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पंजाब: किसानों ने CM चन्नी के खिलाफ खोल दिया मोर्चा, कांग्रेस को वादा याद दिला रहे किसान

किसान संगठनों ने अब पंजाब की चन्नी सरकार को उन्हीं के वादों की याद दिला रही है, जिन्हें आंदोलन के दौरान पंजाब सरकार ने कर रखा था. किसान संगठन किसानों की कर्जमाफी, आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी जैसे वादों को याद दिला रहे हैं.

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पंजाब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी
पंजाब मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • किसान संगठन पंजाब सरकार को लेकर नाराज
  • चुनाव से पहले किसान वादों को पूरा कराने में जुटे
  • 2017 चुनाव के वादे 2022 में गले की फांस बने

केंद्र सरकार से कृषि कानूनों को वापस करवाने के बाद दिल्ली की सीमाओं से पंजाब लौटे किसानों ने राज्य की चन्नी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल दिया है. किसान संगठन अब चन्नी सरकार को उन्हीं के वादों की याद दिला रहे हैं, जो पंजाब सरकार ने आंदोलन के दौरान किया था. किसान संगठन कर्जमाफी, आंदोलन के दौरान मरने वाले किसानों के परिवारों को मुआवजा और नौकरी देने जैसे वायदों की याद चन्नी सरकार को दिला रहे हैं.

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दरअसल, पंजाब सरकार ने कृषि कानून के खिलाफ आंदोलन के दौरान किसान का समर्थन करके उन्हें लुभाने की हरंसभव कोशिश की थी. इतना ही 2017 के चुनाव में किसानों से किए गए वादों को पूरा करने की मांग  किसान संगठनों ने शुरू कर दी है. किसान संगठनों ने चन्नी सरकार पर किसान कर्जमाफी, बेरोजगारों को मासिक वजीफा, मृतक किसान के आश्रितों को मुआवजा और हर घर को नौकरी देने के वादे को पूरा करने के लिए सरकार पर दबाव बनाना शुरू कर दिया है. 

किसानों से जुड़े तमाम मुद्दों को लेकर किसान संगठनों के साथ मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी की 17 दिंसबर को बैठक तय थी. लेकिन, मुख्यमंत्री चन्नी ने यह बैठक 17 दिंसबर से टाल 20 दिसबंर को कर दी है. सीएम चन्नी ने मंगलवार को कहा,'कुछ किसान नेताओं ने सूचित किया है कि वे दरबार साहिब (स्वर्ण मंदिर परिसर) में मत्था टेकना चाहते हैं, इसलिए हमें बैठक को अगली तारीख को करना होगा.'

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सीएम के साथ बैठक के स्थगित होने से किसान संगठन के नेता नाराज हो गए हैं, जिन्हें अब पंजाब सरकार पर शंका हो रही है. किसान नेता बलबीर राजेवाल ने इस बैठक का बहिष्कार करने की धमकी दी है. किसान नेता बलबीर सिंह राजेवाल ने कहा कि उन्हें 17 दिसंबर को मुख्यमंत्री की बैठक का निमंत्रण मिला है. हम सभी सहमत होकर 17 दिसंबर के लिए सीएम के साथ बैठक की योजना बनाई थी, लेकिन अब सरकार इसे टाल मटोल कर रही है. 

बलबीर राजेवाल ने कहा कि सरकार चुनाव आचार संहिता लगने की प्रतीक्षा कर रही है, क्योंकि उनके हाथ खाली है. सरकार हमें मूर्ख बनाने की कोशिश कर रही है. इसलिए हमने फैसला किया है कि अब सीएम के साथ होने वाली बैठक में शामिल नहीं होंगे. 

राजेवाल अकेले किसान नेता नहीं हैं जिन्होंने पंजाब सरकार के ढुलमुल रवैये पर चिंता जताया है. किसान नेता जोगिंदर सिंह उगराहन पहले ही कह चुके हैं कि पंजाब सरकार के साथ किसान संगठन हिसाब बराबर करेगा. जोगिंदर सिंह उगराहन ने कहा कि पंजाब सरकार किसानों को बेवकूफ नहीं बना सकती. यह लोगों के प्रति जवाबदेह है और इसे किए गए वादों को पूरा करना होगा. 

दरअसल, पंजाब सरकार के किसानों के साथ 17 दिसंबर को होने वाली बैठक को स्थगित करने के फैसले को कर्जमाफी पर बातचीत से बचने के प्रयास के रूप में देखा जा रहा है, क्योंकि पंजाब सरकार का खजाना पूरी तरह से खाली हैं. माना जा रहा है कि पंजाब सरकार बातचीत में देरी करना चाहती है, क्योंकि चुनावी आचार संहिता लगने के बाद सरकार के पास एक मजबूत बहाना होगा टालने का. 

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किसान संगठनों को पता है कि उनसे किए गए वादे पूरे नहीं होने हैं. किसानों का कहना है कि कांग्रेस ने किसानों से वोट लेने के लिए झूठे वादे किए थे. इसके साथ ही किसानों ने सरकार पर वादाखिलाफी का आरोप भी लगाया है. वहीं, चरणजीत चन्नी, नवजोत सिद्धू, सुखजिंदर सिंह रंधावा और अन्य कांग्रेसी नेताओं ने साढ़े चार साल के दौरान पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह की निष्क्रियता के लिए सवाल खड़े किए थे. लेकिन, अब किसानों के रुख से साफ है कि किसान 2022 विधानसभा चुनाव में अपना हिसाब कांग्रेस सरकार के बराबर करना चाहता है.

 

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