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Sukhbir singh badal: BJP दूर, BSP साथ, पंजाब की सबसे बड़ी सियासी परीक्षा में उतरे सुखबीर सिंह बादल

Punjab Elections 2022: अपने पिता प्रकाश सिंह बादल की सरकार में डिप्टी सीएम रह चुके अकाली नेता सुखबीर सिंह बादल एक बार फिर पंजाब की सत्ता पाने के लिए जुटे हैं. अपने परंपरागत सिख वोटों को साधने इस बार 94 वर्षीय पूर्व मुख्यमंत्री को चुनावी मैदान में उतारा गया है.

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अकाली अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पंजाब की सत्ता में वापसी के लिए जुटे हैं. (फाइल फोटो)
अकाली अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल पंजाब की सत्ता में वापसी के लिए जुटे हैं. (फाइल फोटो)
स्टोरी हाइलाइट्स
  • अकाली दल के साथ इस चुनाव में नहीं होगी BJP
  • BSP से गठबंधन कर पंजाब के चुनावी मैदान में है अकाली
  • सुखबीर बादल पर है पार्टी को जिताने का दारोमदार

Punjab Election 2022: पंजाब विधानसभा चुनाव के चुनावी माहौल में सोमवार का दिन काफी खास है. मुख्यमंत्री चरणजीत सिंह चन्नी, पूर्व मुख्यमंत्री कैप्टन अमरिंदर सिंह, अकाली दल के नेता पूर्व सीएम प्रकाश सिंह बादल और पूर्व डिप्टी सीएम सुखबीर सिंह बादल आज के दिन ही अपने-अपने विधानसभा क्षेत्रों में नॉमिनेशन का पर्चा दाखिल करेंगे. शिरोमणि अकाली दल (शिअद) अध्यक्ष सुखबीर सिंह बादल जलालाबाद सीट से चुनावी मैदान में उतरने जा रहे हैं. पंजाब की राजनीति के माहिर खिलाड़ी सुखबीर जी-जान से सत्ता वापस पाने में जुट गए हैं. 

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इस बार के चुनावी समर में अकाली दल के साथ बीजेपी नहीं  है, इसलिए राजनीतिक समीकरण थोड़े अलग हो सकते हैं, मगर शिअद ने बहुजन समाज पार्टी के संग करार करके अपने चुनावी अभियान को गति देने की कोशिश की है. अपनी राजनीतिक काबिलियत के लिए पहचाने जाने वाले सुखबीर सिंह बादल ने लंबे वक्त पहले से ही पंजाब में चुनावी बिगुल फूंक दिया था. अकाली दल (संयुक्त) के रणजीत सिंह ब्रह्मपुरा जैसे कई बड़े नेताओं की पार्टी में वापसी करवाकर उन्होंने इस बात का सबूत दिया है. उन्होंने पंजाब की सियासत में विपक्ष की भूमिका फिर से हासिल कर ली है. वे आप और कांग्रेस के पाले में चले गए अपने समर्थकों को वापस लाकर अपनी पार्टी को फिर से खड़ा कर रहे हैं. 

अमेरिका से पढ़ाई

9 जुलाई 1962 को पंजाब के फरीदकोट में जन्‍मे सुखबीर की पढ़ाई लॉरेंस स्कूल, सनावर में हुई थी. उन्होंने 1980 से 1984 तक पंजाब विश्वविद्यालय चंडीगढ़ से अर्थशास्त्र में एमए ऑनर्स  और कैलिफोर्निया स्टेट यूनिवर्सिटी, लॉस एंजिल्स से एमबीए पूरा किया था. 
  
