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न सिद्धू की शर्तें चलीं, न आलाकमान ने भाव दिया... पंजाब में अब भी फंसा है पेच

कांग्रेस हाईकमान ने इस बार नवजोत सिंह सिद्धू के प्रेशर पॉलिटिक्स को भाव नहीं दिया. न तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने खुद सिद्धू से कोई बात की और न ही दिल्ली से किसी को मनाने के लिए भेजा. सिद्धू के साथ डील करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से सूबे के सीएम चन्नी पर छोड़ दिया गया था. चन्नी ने सिद्धू से मुलाकात कर सुलह का रास्ता निकाला और इस्तीफे के 56 घंटे बाद सिद्धू का गुस्सा काफूर हो गया? 

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नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी
नवजोत सिंह सिद्धू और सीएम चरणजीत सिंह चन्नी
स्टोरी हाइलाइट्स
  • पंजाब में सिद्धू को मनाने की जिम्मेदारी चन्नी पर
  • सिद्धू को भाव देने के मूड में नहीं कांग्रेस हाईकमान
  • पीसीसी से इस्तीफे के 56 घंटे बाद सिद्धू के तेवर नरम

पंजाब कांग्रेस प्रदेश अध्यक्ष पद से इस्तीफा देने वाले नवजोत सिंह सिद्धू की नाराजगी भले ही खत्म न हुई हो, लेकिन उनके रुख में नरमी आ गई है. कांग्रेस हाईकमान ने इस बार सिद्धू के प्रेशर पॉलिटिक्स को भाव नहीं दिया. न तो पार्टी के शीर्ष नेतृत्व ने खुद सिद्धू से कोई बात की और न ही दिल्ली से किसी को मनाने के लिए भेजा. सिद्धू के साथ डील करने की जिम्मेदारी पूरी तरह से सूबे के सीएम चन्नी पर छोड़ दिया गया था. चन्नी ने सिद्धू से मुलाकात कर सुलह का रास्ता निकाला और इस्तीफे के 56 घंटे बाद सिद्धू का गुस्सा काफूर हो गया?

पंजाब कांग्रेस में मचा सियासी घमासान

बता दें कि पंजाब कांग्रेस में मची उथल-पुथल में हर नेता के लिए अलग रास्ते तैयार हैं. कैप्टन नई पार्टी बना रहे हैं तो चन्नी सरकार चला रहे और सिद्धू नाराजगी की नई किताब पढ़ रहे हैं. इस तरह से कांग्रेस के लिए पंजाब लगातार उलझता जा रहा है. पहले सिद्धू ने कैप्टन के खिलाफ मोर्चा खोला तो अब अमरिंदर ने भी मानो कसम खा लिया है कि वो सिद्धू की सियासी राह में कांटे ही कांटे भर देंगे. 

कांग्रेस के लिए पंजाब की स्थिति गले की फांस बनी हुई है, जिसे ना तो उगलते बन रहा है और ना ही निगलते. कांग्रेस पहले सिद्धू के लिए पंजाब में कैप्टन से किनारा किया, लेकिन अब वही सिद्धू पार्टी की मुसीबत बढ़ा रहे हैं. अब तो अमरिंदर ने भी कांग्रेस से कन्नी काट ली है और फिर से नवजोत सिंह को घेर रहे हैं. कैप्टन 48 घंटे के दिल्ली प्रवास के बाद चंडीगढ़ पहुंचे तो सिद्धू के खिलाफ जमकर गुबार निकाला. इस तरह से उन्होंने सिद्धू के खिलाफ अपनी अदावत का खुला ऐलान कर दिया है. 

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कैप्टन अदावत पर हैं तो चन्नी साधने में जुटे

चंडीगढ़ एयरपोर्ट पर कैप्टन जहां सिद्धू पर हमलावर थे तो पंजाब भवन में सीएम चन्नी और सिद्धू में सुलह का फ़ॉर्मूला तैयार हो रहा था. चरणजीत सिंह चन्नी ने गुरूवार को नवजोत सिंह सिद्धू से मुलाकात किया. करीब दो घंटे चली बैठक में चन्नी-सिद्धू के साथ-साथ शिक्षा मंत्री परगट सिंह और पार्टी के केंद्रीय पर्यवेक्षक हरीश राय चौधरी बैठक में मौजूद रहे, जिसमें विभिन्न मुद्दों के हल के लिए रास्ता निकाला गया है. इसके बाद कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह गोरा ने पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक हो जाने का दावा किया. सिद्धू के सलाहकार मोहम्मद मुस्तफा ने भी ऑल इज वेल कहा. 

सिद्धू को हाईकमान ने नहीं दिया भाव

दरअसल, पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह के साढ़े चार साल के राज में जिस तरह से कांग्रेस हाईकमान की सियासी पकड़ कमजोर हो गई थी. पंजाब में नेतृत्व परिवर्तन कर कैप्टन की जगह चरणजीत सिंह चन्नी को बैठाने के साथ नई कैबिनेट के जरिए राहुल गांधी ने दोबारा से राज्य में अपनी पहले जैसी पकड़ बनाने का प्रयास किया है. ऐसे में कांग्रेस हाईकमान अब सिद्धू को हद से ज्यादा तवज्जो देकर दोबारा से पंजाब से अपनी सियासी पकड़ को कमजोर नहीं करना चाहता. ऐसे में नए मंत्रिमंडल से लेकर सरकारी नियुक्तियों में हाईकमान ने दखल दिया.

