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पहले यात्राओं से गायब, फिर शाह संग 40 मिनट की मीटिंग... वसुंधरा को लेकर BJP में क्या चल रहा?

वसुंधरा राजे ने परिवर्तन यात्राओं से दूरी बना ली थी. पीएम मोदी की जयपुर रैली में वसुंधरा को मंच पर जगह तो मिली लेकिन बोलने का मौका नहीं मिला. अब जेपी नड्डा और अमित शाह के साथ 40 मिनट की मीटिंग हुई है. वसुंधरा को लेकर बीजेपी में चल क्या रहा है?

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गृह मंत्री अमित शाह और वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)
गृह मंत्री अमित शाह और वसुंधरा राजे (फाइल फोटो)

राजस्थान में चुनाव हैं और चुनाव कार्यक्रम के ऐलान से पहले ही धोरों की धरती का मौसम चुनावी हो चला है. विपक्षी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने चुनाव से पहले सभी दो सौ विधानसभा सीटों तक पहुंचने के लिए परिवर्तन यात्राओं का सहारा लिया जो अब संपन्न हो चुकी हैं. परिवर्तन यात्राओं के समापन पर बीजेपी ने राजधानी जयपुर में बड़ी जनसभा की जिसे संबोधित करने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आए थे. पीएम मोदी के बाद बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा और गृह मंत्री अमित शाह गुलाबी नगरी में हैं.

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जेपी नड्डा और अमित शाह राजस्थान बीजेपी कोर कमेटी की मैराथन मीटिंग में शामिल हुए. कोर कमेटी के बाद प्रभारियों की भी बैठक हुई और फिर नड्डा-शाह और बीएल संतोष ने पूर्व मुख्यमंत्री वसुंधरा राजे के साथ भी बैठक की. वसुंधरा राजे और नड्डा-शाह की बैठक करीब 40 मिनट तक चली. इस बैठक में किन विषयों पर बात हुई, इस संबंध में अधिक जानकारी सामने नहीं आई है लेकिन इसे पीएम मोदी के कार्यक्रम के बाद वसुंधरा की नाराजगी से जोड़कर देखा जा रहा है.

पीएम मोदी के कार्यक्रम में गजेंद्र सिंह शेखावत से लेकर सीपी जोशी तक, सूबे के लगभग सभी बड़े नेताओं ने मंच से अपनी बात रखी थी. बीजेपी सांसद दीया कुमारी ने कार्यक्रम का संचालन किया. वसुंधरा को मंच पर जगह तो मिली लेकिन बोलने का मौका नहीं मिला. वसुंधरा समर्थक इसे अपनी नेता का अपमान बता रहे हैं. वसुंधरा की नाराजगी की चर्चा भी थी. राजस्थान में बीजेपी की परिवर्तन यात्रा से दूरी और कई जगह भीड़ न जुटने से हुई किरकिरी को देखते हुए भी बीजेपी सतर्क है. इन मुद्दों पर कोर कमेटी की बैठक में भी बात हुई.

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कोर कमेटी की बैठक में नड्डा और शाह ने ये भी साफ कर दिया कि पार्टी किसी को चेहरा बनाए बिना सामूहिक नेतृत्व के साथ चुनाव मैदान में उतरेगी. कहा ये भी जा रहा है कि कोर कमेटी की बैठक में भी नेतृत्व ने ये साफ तो कर दिया कि किसी को चेहरा नहीं बनाएंगे लेकिन महारानी इसके लिए मानेंगी? माना जा रहा है कि पीएम मोदी के कार्यक्रम में बोलने का मौका नहीं मिलने और चेहरा नहीं बनाए जाने को लेकर वसुंधरा की नाराजगी दूर करने के लिए नड्डा-शाह और बीएल संतोष ने उनके साथ अलग से बैठक की.

नाराजगी दूर करने की कवायद है अलग से बैठक?