जब बेटे सुखबीर सिंह बादल ने संभाली पार्टी की कमान

सुखबीर सिंह बादल, प्रकाश सिंह बादल के बेटे हैं. वह 2009 से 2017 तक पंजाब के उपमुख्‍यमंत्री रह चुके हैं. वहीं, 2008 से पार्टी की बागडोर उन्हीं के हाथों में है. शिरोमणि अकाली दल के 100 साल के इतिहास में सुखबीर दूसरे सर्वाधिक कार्यकाल (12 साल) वाले पार्टी अध्यक्ष हैं. उनसे ज्यादा सिर्फ उनके पिता प्रकाश सिंह बादल ही (13 साल) इस पद पर रहे हैं. 

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अटल जी की सरकार में मंत्री रहे

सुखबीर 1996 में 11वीं और 1998 में 12वीं लोकसभा के लिए चुने जा चुके हैं. एनडीए के दूसरे शासनकाल में यह अकाली नेता 1998 से 1999 तक अटल जी की सरकार में केंद्रीय मंत्री रहा और उद्योग राज्‍य मंत्री की जिम्मेदारी भी संभाली. 2001 से 2004 तक सुखबीर राज्‍यसभा सदस्‍य रहे. 2012 विधानसभा चुनाव में उनके नेतृत्व में पार्टी चुनाव जीती थी.

2017 का चुनाव हारे

हालांकि, सुखबीर सिंह बादल के नेतृत्व में शिरोमणि अकाली दल  साल 2017 में हुए विधानसभा में राज्य की 117 सीटों में केवल 15 सीटें ही ला सका था. बता दें कि इस चुनाव में 77 सीटें जीतकर कांग्रेस सबसे बड़ी पार्टी बनी थी. वहीं, आम आदमी पार्टी को 20 और बीजेपी को 3 सीटों पर जीत मिली थी. 

भगवंत मान को हरा चुके

सुखबीर बादल ने 2017 के विधानसभा चुनावों में आम आदमी पार्टी (सांसद संगरूर) के भगवंत मान और कांग्रेस से रवनीत सिंह बिट्टू (लुधियाना सांसद) को हराया था. हालांकि, शिअद और भाजपा गठबंधन कांग्रेस से चुनाव हार गए थे. 2019 में, सुखबीर ने ने 6 लाख से अधिक वोट हासिल करके कांग्रेस के शेर सिंह घुबाया को हराकर फिरोजपुर लोकसभा क्षेत्र के सांसद का चुनाव जीता था.

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सुखबीर बादल के लिए दो पहलू

पंजाब में वापसी की राह देख रहे बादल परिवार के लिए पॉजिटिव पहलू यह है कि इस बार बसपा के साथ अकाली दल का गठबंधन जाट सिख और दलित वोटों को अपनी तरफ बड़ी तादाद में खींच सकता है. बादल पहले ही ऐलान कर चुके कि शिअद सरकार में दो उपमुख्यमंत्री होंगे- एक दलित और एक हिंदू. बता दें कि पंजाब की तीन करोड़ आबादी में करीब 32 फीसद दलित हैं. सुखबीर अभी भी सिख धर्म की राजनीति के सबसे बड़े अकाली नेता हैं और देश के अधिकतर हिस्सों में गुरुद्वारों के प्रबंधन पर उनका नियंत्रण है.

हालांकि, उनकी सरकार में ड्रग्स और अवैध रेत खनन जैसे मुद्दे विपक्षियों की पसंद बने हुए हैं. साथ ही अकाली दल को प्राइवेट लिमिटेड कंपनी की तरह चलाना भी सुखबीर सिंह बादल के लिए चुनाव में गलत असर डाल सकता है.   

20 फरवरी को वोटिंग

गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पंजाब समेत आगामी पांच राज्यों में होने वाले चुनावों का ऐलान हो चुका है. पंजाब की 117 विधानसभा सीटों पर 20 फरवरी को वोट डाले जाएंगे और मतगणना 10 मार्च को होगी. पहले यह वोटिंग 14 फरवरी को होनी थी, लेकिन संत रविदार जयंती के चलते तारीख में बदलाव कर दिया गया.

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