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'राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गुज्जरों की समधन', राजस्थान में अब भी मैच विनर क्यों हैं वसुंधरा?

अचानक फ्रंट फुट से खेलते हुए, वसुंधरा राजे मतदाताओं से राज्य के स्थानीय मुद्दों को उठा रही हैं, जिसमें पानी और बुनियादी ढांचा संबंधी मुद्दे भी शामिल हैं. वह सत्ता में आने पर जनता से रिंग रोड को पूरा करने का वादा भी कर रही हैं.

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भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में, वसुंधरा राजे के अधिकांश वफादारों को टिकट दिया है.
भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में, वसुंधरा राजे के अधिकांश वफादारों को टिकट दिया है.

भाजपा और कांग्रेस ने 5 राज्यों के अगामी विधानसभा चुनावों के लिए अपने उम्मीदवारों की सूची जारी कर दी है, जिसमें राजस्थान भी शामिल है. कांग्रेस के उलट बीजेपी राजस्थान में यह विधानसभा चुनाव बिना किसी चेहरे के, ब्रांड मोदी पर लड़ रही है. जबकि कांग्रेस के पास मुख्यमंत्री अशोक गहलोत का चेहरा है. भाजपा ने राजस्थान में पार्टी के चेहरे के रूप में वसुंधरा राजे सिंधिया या राज्य नेतृत्व से किसी भी अन्य नेता को पेश नहीं करने का फैसला किया है, फिर भी वसुंधरा राज्य में भाजपा की मैच-विजेता हैं. राजस्थान में आगामी 25 नवंबर को मतदान होगा और नतीजे 3 दिसंबर को आएंगे.
  
पार्टी को योग्य उम्मीदवार उपलब्ध कराने, सही मुद्दे उठाने से लेकर अशोक गहलोत के विकल्प के रूप में अपने गवर्नेंस मॉडल को बनाए रखने तक, 'वसुंधरा फैक्टर' राजस्थान के आगामी विधानसभा चुनाव में भाजपा को अच्छे परिणाम दिला सकता है. भाजपा ने अपनी दूसरी सूची में, वसुंधरा राजे के अधिकांश वफादारों को टिकट दिया है. इससे यह सुनिश्चित होता है कि, यदि भाजपा जीतती है, तो राजे को सीएम की कुर्सी पर अपनी दावेदारी के लिए पर्याप्त समर्थन मिलेगा, जिसका अर्थ यह भी है कि वसुंधरा राजे को पार्टी नेतृत्व का विश्वास प्राप्त है.

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फ्रंट फुट पर खेल रही हैं वसुंधरा राजे सिंधिया

इसका परिणाम यह हुआ कि वसुंधरा राजे वर्तमान सरकार के खिलाफ फ्रंट फुट पर खेलने लगी हैं और राजनीतिक लड़ाई का नेतृत्व कर रही हैं,  जबकि पार्टी के अन्य नेता स्पष्ट रूप से इस मामले में काफी पीछे रह गए. हाल ही में अपने एक वफादार और पार्टी उम्मीदवार के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन करते हुए वसुंधरा राजे ने अपने मुख्यमंत्रित्व काल में भाजपा सरकार की नीतियों और कार्यों की तुलना वर्तमान अशोक गहलोत सरकार से करते हुए प्रियंका गांधी के परिवार की प्रत्येक महिला मुखिया को 10,000 रुपये देने के वादे पर सीधा हमला बोला.

उन्होंने प्रियंका गांधी पर निशाना साधते हुए कहा, 'जब आप सरकार नहीं बना रहे हों तो वादा करने का मतलब समझ नहीं आता. यह वादा उनके भाई राहुल के वादे जैसा ही है, जिसमें उन्होंने कहा था कि जैसे ही सरकार बनेगी, तो 10 दिन के अंदर किसानों का पूरा कर्ज माफ कर दिया जाएगा. पांच साल बीत गए लेकिन अभी तक किसानों का कर्ज माफ नहीं हुआ.' मुखर और आक्रामक वसुंधरा राजे ने राज्य में महिला सुरक्षा का मुद्दा उठाते हुए कहा, 'क्या आपने कभी सोचा है कि महिलाओं पर अत्याचार के मामले में राजस्थान देश में नंबर 1 क्यों है?'
    
