पंजाब विधानसभा चुनाव (Punjab Election 2022) से पहले कांग्रेस में मतभेद बढ़ता ही जा रहा है. कांग्रेस ने जब से उम्मीदवारों की पहली लिस्ट जारी की है, तब से यह असंतोष खुलकर सामने आया है, जो कि आने वाले वक्त में और बढ़ सकता है. एक तरफ सीएम चन्नी के भाई ही पार्टी के खिलाफ खड़े हो रहे हैं, दूसरी तरफ राज्य सरकार में मंत्री के बेटे ने भी ऐसा ही मन बना लिया है. पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चन्नी के बीच भी सबकुछ ठीक नहीं है.
सीएम फेस कौन होगा? इसको लेकर चन्नी और सिद्धू गुट आपस में भिड़ा पड़ा है. पंजाब कांग्रेस का 'बॉस' कौन है यह तो अबतक साफ नहीं है, लेकिन टिकट बंटवारे में सिद्धू गुट भारी रहा. यहां तक सीएम चन्नी अपने भाई डॉक्टर मनोहर सिंह और रिश्तेदार मोहिंदर सिंह केपी को भी टिकट नहीं दिला पाए. इसके पीछे 'एक परिवार, एक टिकट' की दुहाई दी गई है. बता दें कि सीनियर नेता मोहिंदर सिंह केपी को अदमपुर सीट से टिकट नहीं मिली. उनकी जगह बीएसपी से कांग्रेस में आए नेता को उम्मीदवार बनाया गया है.
लेकिन इसका रिएक्शन यह हुआ है कि चन्नी ने भाई उस सीट (बस्सी पठाना विधानसभा) से कांग्रेस प्रत्याशी के खिलाफ निर्दलीय चुनाव लड़ रहे हैं. दूसरी तरफ कैबिनेट मिनिस्टर राणा गुरजीत सिंह के बेटे इंदर प्रताप सिंह को भी पार्टी ने टिकट नहीं दी. उनके बेटे भी सुल्तानपुर लोधी सीट से पार्टी उम्मीदवार के खिलाफ खड़े हो रहे हैं. इस सीट से नवतेज चीमा कांग्रेस के उम्मीदवार हैं, जो कि नवजोत सिंह सिद्धू की पसंद हैं.
पहली लिस्ट में चार विधायकों के टिकट कटे
पार्टी में असंतोष यहीं खत्म नहीं होता. पहली लिस्ट में चार विधायकों के टिकट कट चुके हैं. दर्जनभर विधायकों को आगे यह डर बना हुआ है. पार्टी में सामने आ रहे विवादों पर सीएम चन्नी का भी बयान आया है. उनका मामना है कि बैठकर बात करके इन मुद्दों को हल किया जाएगा. वहीं उपजे विवादों से दूसरे दल फायदा उठाने का मौका तलाश रहे हैं. कांग्रेस से मतभेद रखने वाले इन नेताओं को टिकट तक ऑफर की जा रही है. मोगा से विधायक हरजोत कमल इसका उदाहरण हैं. उनके पार्टी ने टिकट नहीं दी तो उन्होंने बीजेपी ज्वाइन कर ली.