देश के पांच राज्यों में होने वाली आगामी चुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने तारीखों का ऐलान कर दिया है. राजनीतिक विश्लेषकों की मानें तो 2022 के पंजाब विधानसभा चुनावों की वास्तुकला कई कारणों से पिछले चुनावों से पूरी तरह से अलग है, जिसमें बहुकोणीय मुकाबलों के कारण भीड़भाड़ वाली चुनावी जगह भी शामिल है. पिछली बार यह त्रिकोणीय मुकाबला था, लेकिन इस बार यह मुकाबला कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल-भाजपा, आप, भाजपा-पीएलसी-शिअद संयुक्त और संयुक्त समाज मोर्चा और अन्य के नेतृत्व में पांच कोनों से है.
ऐसे में सत्तारूढ़ कांग्रेस, जो कैप्टन अमरिंदर सिंह के साथ 'पंजाब द कैप्टन' के आधार पर 2017 में सत्ता में लौटी, इस बार मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करने से डर रही है. गुटबाजी में डूबी पार्टी को डर है कि मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित करने से राज्य इकाई और बिखर जाएगी. इसीलिए पार्टी आलाकमान ने अब नवजोत सिद्धू, चन्नी और सुनील जाखड़ के सामूहिक नेतृत्व में अपने-अपने समुदायों को ध्यान में रखते हुए विधानसभा चुनाव लड़ने का फैसला किया है.
लेकिन प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू जहां इस मुद्दे पर पार्टी आलाकमान को खुलेआम चुनौती देते रहे हैं, वहीं सीएम चरणजीत चन्नी ने भी चेतावनी दी है कि सीएम चेहरे की घोषणा नहीं करने से पार्टी को भी नुकसान हो सकता है. सिद्धू ने दो दिन पहले कहा था कि पंजाब की जनता ही मुख्यमंत्री बनाएगी. कौन कह रहा है कि आलाकमान मुख्यमंत्री बनाएगा.
वहीं मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी भी सामूहिक नेतृत्व फार्मूले के खिलाफ हैं. उनकी मांग है कि कांग्रेस आलाकमान को मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार की घोषणा करनी चाहिए. चन्नी ने कहा कि जब भी पार्टी ने सीएम उम्मीदवार की घोषणा नहीं की, वह हार गई. इसके अलावा नवजोत सिंह सिद्धू जो यह बताने की कोशिश कर रहे हैं कि उनके पास राज्य की अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने का एक विजन है, वहीं चन्नी की लोकप्रियता का ग्राफ भी लोगों के बीच मुख्यमंत्री के रूप में बढ़ रहा है.
यही नहीं राज्य की तीसरी सबसे बड़ी राजनीतिक पार्टी आम आदमी पार्टी भी अपने मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार को लेकर असमंजस में है. पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल ने अतीत में संकेत दिया था कि जो भी पार्टी का मुख्यमंत्री उम्मीदवार होगा वह सिख होगा. पार्टी अतीत में नवजोत सिंह सिद्धू, किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल, दुबई स्थित होटल व्यवसायी एस पी सिंह ओबेरॉय सहित अन्य कई लोकप्रिय चेहरों पर दांव खेलने को आगे बढ़ रही थी.
ऐसी चर्चा थीं कि आम आदमी पार्टी अंततः भगवंत मान को मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर सकती है, लेकिन इसमें भी हिचकिचाहट जारी है. अरविंद केजरीवाल से इस सप्ताह पार्टी के सीएम चेहरे की घोषणा करने की उम्मीद थी, लेकिन उन्होंने तारीख को अगले सप्ताह तक बढ़ा दिया और अब लोगों से मदद मांग रहे हैं. केजरीवाल ने गुरुवार को कहा, "भगवंत मान पार्टी का बड़ा चेहरा हैं और मेरे बड़े भाई हैं, लेकिन उन्होंने सुझाव दिया है कि हमें जनता की राय लेनी चाहिए."
देखा गया कि भगवंत मान के समर्थकों ने उन्हें मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कराने के लिए एक अभियान भी चलाया था, लेकिन वह व्यक्तिगत रूप से अपनी इच्छा को सार्वजनिक करने से कतराते रहे हैं. इसी बीच भगवंत मान ने गुरुवार को कहा, "मैं मुख्यमंत्री पद की मांग नहीं कर रहा हूं, लेकिन पार्टी द्वारा मुझे जो जिम्मेदारी दी जाएगी, मैं उसे निभाऊंगा."
दिलचस्प बात यह है कि आम आदमी पार्टी ने एक टेलीफोन नंबर लॉन्च किया है जिसके द्वारा लोग 17 जनवरी तक मुख्यमंत्री उम्मीदवार की अपनी पसंद बता सकते हैं. केजरीवाल ने हालांकि स्पष्ट कर दिया है कि वह पंजाब के मुख्यमंत्री की दौड़ में नहीं हैं.
दिलचस्प बात यह है कि पंजाब में एकमात्र राजनीतिक दल जिसने मुख्यमंत्री पद का चेहरा घोषित करने की हिम्मत की है, वह है शिरोमणि अकाली दल. पार्टी ने न केवल अपने चुनाव अभियान की शुरुआत पहले ही कर दी बल्कि घोषणा भी कर दी की उनकी पार्टी की ओर से सुखबीर बादल सीएम फेस के तौर पर चुनावी मैदान में होंगे. वहीं भाजपा, पंजाब लोक कांग्रेस, शिरोमणि अकाली दल संयुक्त गठबंधन ने भी अपने सीएम चेहरे की घोषणा नहीं की है.