राजस्थान में चल रहे चुनावी घमासान के बीच कांग्रेस और भाजपा के नेता चुनाव से पहले परिवारवाद के नाम पर एक दूसरे पर जुबानी हमला कर रहे थे. साथ ही परिवारवाद को बढ़ाने का आरोप लगा रहे थे. लेकिन असल में दोनों ही पार्टियां परिवारवाद को बढ़ावा दे रही हैं. राजस्थान में भाजपा और कांग्रेस ने 44 ऐसे प्रत्याशियों को चुनाव में उतारा है, जो वर्षों से पारिवारिक चुनाव लड़ रहे हैं. इसमें कांग्रेस के 24 तो भाजपा के 20 परिवार ऐसे हैं, जो पीढ़ी दर पीढ़ी चुनाव लड़ते हैं और सत्ता पर काबिज होते हैं. इसमें कई बड़े नाम भी शामिल है.
मदेरणा परिवार हो या मिर्धा परिवार, नेता खुद के रिटायरमेंट से पहले अपने बेटा बेटी को सेट करने में जुट जाते हैं. मदेरणा परिवार की तीसरी पीढ़ी में 16वीं बार कांग्रेस ने दिव्या मदेरणा को टिकट दिया है. वहीं मिर्धा परिवार में एक ही परिवार में चार प्रत्याशियों को चुनाव मैदान में उतरा गया है. हालांकि कुछ को पार्टियों ने मौका दिया तो कुछ को निराशा हाथ लगी. जैसे मंत्री शांति धारीवाल अपने बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे. लेकिन पार्टी ने उनको टिकट दिया. इसी तरह से बहरोड़ में भाजपा प्रत्याशी जसवंत यादव अपने बेटे मोहित यादव के लिए टिकट मांग रहे थे. लेकिन 2018 में मोहित यादव को मिली हार के बाद पार्टी ने जसवंत यादव को इस बार टिकट दिया. दीपेंद्र सिंह भी अपनी बेटे के लिए टिकट मांग रहे थे. लेकिन पार्टी ने उनको खुद को सवाई माधोपुर से टिकट दिया.
कांग्रेस ने 24 परिवारों को टिकट दिया है. इसमें वीरेंद्र सिंह को दातारामगढ़ से उतर गया है. वीरेंद्र सिंह के पिता नारायण सिंह इस सीट से सात बार विधायक रहे हैं. शेरगढ़ से मीनाकवर को चुनाव मैदान में उतारा है. उनके ससुर पूर्व मंत्री व शेरगढ़ से सात बार विधायक रहे हैं. प्रशांत शर्मा को आमेर से टिकट दिया है. उनके पिता सहदेव शर्मा कांग्रेस में आमेर से 1998 में विधायक रहे. गीता बरवड़ को गोपालगढ से टिकट दिया गया है. वो पूर्व विधायक नरपत राम की बेटी हैं. रफीक मंडेलिया को चूरू से चुनाव मैदान में उतारा है, वो पूर्व विधायक मकबूल मंडेलिया के पुत्र हैं. सुशीला डूडी को नोखा से चुनाव मैदान में टिकट दिया गया है. वो रामेश्वर डूडी की पत्नी है.
पूर्व राज्यपाल के बेटे को भी मिला टिकट
अनिल शर्मा को सरदारशहर से टिकट दिया गया है. इस सीट से भंवर लाल शर्मा उनके पिता जीते रहे हैं. झुंझुनू से बृजेंद्र ओला पूर्व मंत्री शीशराम ओला के पुत्र हैं. पार्टी नाम पर दाव खेला है. ओसिया से परंपरागत सीट मदेरणा परिवार की रही है. पार्टी ने इस बार दिव्या मदेरणा को चुनाव मैदान में उतारा है. बाड़मेर से मेवाराम जैन को टिकट दिया गया है. तीन बार विधायक रहे वीरेंद्र चंद जैन के रिश्तेदार हैं. सुजानगढ़ से मनोज मेघवाल को पार्टी ने टिकट दिया है व पूर्व मंत्री भंवरलाल मेघवाल के पुत्र हैं. मंडावा से रीटा चौधरी को टिकट दिया गया है. छह बार जीत दर्ज करने वाले रामनारायण चौधरी की बेटी हैं. सवाई माधोपुर से दानिश अग्रवाल को टिकट दिया गया है. वो पूर्व राज्यपाल सांसद अबरार अहमद के पुत्र हैं.