बात बस सीएम चेहरे तक ही सीमित नहीं है. टिकट बंटवारे का मामला भी अटका पड़ा है. बीजेपी मध्य प्रदेश के लिए उम्मीदवारों की दो और छत्तीसगढ़ के लिए उम्मीदवारों की एक लिस्ट जारी कर चुकी है लेकिन राजस्थान से एक भी उम्मीदवार के नाम का ऐलान नहीं किया जा सका है. कहा तो ये भी जा रहा है कि पार्टी नेतृत्व सूबे के करीब 30 से 35 वसुंधरा समर्थक विधायकों के टिकट काटना चाहता है जिसे लेकर राजे को आपत्ति है.

राजस्थान में भी बीजेपी केंद्रीय मंत्रियों और सांसदों को चुनावी रणभूमि में उतारने की तैयारी में है लेकिन सवाल ये भी है कि क्या वसुंधरा इसके लिए तैयार होंगी? केंद्रीय मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत को वसुंधरा का प्रतिद्वंदी माना जाता है. पीएम मोदी की जयपुर रैली से पहले शेखावत वसुंधरा से मिलने उनके घर भी पहुंचे थे. तब इसे पीएम की रैली से जोड़कर देखा गया. हालांकि, इस मुलाकात को लेकर न तो गजेंद्र सिंह शेखावत और ना ही वसुंधरा राजे ने ही कुछ कहा.

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बीजेपी नहीं मोल लेना चाहती महारानी की नाराजगी

बीजेपी एक तरफ राजकुमारी दीया कुमारी को वसुंधरा के समानांतर खड़ा करने की कोशिश कर रही है, बगैर किसी चेहरे के चुनाव में उतरने की बात कर कड़ा संदेश दे रही है तो दूसरी तरफ महारानी की नाराजगी भी मोल लेना नहीं चाहती. वसुंधरा राजे सी वोटर की सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक मुख्यमंत्री पद के लिए बीजेपी की ओर से सबसे लोकप्रिय चेहरा हैं. जुलाई महीने के अंत में आई इस सर्वे रिपोर्ट के मुताबिक 36 फीसदी लोगों ने बीजेपी की ओर से सीएम पद के लिए वसुंधरा को पहली पसंद बताया. नौ फीसदी लोगों के समर्थन के साथ गजेंद्र सिंह शेखावत दूसरे स्थान पर रहे. 

अब सवाल ये भी खड़े हो रहे हैं कि ऐसा क्या है कि बीजेपी वसुंधरा राजे को सीएम कैंडिडेट घोषित कर पा रही, ना पूरी तरह दरकिनार कर पा रही? वसुंधरा को लेकर बीजेपी के पशोपेश में होने की वजह क्या बस सीएम पद के लिए सबसे लोकप्रिय चेहरा होना ही है? राजनीतिक विश्लेषक रशीद किदवई के मुताबिक वसुंधरा राजे 60 सीटों पर मजबूत दखल रखती हैं. वसुंधरा की नाराजगी पार्टी के लिए घाटे का सौदा साबित हो सकती है.

आंकड़ों के लिहाज से देखें तो 200 सदस्यों वाली राजस्थान विधानसभा में सीटों का ये आंकड़ा कुल सदस्य संख्या का 30 फीसदी पहुंचता है. वोटों के गणित की बात करें तो वसुंधरा महिला वोट के साथ ही राजपूत, जाट और ओबीसी वोट बैंक में भी मजबूत पैठ रखती हैं. महिला आरक्षण बिल संसद से पास होने के बाद भी वसुंधरा ने अपने आवास पर रक्षा सूत्र कार्यक्रम के जरिए भी ताकत का प्रदर्शन किया था. वसुंधरा को रक्षा सूत्र बांधने बड़ी संख्या में महिलाएं पहुंची थीं.

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वसुंधरा ने तब साफ कहा था कि मैं राजस्थान छोड़ने वाली नहीं हूं. यहीं रहकर लोगों की सेवा करूंगी. पीएम मोदी के राजस्थान दौरे से ठीक पहले वसुंधरा के इस बयान को बीजेपी नेतृत्व के लिए संदेश की तरह देखा गया. परिवर्तन यात्रा से दूरी, पीएम मोदी के कार्यक्रम में बोलने का मौका नहीं मिलने के बाद अब वसुंधरा राजे की नड्डा-शाह के साथ मैराथन बैठक के बाद चर्चा तेज हो गई है कि वसुंधरा को लेकर बीजेपी में आखिर चल क्या रहा है?

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