Exit Poll Punjab 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव के नतीजे भले ही 10 मार्च को आएंगे, लेकिन यहां किसकी सरकार बनेगी, ये इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में सामने आ चुका है. बता दें कि सूबे में इस बार आम आदमी पार्टी को बहुमत मिलने का अनुमान है. AAP को प्रदेश में 76 से 90 सीटें मिल सकती हैं.जबकि कांग्रेस को 19 से 31 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं भाजपा के खाते में सिर्फ 1-4 सीटें आने का अनुमान है. Exit Poll से जुड़ी सभी लेटेस्ट अपडेट्स aajtak.in पर देखें.
पंजाब विधानसभा में 117 सीटों के लिए 20 फरवरी को पंजाब में वोटिंग हुई थी. लेकिन इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल सामने आ चुका है. इसमें साफ है कि आम आदमी पार्टी इस बार प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. बता दें कि पंजाब में आम आदमी पार्टी को 41 फीसदी यानी 76 से 90 सीटें मिलने का अनुमान है. जबकि कांग्रेस सिर्फ 19 से 31 सीटों पर ही सिमटती नजर आ रही है. वहीं बात करेंग भाजपा की तो सूबे में बीजेपी को महज 1-4 सीटें मिलने की उम्मीद है. वहीं शिरोमणि अकाली दल को 7-11 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं सी-वोटर के एग्जिट पोल की बात करें तो आम आदमी पार्टी को पंजाब में 51-61 सीटें, कांग्रेस को 22-28 सीटें शिरोमणि अकाली दल को 20-26 सीटें और भाजपा को 7-13 सीटें मिलने का अनुमान है.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल आ चुका है. इसमें साफ है कि आम आदमी पार्टी पंजाब में भगवंत मान के नेतृत्व में प्रचंड बहुमत से सरकार बनाने जा रही है. वहीं कांग्रेस के CM पद के उम्मीदवार चरणजीत सिंह चन्नी ने एग्जिट पोल आने के बाद कहा कि अंतिम निर्णय देखने के लिए बक्सों को खुलने दें, इसका इंतजार करें.
आम आदमी पार्टी के नेता राघव चड्ढा ने कहा कि हमारा अंदरूनी आंकड़ा क्या था, इस बारे में हम 10 मार्च को खुलासा करेंगे. साथ ही उन्होंने कहा कि दिल्ली के बाहर के एक और राज्य यानी पंजाब ने केजरीवाल मॉडल ऑफ गवर्नेंस का स्वागत किया है. उन्होंने कहा कि चुनाव कई मुद्दों पर होता है. हमने पंजाब में देखा कि वहां लोगों के मन में बदलाव का मूड था. उन्होंने कहा कि लोगों के मन में ये बात थी कि पंजाब में 26 साल कांग्रेस 24 साल अकाली दल की सरकार देखी. इन 50 साल में इन पार्टियों ने कांग्रेस को लूट लिया.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में बीजेपी को महज 1 से 4 सीटें मिलने का अनुमान है. बता दें कि इस बार विधानसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी की झाड़ू जमकर चली है. इस आम आदमी पार्टी 76 से 90 सीटें तक जीतती हुई नजर आ रही है. एग्जिट पोल के मुताबिक पंजाब में भगवंत मान सरकार बना सकते हैं.
पंजाब में कांग्रेस को 19 से 31 सीटें मिलने का अनुमान है. वहीं बता दें कि इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया के एग्जिट पोल में अकाली दल सिर्फ 7 से 11 सीटों पर सिमटता हुआ नजर आ रहा है.
इंडिया टुडे-एक्सिस माय इंडिया का एग्जिट पोल सामने आ चुका है. बता दें कि इसमें आम आदमी पार्टी को 76 से 90 सीटें मिलने का अनुमान है.
पंजाब में आम आदमी पार्टी को 41 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. वहीं भारतीय जनता पार्टी को महज 7 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है.
पंजाब में इस बार किसकी सरकार बनेगी. इसकी तस्वीर एग्जिट पोल में साफ हो गई है. बता दें कि कांग्रेस को 28 फीसदी वोट मिल रहे हैं.
पंजाब कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष नवजोत सिंह सिद्धू अमृतसर ईस्ट विधानसभा सीट से चुनाव लड़ रहे हैं. बता दें कि उनके खिलाफ अकाली दल के नेता बिक्रमजीत सिंह मजीठिया चुनावी मैदान में हैं.
शिरोमणि अकाली दल के नेता और 5 बार मुख्यमंत्री रह चुके 95 वर्षीय प्रकाश सिंह बादल एक बार फिर चुनावी मैदान में हैं. बता दें कि बादल देश के सबसे बुजुर्ग नेताओं में भी शुमार हैं. बादल के खिलाफ कांग्रेस ने जगपाल सिंह और आम आदमी पार्टी ने गुरमीत खुडि्डयां को चुनाव मैदान में उतारा है. बता दें कि बादल लंबी विधानसभा सीट से मैदान में हैं.
पंजाब में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी, भारतीय जनता पार्टी, शिरोमणि अकाली दल मैदान में हैं. वहीं पूर्वी सीएम कैप्टन अमरिंदर ने पंजाब लोक कांग्रेस पार्टी बनाकर भाजपा के साथ चुनाव लड़ने का फैसला किया था. वहीं किसानों की पार्टी संयुक्त समाज मोर्चा से बलबीर सिंह राजेवाल चुनावी रण में हैं.
पंजाब में कांग्रेस के सीएम पद के कैंडिडेट चरणजीत सिंह चन्नी ने इस बार दो जगह से चुनाव लड़ा था. बता दें कि चन्नी ने चमकौर साहिब और भदौर से चुनाव लड़ा है.
