दिल्ली में चुनाव प्रचार थम गया. अब गेंद मतदाताओं के पाले में है कि वह किस पार्टी को दिल्ली की सत्ता देता है. क्या शीला दीक्षित लगातार चौथी बार सूबे की सीएम बनेंगी या डॉ. हर्षवर्धन की साफ छवि के सहारे बीजेपी 15 साल बाद सत्ता की कुर्सी पर काबिज होगी या फिर चुनावी राजनीति में पहली बार किस्मत आजमाने जा रही अरविंद केजरीवाल की आम आदमी पार्टी इतिहास रचेगी.
दिल्ली की सत्ता के इन तीनों दावेदारों की किस्मत उन 25 सीटों पर निर्भर है, जो आखिरी मौके पर किसी भी पार्टी के पाले में जा सकती है. चौंकाने वाली बात यह भी है कि इन 25 सीटों में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित का चुनावी क्षेत्र नई दिल्ली भी शामिल है.
सब्सिडियरी इंटेलिजेंस ब्यूरो के चुनावी सर्वे की मानें, तो इस बार दिल्ली में बदरपुर, तिमारपुर, राजौरी गार्डन, शहादरा, मालवीय नगर, आरके पुरम, राजेंद्र नगर, रिठाला, हरि नगर और आदर्श नगर में मुकाबला त्रिकोणीय है. गौरतलब है कि पिछले विधानसभा चुनावों में ये सीट या तो कांग्रेस के पास थे या फिर बीजेपी.
सर्वे के मुताबिक कांग्रेस और बीजेपी के पाले 20-20 सीट वहीं आप के हिस्से में 5 सीट जाना तय है. पर बाकी 25 सीटों पर आम आदमी पार्टी के आने से चुनावी दंगल और भी मजेदार हो गया है.
कहा जाता है कि दिल्ली देश का मूड बताती है, इसलिए कांग्रेस और बीजेपी के लिए दिल्ली जीतना सबसे अहम है. राजधानी में महंगाई और भ्रष्टाचार को लेकर जबरदस्त पब्लिक मूड तो है ही पर AAP के आने से दोनों मुख्य पार्टियों के चेहरे पर परेशानी साफ झलकती है.
2008 के विधानसभा चुनावों में इन 25 सीटों पर कांग्रेस और बीजेपी के बीच कांटे का मुकाबले देखने को मिला था पर सर्वे ने इशारा किया है कि AAP इस बार दोनों पार्टियों के मंशा पर पानी फेर सकती है.
आपको बता दें कि दिल्ली में मतदान 4 दिसंबर को होने हैं और वोटों की गिनती 8 दिसंबर को होगी.