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पंजाब: दोबारा चुनाव लड़ रहे 77% उम्मीदवारों की प्रॉपर्टी 3 हजार फीसदी बढ़ी, सुखबीर सिंह बादल टॉप पर

ये जानकारी उम्मीदवारों द्वारा दाखिल किए गए हलफनामे से ली गई है. एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और पंजाब इलेक्शन वॉच ने 2017 में विधायक बनने के बाद अब दूसरी बार नामांकन करने वाले उम्मीदवारों के बारे में रिसर्च की है.

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सांकेतिक तस्वीर
सांकेतिक तस्वीर
स्टोरी हाइलाइट्स
  • सुखबीर बादल की प्रॉपर्टी 102 से 202 करोड़ हुई
  • आप के अमन अरोड़ा की संपत्ति 65 से 95 करोड़ हुई

पंजाब में होने जा रहे विधानसभा चुनाव में दूसरी बार मैदान में उतरने वाले 101 उम्मीदवारों में 77 फीसदी की प्रॉपर्टी तीन हजार फीसदी तक बढ़ गई है. वहीं, 2017 में चुनाव लड़ चुके 21 फीसदी की प्रत्याशी ऐसे भी हैं, जिसने संपत्ति पिछले चुनाव के मुकाबले घट गई है. प्रॉपर्टी बढ़ने के मामले में 100 करोड़ रुपए के साथ सुखबीर सिंह बादल नंबर वन पर हैं. सुखबीर सिंह बादल 2017 में 102 करोड़ की प्रॉपर्टी के मालिक थे. यह 5 साल में बढ़कर 202 करोड़ रुपए हो गई है.

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कांग्रेस के मनप्रीत सिंह बादल की संपत्ति में 32 करोड़ रुपए का इजाफा हुआ है. इनकी संपत्ति 2017 में 40 करोड़ रुपए थी, जो अब बढ़कर 72 करोड़ रुपए हो गई है. आम आदमी पार्टी के अमन अरोड़ा भी इसमें पीछे नहीं हैं. उनकी प्रॉपर्टी 2017 में 65 करोड़ थी, जो अब 30 फीसदी बढ़कर 95 करोड़ रुपए हो गई है. यानी अमने अरोड़ा की संपत्ति एक अरब से सिर्फ पांच करोड़ कम है. 

हलफनामे के आधार पर की गई रिसर्च

एसोसिएशन फॉर डेमोक्रेटिक रिफॉर्म्स और पंजाब इलेक्शन वॉच ने 2017 में विधायक बनने के बाद अब दूसरी बार नामांकन करने वाले उम्मीदवारों के बारे में रिसर्च की है. नामांकन के साथ दाखिल हलफनामे के जरिए अपनी संपत्ति यानी धन दौलत और अपराधिक रिकॉर्ड की जानकारी साझा करने वाले उम्मीदवारों के बारे में जानकारी इकट्ठा की है. रिपोर्ट के मुताबिक दूसरी बार चुनाव मैदान में उतरे 78 उम्मीदवारों की संपत्ति 2 से लेकर 2954 फीसदी तक बढ़ी है. जबकि 21 विधायकों की संपदा 2 से 74 फीसदी तक घटी है. पिछले विधान सभ चुनाव के दौरान इन विधायकों/उम्मीदवारों की औसत संपत्ति 13.74 करोड़ थी, जो बढ़कर 16.10 करोड़ रुपए हो गई है. यानी 5 सालों में 21 फीसदी और 2.76 करोड़ रुपए की दर से ये इजाफा हुआ है.

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पंजाब में 20 फरवरी को मतदान

पंजाब में पहले 14 फरवरी को चुनाव की तारीख तय की गई थी, लेकिन संत रविदास जयंती को देखते हुए तकरीबन सभी दलों ने चुनाव की तारीखें आगे बढ़ाने की मांग की. इसके बाद चुनाव आयोग ने तारीख बदलकर 20 फरवरी 2022 कर दी.

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