
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज उत्तर प्रदेश की कृष्णनगरी मथुरा पहुंच रहे हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी शाम चार बजे हेलिकॉप्टर से सेना के परिसर पहुंचेंगे. मथुरा पहुंचने के बाद पीएम मोदी ने धौली प्याऊ स्थित रेलवे मैदान जाने का कार्यक्रम है जहां उन्हें भक्त मीराबाई जन्मोत्सव समारोह में शामिल होना है. इस कार्यक्रम में फिल्म अभिनेत्री और मथुरा की सांसद हेमा मालिनी मीरा बाई के जीवन पर आधारित नृत्य नाटिका का मंचन करेंगी.
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की मौजूदगी में श्रीकृष्ण भक्त मीराबाई पर आधारित पांच मिनट की डॉक्यूमेंट्री भी दिखाई जाएगी. पीएम मोदी के करीब तीन घंटे तक मीराबाई जन्मोत्सव समारोह में रुकने का कार्यक्रम है. इसके बाद वह देर शाम दिल्ली रवाना हो जाएंगे. पीएम मोदी वैसे तो मथुरा में होंगे जो उत्तर प्रदेश में है लेकिन उनके इस दौरे और मीराबाई जयंती समारोह में शामिल होने के सियासी मायने भी तलाशे जाने लगे हैं.
दरअसल, मथुरा राजस्थान की सीमा के भी करीब है जहां विधानसभा चुनाव हो रहे हैं. राजस्थान चुनाव के लिए आज प्रचार का अंतिम दिन भी है. शाम पांच बजे राजस्थान की 199 सीटों के लिए चुनाव प्रचार थम जाएगा. प्रचार थमने के बाद पीएम मोदी सूबे की सीमा से सटे मथुरा में होंगे और जिस आयोजन में वह शामिल हो रहे होंगे, वह राजस्थान के लिए स्पष्ट संदेश माना जा रहा है.
कार्यक्रम मीराबाई के जन्मोत्सव का है और श्रीकृष्ण भक्त मीरा का नाता राजस्थान से ही है. मीराबाई का जन्म राजस्थान के पाली जिले के कुड़की गांव में हुआ था और विवाह मेवाड़ के सिसोदिया राजवंश में. ये वही राजवंश है जिससे महाराणा प्रताप भी आते हैं. मीराबाई श्रीकृष्ण भक्त भी हैं. इस तरह वह भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) के हिंदुत्व वाले सांचे में पूरी तरह फिट बैठती ही हैं, राजपूताना अस्मिता को साधने के लिए भी मीराबाई के नाम को मुफीद बताया जा रहा है.
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चर्चा इस बात की भी है कि पीएम मोदी श्रीकृष्ण भक्त मीराबाई की स्मृति में डाक टिकट भी जारी कर सकते हैं. राजस्थान चुनाव के लिए प्रचार के अंतिम दिन पीएम मोदी का भगवान कृष्ण की नगरी में होना महज संयोग है या कोई प्रयोग? सवाल ये भी उठ रहे हैं. इसकी वजह ये भी है कि हाल ही में 17 नवंबर को मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ में मतदान हुआ.
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इन दोनों राज्यों में चुनाव प्रचार के अंतिम दिन पीएम मोदी झारखंड के खूंटी जिले में स्थित बिरसा मुंडा के गांव उलिहातु पहुंचे थे. दोनों ही राज्यों में आदिवासी आबादी प्रभावी है और बिरसा मुंडा को आदिवासी समाज में भगवान का दर्जा प्राप्त है. अब जब राजस्थान के लिए प्रचार थमने को है तब पीएम मोदी ब्रज में होंगे और मीराबाई के जन्मोत्सव में शामिल हो रहे होंगे. कहा तो ये भी जा रहा है कि पीएम मोदी की रणनीति धर्म-समुदाय के प्रतीकों के सहारे वोटों का गणित साधने की है.
राजनीतिक विश्लेषक अमिताभ तिवारी ने कहा कि बीजेपी प्रतीकों की सियासत के फॉर्मूले पर अब बढ़ चली है. बिरसा के सहारे आदिवासी वोट तो मीराबाई के सहारे बीजेपी की नजर व्यापक हिंदू वोट बैंक पर है. बीजेपी ने राजस्थान में प्रचार के दौरान जिस तरह से कन्हैयालाल हत्याकांड, जोधपुर दंगों का मुद्दा उठाया है, संदेश साफ है कि पार्टी जातिगत जनगणना के दांव की काट के लिए हिंदुत्व के फॉर्मूले पर बढ़ेगी और मीरा के जन्मोत्सव समारोह में पीएम मोदी का मथुरा जाना इसी रणनीति का हिस्सा है. एक तीर से बीजेपी की रणनीति ब्रज, मेवाड़ और हिंदुत्व की सियासत साधने की है.
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पीएम मोदी का मथुरा दौरा खास इसलिए भी है क्योंकि ये जिस ब्रज क्षेत्र में आता है, राजस्थान के कुछ इलाके भी उसमें आते हैं. ब्रज की चौरासी कोस परिक्रमा का मार्ग भी राजस्थान के भरतपुर जिले से गुजरता है. राजस्थान के भरतपुर और धौलपुर जिलों में ब्रजभाषा बोली जाती है और इन इलाकों के लोगों का ब्रज से भावनात्मक जुड़ाव है. एक तो ब्रज और दूसरे मीराबाई, बीजेपी की रणनीति एक आयोजन से पूरे राजस्थान, खासकर मेवाड़ साधने की है.
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कहा तो ये भी जा रहा है कि प्रतीकों के सहारे जनता के बीच अपनी पैठ मजबूत करने की जो रणनीति पिछले कुछ महीनों में नजर आई है, पीएम मोदी का मीराबाई जयंती में शामिल होना भी उसी रणनीति का हिस्सा है. मथुरा में मीरा राग से बीजेपी राजस्थान की सियासत को कितना साध पाती है, ये तो तीन दिसंबर की तारीख ही बताएगी.