राज्य के मुद्दे लेकर जनता के बीच पहुंच रहीं राजे

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टीम वसुंधरा का कहना है कि राजे के नेतृत्व वाली पिछली भाजपा सरकार ने महिला सुरक्षा के लिए निर्भया हेल्पलाइन, महिला थाने, महिला गश्ती दल और अभय कमांड सेंटर जैसे कई उपाय किए थे. अब वह अपने चुनावी अभियान में इस मुद्दे को उठा रही हैं कि वर्तमान कांग्रेस शासन के तहत ये निष्क्रिय क्यों पड़े थे. अचानक फ्रंट फुट से खेलते हुए, वसुंधरा राजे मतदाताओं से राज्य के स्थानीय मुद्दों को उठा रही हैं, जिसमें पानी और बुनियादी ढांचा संबंधी मुद्दे भी शामिल हैं. वह सत्ता में आने पर जनता से रिंग रोड को पूरा करने का वादा भी कर रही हैं.

अप्रूवल रेटिंग में भाजपा का सबसे लोकप्रिय चेहरा
   
भले ही वसुंधरा राजे सिंधिया को भाजपा द्वारा राजस्थान में मुख्यमंत्री पद के चेहरे के रूप में प्रोजेक्ट नहीं किया जा रहा हो, फिर भी सर्वेक्षणों में वह मजबूत चल रही हैं. हाल ही में सी-वोटर पोल के अनुसार उनकी अप्रूवल रेटिंग 22% रही, जो राजस्थान के अन्य सभी भाजपा नेताओं में सबसे अधिक है. इस सर्वेक्षण में गजेंद्र सिंह शेखावत की अप्रूवल रेटिंग 10% और राज्यवर्धन सिंह राठौड़ की 7% रही. अप्रूवल रेटिंग में यह लीड शायद राजे के प्रभाव और जातिगत वोट बैंक को भाजपा के पक्ष में जुटाने की उनकी क्षमता के कारण है. जबकि राजस्थान भाजपा के अन्य नेता केवल एक विशेष जाति राजपूत या जाट और अन्य को एकजुट कर सकते हैं.
  
वसुंधरा राजे ने राजस्थान के सभी जातिगत समीकरणों पर अपना प्रभाव डाला है और संभावित रूप से उन्हें भाजपा के पक्ष में एकजुट किया है, जिसमें जाट, गुज्जर और राजपूतों भी शामिल हैं. राजे एक ऐसी नेता हैं जो अपनी पृष्ठाभूमि के कारण राजपूत वोटों को आकर्षित कर सकती हैं, साथ ही 'जाट बहू' होने के कारण जाटों का समर्थन भी जीत सकती हैं. इसके अलावा, उनके बेटे ने राज्य के एक अन्य शक्तिशाली वोटिंग ब्लॉक, गुज्जर समुदाय की लड़की से शादी की है, इसलिए वसुंधरा राजे को 'राजपूतों की बेटी, जाटों की बहू और गुज्जरों की समधन' कहा जाता है.

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सभी जाति समुदायों में है वसुंधरा राजे का प्रभाव

राजे की प्रभावशाली स्थिति इस बात से भी झलकती है कि वह झालावाड़ के अपने पारंपरिक निर्वाचन क्षेत्र झालरापाटन से लगातार चुनाव लड़ती आ रही हैं और इस बार भी यहीं से लड़ेंगी. इस जिले पर राजे का प्रभाव है. कांग्रेस के पास अनुभवी मुख्यमंत्री अशोक गहलोत जैसा पुराना चेहरा हो सकता है और पिछले कुछ महीनों में उन्होंने कई कल्याणकारी योजनाओं की घोषणा की है. माना जा रहा है कि ये सभी उपाय काफी हद तक अशोक गहलोत के खिलाफ सत्ता विरोधी लहर को बेअसर कर सकते हैं, लेकिन विधायकों को शायद लोगों के गुस्से का सामना करना पड़ सकता है. वसुंधरा राजे ​विभिन्न जाति समुदायों में वर्तमान सरकार के खिलाफ गुस्से को भाजपा के पक्ष में वोट के रूप में मोड़ सकने में सक्षम हैं, चाहे भले ही उन्हें आधिकारिक तौर पर पार्टी का चेहरा घोषित नहीं किया गया हो.

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