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कांग्रेस हाईकमान ने इसीलिए नाराज सिद्धू को मनाने को लेकर खुद से कोई पहल नहीं की है. सिद्धू के इस्तीफे से कांग्रेस की किरकिरी जितनी भी हुई हो, उसके चलते शीर्ष नेतृत्व ने सख्त रुख अख्तियार कर लिया था. पंजाब कांग्रेस के प्रभारी हरीश रावत को भी देहरादून से चंडीगढ़ जाने से मना कर दिया गया था और सिद्धू से डील करने की जिम्मा सीएम चन्नी पर छोड़ दिया गया था. 

सिद्धू से डील करने का जिम्मा चन्नी पर

नवजोत सिद्दू के इस्तीफे के 56 घंटे के बाद चरणजीत सिंह चन्नी ने उनसे मुलाकात किया. इस बैठक से समझा जाता है कि चन्नी ने सिद्धू की कई मांगों को मान लिया है. विवादित मुद्दों के हल के लिए फैसला हुआ कि मुख्यमंत्री चन्नी, पंजाब प्रदेश कांग्रेस के अध्यक्ष नवजोत सिद्धू और पंजाब मामलों के प्रभारी हरीश रावत पर आधारित तीन सदस्यीय तालमेल कमेटी बनेगी. ताकि भविष्य में कोई अड़चन न आए. तीन सदस्यीय कमेटी बड़े मसलों को लेकर हफ्ते मे दो बार आपस में बैठक करेगी. 

सिद्धू के सलाहकार मुहम्मद मुस्तफ़ा ने भी कहा कि नवजोत सिंह सिद्धू पंजाब कांग्रेस अध्यक्ष बने रहेंगे. यह मामला सलटा लिया जाएगा. केंद्रीय नेतृत्व यह जानता है कि नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस नेतृत्व से परे नहीं हैं. वे अमरिेंदर सिंह की तरह नहीं है, जिन्होंने कांग्रेस और केंद्रीय नेतृत्व की कभी परवाह नहीं की. साथ ही कांग्रेस नेता भूपिंदर सिंह गोरा ने पार्टी के अंदर सबकुछ ठीक हो जाने का दावा किया. उन्होंने कहा कि शुक्रवार को आपको पता चलेगा, प्रेस कॉन्फ्रेंस भी करेंगे और सारे इकट्ठे होकर करेंगे. 

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मुहम्मद मुस्तफा की पत्नी और मलेरकोटला से विधायक रजिया सुलताना ने भी सिद्धू के इस्तीफे के साथ ही चन्नी कैबिनेट से इस्तीफा दे दिया था और कहा था कि सिद्धू पंजाब और पंजाबियत को बचाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं. मुस्तफा ने अपनी पत्नी के इस्तीफे का स्वागत करते हुए कहा था कि उन्हें इस पर गर्व है कि रजिया ने मूल्यों के लिए पद छोड़ दिया, लेकिन अब वही मुस्तफा कह रहे हैं कि सिद्धू का इस्तीफा भावनाओं में बह कर किया गया निर्णय था, इस मामले को सुलटा लिया जाएगा और सिद्धू पद पर बने रहेंगे. 

समझौते के बाद सिद्धू को क्या मिला
 
बता दें कि पंजाब के एडवोकेट जनरल (एजी) एपीएस देयोल और डीजीपी इकबाल प्रीत सिंह सहोता की नियुक्ति को लेकर मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी और प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष नवजोत सिद्धू के बीच चल रहे विवाद को खत्म कर सुलह का रास्ता निकाला गया है. एपीएस देयोल कोटकपूरा गोलीकांड में आरोपित पूर्व डीजीपी सुमेध सिंह सैनी के वकील होने के कारण नवजोत सिद्धू नहीं चाहते कि उन्हें एडवोकेट जनरल बनाया जाए. 

ऐसे में माना जा रहा है कि फॉर्मूला यह निकाला गया कि बेअदबी व कोटकपूरा गोलीकांड के मामले एजी के अधिकार क्षेत्र से बाहर निकालकर स्पेशल प्रासिक्यूटर लगाया जाए.  पंजाब डीजीपी के यूपीएससी को भेजने और इसमें एस चट्टोपाध्याय का नाम शामिल करने कै फैसला हुआ. इसके अलावा तमाम विवादित मुद्दे का हल निकालने के लिए लिए तीन सदस्यीय कमेटी बनेगी, जो सप्ताह में दो बार बैठक करेगी. 

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सुलह के फॉर्मूले से कौन कितना रजामंद हुआ...कौन कितना संतुष्ट हुआ...ये तो बाद की बात है, लेकिन उससे पहले ये जरूर तय हो गया है कि अगले साल विधानसभा चुनाव में सिद्धू की राह में अमरिंदर बड़े बड़े कांटे लेकर तैयार है. वहीं, एक समय पंजाब में जो नवजोत सिंह सिद्धू कांग्रेस की आवाज थे. अपनी लच्छेदार भाषा से समां बाध देते थे. वो नवजोत सिंह सिद्धू अब खामोश हैं. कभी पंजाब कांग्रेस को अपनी मुट्ठी में होने का गुमान करने वाले सिद्धू ये बताने की हालत में नहीं हैं उनकी हैसियत अभी क्या है? 
 

 

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