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शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़... कांग्रेस हाईकमान को चुनौती देने वाले नेताओं को अब तक नहीं मिला टिकट

राजस्थान कांग्रेस की दूसरी लिस्ट में भी कई चर्चित चेहरों के नाम गायब हैं. इनमें तीन नामों की सबसे ज्यादा चर्चा है और वो हैं- हाईकमान के खिलाफ बगावत करने वाले शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़. ये वही नेता हैं, जिन्होंने पिछले साल सितंबर में कांग्रेस हाईकमान के खिलाफ बगावत की थी. तब इन नेताओं ने कहा था कि वो आलाकमान के आदेश नहीं मानेंगे. हालांकि, पार्टी की अनुशासन समिति ने नोटिस भेजे थे और जवाब मांगा था.

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कांग्रेस ने अब तक शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ का टिकट फाइनल नहीं किया है. (फाइल फोटो)
कांग्रेस ने अब तक शांति धारीवाल, महेश जोशी और धर्मेंद्र राठौड़ का टिकट फाइनल नहीं किया है. (फाइल फोटो)

राजस्थान में कांग्रेस ने दूसरी सूची भी जारी कर दी है. इस सूची में वो तीन नाम फिर नहीं दिखे, जिनके बारे में लगातार कयासबाजी तेज है. कहा जाता है कि राजस्थान में पिछले साल इन नेताओं ने ही हाईकमान के खिलाफ बगावत की पटकथा लिखी थी, अब जब चुनाव आया तो हाईकमान भी इन नेताओं को अपनी ताकत का एहसास करवा रहा है. यही वजह है कि अब तक 76 उम्मीदवार फाइनल कर दिए गए. इनमें 21 मंत्री भी शामिल हैं. लेकिन, जो नंबर-दो की पॉजिशन रखते हैं, उनके टिकट का कहीं अता-पता नहीं है.

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जी हां, कांग्रेस हाईकमान ने अब तक शांति धारीवाल, महेश जोशी, धर्मेंद्र राठौड़ के टिकट फाइनल नहीं किए हैं. इन नेताओं का अब तक टिकट फाइनल नहीं होने सियासी चर्चाएं भी तेज चल रही हैं. दरअसल, पिछले साल 25 सितंबर को कांग्रेस हाईकमान ने तत्कालीन प्रदेश प्रभारी अजय माकन और ऑब्जर्वर के रूप में मल्लिकार्जुन खड़गे को जयपुर भेजा था. वहां विधायकों की एक बैठक होनी थी. सचिन पायलट और उनके खेमे के विधायक सीएम आवास पहुंच गए थे. गहलोत कैंप का इंतजार किया जा रहा था. 

'रात में ही सौंप दिया था सामूहिक इस्तीफा'

इसी बीच, खबर आई कि इस मीटिंग से पैरेलल एक सीक्रेट मीटिंग गहलोत के करीबी मंत्री शांति धारीवाल के आवास पर बुलाई गई है. वहां विधायकों का जमावड़ा लगा है. इन विधायकों ने एकजुट होकर सीएम आवास की उस मीटिंग का विरोध किया और दावा किया कि सचिन पायलट को विधायक दल का नेता चुनने के लिए हाईकमान ने यह बैठक बुलाई है. गहलोत कैंप के 80 से ज्यादा विधायक रात में ही बस में सवार होकर स्पीकर सीपी जोशी के आवास पर पहुंचे और सामूहिक इस्तीफा सौंप दिया.

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'कांग्रेस ने दिया था नोटिस'

इस पूरे घटनाक्रम में गहलोत समर्थक शांति धारीवाल, महेश जोशी और राजेंद्र राठौड़ ने न सिर्फ बगावत की पटकथा लिखी, बल्कि धारीवाल ने आलाकमान को सीधे चुनौती भी दे डाली. उसके बाद इन तीनों नेताओं को पार्टी की तरफ से नोटिस दिया गया था.

'दिल्ली से आए नेताओं को बिना बैठक लौटना पड़ा था'

चूंकि, उस समय कांग्रेस अध्यक्ष के चुनाव की कवायद चल रही थी. जानकार बताते हैं कि कांग्रेस अध्यक्ष पद पर गहलोत का नाम सबसे आगे चल रहा था. वे गांधी परिवार की पहली पसंद थे. इधर, राजस्थान में नेतृत्व परिवर्तन को लेकर चर्चाओं ने जोर पकड़ लिया और पायलट को अगले मुख्यमंत्री के तौर पर चुने जाने की बातें होने लगीं. ऐसे में गहलोत कैंप ने हाईकमान के खिलाफ जाकर बगावत कर दी. नतीजा ये रहा कि विधायक दल की बैठक से गहलोत गुट के विधायकों ने बहिष्कार कर दिया और बिना बैठक लिए ऑब्जर्वर और प्रदेश प्रभारी को वापस दिल्ली लौटना पड़ा.

'हाईकमान के सामने रख दी थीं तीन शर्तें'

कथित गहलोत गुट के विधायकों ने ना सिर्फ सीएलपी मीटिंग का बायकॉट किया, बल्कि कांग्रेस अध्यक्ष चुने जाने तक पार्टी की किसी भी बैठक में शामिल नहीं हुए. इसके साथ शर्तें भी रख दी कि सरकार बचाने वाले 102 विधायकों यानी गहलोत गुट से ही सीएम बने. दूसरी शर्त ये थी कि सीएम तब घोषित हो, जब अध्यक्ष का चुनाव हो जाए. तीसरी शर्त भी रखी कि जो भी नया मुख्यमंत्री हो, वो गहलोत की पसंद का ही होना चाहिए. बाद में गहलोत को हाईकमान ने तलब किया. पायलट के सामने बैठाकर बात की गई. उस दौरान गहलोत ने घटनाक्रम पर खेद जताया था और हाईकमान से माफी मांगी थी.

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अब क्या हुआ है....

कहा जा रहा है कि बीते दिनों कांग्रेस सेंट्रल इलेक्शन कमेटी की बैठक में टिकट पर मंथन किया गया. तब यह हाईकमान को चुनौती देने वाला घटनाक्रम भी उठा और उस पर नाराजगी भी जताई गई. उसके बाद से माना जा रहा है कि संभव है कि तीनों नेताओं का टिकट कट सकता है. पहली लिस्ट में नाम नहीं होने पर उम्मीद जताई जा रही थी कि शायद दूसरी सूची में नाम आएगा. चर्चा है कि देर से ही सही आलाकमान ने इन तीनों नेताओं को अपनी ताकत का अहसास करा दिया है.

'तीनों नेताओं का करियर संकट में?'

बताते चलें कि शांति धारीवाल को गहलोत का करीबी माना जाता है और कैबिनेट में नंबर 2 के मंत्री के तौर पर जाने जाते हैं. इसी तरह, धर्मेंद्र राठौड़ का टिकट भी फाइनल नहीं हुआ है. वो पहले पुष्कर सीट पर दावेदारी कर रहे थे, लेकिन पार्टी ने वहां नसीम अख्तर इंसाफ को उम्मीदवार बनाया है. कहा जा रहा है कि राठौड़ को दूसरी सीट भी दी जा सकती है. वहीं, महेश जोशी के सियासी भविष्य पर भी संकट के बादल हैं.

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