सचिन पायलट को टोंक से टिकट दिया गया है. वो पूर्व केंद्रीय मंत्री राजेश पायलट के बेटे हैं. विजयपाल मिर्धा को डेगाना से टिकट दिया गया है. वो नाथूराम मिर्धा परिवार से हैं. अलवर की रामगढ़ सीट से जुबेर खान को टिकट दिया गया है. 1990 से वो यहां चुनाव लड़ रहे हैं. पिछली बार उनकी पत्नी यहां से विधायक थी. लूणी सीट से महेंद्र विश्नोई को टिकट दिया गया है. पूर्व मंत्री राम सिंह बिश्नोई के पुत्र और पूर्व विधायक मलखान के पुत्र हैं. वल्लभनगर से प्रीति शक्तावत को चुनाव मैदान में उतर गया है. वो पूर्व मंत्री गुलाब सिंह की पुत्रवधू और पूर्व विधायक गजेंद्र सिंह की पत्नी है. मांडलगढ़ से विवेक धाकड़ को चुनाव मैदान में उतारा है. वो तीन बार प्रत्याशी रहे और कन्हैयालाल धाकड़ के पुत्र हैं. रोहित बोरा को राजाखेड़ा से टिकट दिया गया है. वो पूर्व मंत्री दुष्यंत सिंह के पुत्र हैं. निरंजन आर्य को सोजत से टिकट दिया गया है. उनकी पत्नी संगीता चुनाव लड़ चुकी हैं. डीडवाना से चेतन डूडी को चुनाव मैदान में उतारा है वो भी पूर्व विधायक रूपाराम डूडी की बेटी हैं.
सात बार विधायक के बेटे को भी टिकट
इसी तरह से भाजपा की बात करें तो भाजपा ने कोलायत सीट से देवी सिंह भाटी के पुत्र अंशुमान सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. देवी सिंह भाटी सात बार विधायक रह चुके हैं. बाड़मेर से दीपक कड़वासरा को पार्टी ने टिकट दिया है. वो पूर्व विधायक लालाराम के पुत्र हैं. पचपदरा से अरुण अमराराम को टिकट दिया गया है. वो पूर्व मंत्री अमराराम के बेटे हैं. हनुमानगढ़ से अमित चौधरी को चुनाव मैदान में उतर गया है और पूर्व मंत्री डॉ रामप्रताप के बेटे हैं. सादूलपुर से सुमिता पूनिया को टिकट दिया गया है. वो विधायक नंदलाल पूनिया के पुत्रवधू है. रामगढ़ से जय आहूजा को टिकट दिया गया है. वो पूर्व विधायक ज्ञान देव आहूजा के भतीजे हैं.
नदबई से जगत सिंह को पार्टी ने चुनाव मैदान में उतारा है. वो पूर्व केंद्रीय मंत्री नटवर सिंह के पुत्र हैं. लाडनू से करणी सिंह को चुनाव मैदान में उतारा है. वो पूर्व विधायक मनोहर सिंह के पुत्र हैं. देवली से विजय बैसला को पार्टी ने टिकट दिया है. वो सांसद प्रत्याशी किरोड़ी सिंह बैसला के पुत्र हैं. विद्याधर नगर सीट जयपुर से दिया कुमारी को टिकट दिया गया है. वो राजघराने से है और पूर्व सांसद गायत्री देवी की पौत्री हैं. बीकानेर से सिद्धि कुमारी को चुनाव मैदान में उतर गया है. उनके दादा करणी सिंह लंबे समय तक सांसद रहे. नागौर से ज्योति मिर्धा को पार्टी ने टिकट दिया है. मुंडावर विधानसभा सीट से मनजीत चौधरी को पार्टी ने टिकट दिया है. वो पूर्व विधायक धर्मपाल चौधरी के बेटे हैं.
कुम्हेर सीट से शैलेश सिंह को टिकट दिया गया है. वो पूर्व मंत्री डॉक्टर दिगंबर सिंह के पुत्र हैं. नसीराबाद सीट से पूर्व मंत्री व सांसद सांवरलाल जाट के बेटे रामस्वरूप को चुनाव मैदान में उतर गया है. श्रीमाधोपुर से चार बार विधायक रहे हरलाल सिंह के पुत्र झायर सिंह को टिकट दिया गया है. पूर्व विधायक गौतम लाल मीणा के पुत्र कन्हैयालाल मीणा को टिकट दिया गया है. राजसमंद से पूर्व मंत्री किरण माहेश्वरी की पुत्री दिप्ती माहेश्वरी को चुनाव मैदान में उतर गया है. तो मकराना से पार्टी ने सुनीता भींचर को टिकट देकर अपना प्रत्याशी बनाया है.