117 विधानसभा सीटों वाले पंजाब में चुनाव के नतीजे 10 मार्च को आएंगे. लेकिन Aajtak.in पर थोड़ी देर बाद आप सबसे सटीक एग्जिट पोल देख सकेंगे. बता दें कि इस बार पंजाब में 71.95 फीसदी वोटिंग हुई थी.
पिछले विधानसभा में कांग्रेस ने 77 सीटों पर परचम फहराया था. बता दें कि कांग्रेस ने पिछली बार 10 साल तक सत्ता से दूर रहने के बाद कुर्सी हासिल की थी. वहीं आम आदमी पार्टी ने 22 सीटों पर कब्जा किया था. बता दें कि शिरोमणि अकाली दल सिर्फ 15 सीटों पर ही सिमट गई थी. जबकि भाजपा के साथ गठबंधन में चुनाव लड़ी भाजपा को सिर्फ तीन सीटों पर ही संतोष करना पड़ा था.
पंजाब में 117 सीटों पर विधानसभा चुनाव के लिए लोगों ने वोटिंग की थी. इस बार कांग्रेस ने जहां 111 दिन तक सूबे में सीएम की कुर्सी संभालने वाले चरणजीत सिंह चन्नी पर दांव लगाया है. वहीं आम आदमी पार्टी से भगवंत मान की प्रतिष्ठा दांव पर लगी हुई है. उधर, करीब साढ़े चार साल तक प्रदेश में सीएम रहे कैप्टन अमरिंदर सिंह ने कांग्रेस से अलग होकर नई पार्टी बना ली. वह भी चुनावी रण में हुंकार भर रहे हैं.
पंजाब में 20 फरवरी को वोटिंग हुई थी. 117 विधानसभा सीटों के लिए कुल 24740 मतदान केंद्र बनाए गए थे. पंजाब में स्थिति थोड़ी और बेहतर दिखी जब मतदान प्रतिशत का ग्राफ 65.32 फीसदी तक पहुंचा. इस बार राज्य में महिला मतदाताओं के लिए 196 स्पेशल बूथ बनाए गए थे. वहां सबसे ज्यादा वोट पड़े यानी रिकॉर्ड वोटिंग हुई.
पंजाब विधानसभा का कार्यकाल 27 मार्च 2022 को खत्म हो रहा है. 117 सीटों वाले पंजाब में 2017 के विधानसभा चुनाव में कांग्रेस 77 सीटें जीतकर 10 साल बाद सत्ता में लौटी थी. जबकि शिरोमणि अकाली दल-बीजेपी गठबंधन केवल 18 सीटों तक सिमट गया. आम आदमी पार्टी 20 सीट जीतकर मुख्य विपक्षी दल बनी. कैप्टन अमरिंदर सिंह मुख्यमंत्री बने, लेकिन चार साल के बाद कांग्रेस ने कैप्टन अमरिंदर को हटाकर चरणजीत सिंह चन्नी को मुख्यमंत्री बना दिया. पंजाब में सरकार बनाने के लिए किसी भी दल या गठबंधन को 59 सीटों का आंकड़ा हासिल करना होगा.
इस बार 5 राज्यों के चुनावों के लिए चुनाव आयोग ने एग्जिट पोल की गाइडलाइंस जारी की थी. इसमें 10 फरवरी की सुबह 7 बजे से लेकर 7 मार्च की शाम 6:30 बजे तक एग्जिट पोल के नतीजे दिखाने पर रोक है. चुनाव आयोग की ये गाइडलाइंस न सिर्फ टीवी चैनल या मीडिया बल्कि आम लोगों पर भी लागू होती है.
कानून के तहत अगर कोई भी चुनाव प्रक्रिया के दौरान एग्जिट पोल या चुनाव से जुड़ा कोई भी सर्वे दिखाता है या चुनाव आयोग की गाइडलाइंस का उल्लंघन करता है तो उसे 2 साल तक की कैद या जुर्माना या फिर दोनों की सजा हो सकती है.
एग्जिट पोल को लेकर भारत में पहली बार 1998 में गाइडलाइंस जारी हुई थीं. चुनाव आयोग ने आर्टिकल 324 के तहत 14 फरवरी 1998 की शाम 5 बजे से 7 मार्च 1998 की शाम 5 बजे तक एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल के नतीजों को टीवी और अखबारों में छापने या दिखाने पर रोक लगा दी थी. 1998 के आम चुनाव का पहला चरण 16 फरवरी को और आखिरी चरण 7 मार्च को हुआ था.
इसके बाद समय-समय पर चुनाव आयोग एग्जिट पोल और ओपिनियन पोल को लेकर गाइडलाइंस जारी करता है. रिप्रेजेंटेशन ऑफ पीपुल्स एक्ट 1951 के मुताबिक, जब तक सारे फेज की वोटिंग खत्म नहीं हो जाती, तब तक एग्जिट पोल नहीं दिखाए जा सकते. आखिरी चरण की वोटिंग खत्म होने के आधे घंटे बाद एग्जिट पोल के नतीजे दिखाए जा सकते हैं.
मतदान के बाद हर सियासी दल अपनी-अपनी जीत के दावे कर रहा है, लेकिन 2017 की तुलना में अबकी बार पिछले चुनाव की तुलना में आठ फीसदी कम मतदान हुआ. बता दें कि 2017 में जहां 77.40 फीसदी मतदान हुआ था वहीं इस दफे 70 फीसदी मतदाता ही मतदान केंद्रों तक पहुंचे.