जाहिर है कि सिद्धू और कैप्टन के बीच शह-मात का खेल अभी भी जारी है और दोनों एक दूसरे को निशाने पर लेने से बाज नहीं आ रहे हैं.