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नक्सलियों ने केजरीवाल से पूछे 10 सवाल

आम आदमी की समस्याओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने के कारण सुर्खियों में आई आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार दिल्ली में महज 49 दिन चलने से वहां के मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग भले ही मायूस हो गया हो, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय नक्सलियों को इस नई पार्टी से व्यवस्था परिवर्तन होने की उम्मीद है.

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अरविंद केजरीवाल
अरविंद केजरीवाल

आम आदमी की समस्याओं और भ्रष्टाचार के खिलाफ जंग छेड़ने के कारण सुर्खियों में आई आम आदमी पार्टी (आप) की सरकार दिल्ली में महज 49 दिन चलने से वहां के मतदाताओं का एक बड़ा वर्ग भले ही मायूस हो गया हो, लेकिन देश के विभिन्न हिस्सों में सक्रिय नक्सलियों को इस नई पार्टी से व्यवस्था परिवर्तन होने की उम्मीद है.

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नक्सलियों ने आप के संयोजक अरविंद केजरीवाल से 10 सवाल पूछे हैं. नक्सलियों के सवाल देश में फैले भ्रष्टाचार, आदिवासियों के शोषण, जनांदोलनों के खिलाफ बल प्रयोग, विदेशी पूंजी निवेश और बढ़ते औद्योगिकीकरण से लेकर जम्मू एवं कश्मीर में लागू विशेष सशस्त्र बल कानून को लेकर है.

नक्सलियों ने एक वेबसाइट पर अरविंद केजरीवाल के नाम 10 सवाल जारी किए हैं. इसमें नक्सलियों ने अरविंद से पूछा है कि भ्रष्टाचार इस पूंजीवादी व्यवस्था की नसों में घुस चुका है. इसे रोकने में क्या आपका जन लोकपाल कानून काफी होगा? भ्रष्टाचार के खिलाफ ठोस कार्यक्रम क्या है? क्या बिना आमूलचूल परिवर्तन के इस भ्रष्ट व्यवस्था को बदला जा सकता है?

नक्सलियों ने पूछा है कि पहले देश में 60 विदेशी कंपनियां थीं और अब 40 हजार से ज्यादा हो गई हैं. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) और कांग्रेस इनके सामने लाल कालीन बिछाती हैं. आप क्या करेंगे?

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विकास के नाम पर 68 साल में 6 करोड़ से ज्यादा जनता को उजाड़ा जा चुका है, इनमें हर छठा आदिवासी है. जनता को विस्थापित करने वाली कंपनी टाटा, बिड़ला, वेदांता, पोस्को व परमाणु संयंत्रों के बारे में आप की क्या राय है? क्या आप भी बहुराष्ट्रीय कंपनियों और बड़े पूंजीपतियों को खनिज भंडार लूटने की छूट देंगे? क्या विनाशकारी परमाणु संयंत्र लगाने की अनुमति देंगे? क्या विकास के इसी मॉडल को लागू करेंगे?

नक्सलियों ने कहा है कि भारत में शासक वर्ग जनांदोलनों, चाहे व शांतिपूर्ण हो या सशस्त्र, उसका जवाब लाठी और गोली से दे रहा है. क्या आप भी ऐसे ही जनांदोलनों का गला घोटेंगे? नक्सलियों ने पूछा है कि देश के शासकों ने जनता के खिलाफ युद्ध छेड़ रखा है. भारतीय कम्युनिस्ट पार्टी (माओवादी) को देश की आंतरिक सुरक्षा के लिए सबसे बड़ा खतरा बताया जा रहा है. इसके खिलाफ पहले से साढ़े तीन लाख तथा अब एक लाख और सशस्त्र बलों को उतारा जा रहा है. क्या आप भी इसी तरह सेना भेजकर आदिवासी जनता को विस्थापित करेंगे और जनांदोलनों को कुचलने का सिलसिला जारी रखेंगे?

नक्सलियों ने यह भी पूछा है कि केंद्र ने खुदरा बाजार में 51 फीसदी से भी ज्यादा प्रत्यक्ष विदेशी पूंजी निवेश (एफडीआई) की छूट दे दी है. आप ने दिल्ली में इसका विरोध किया, क्या देश के बाकी हिस्सों में भी आप ऐसा ही होना सुनिश्चित करेंगे?

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अब केजरीवाल को इन सवालों के जवाब देने हैं. उन्होंने हालांकि गुरुवार को अपनी पार्टी का घोषणापत्र जारी कर दिया है. नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ की बस्तर लोकसभा सीट से आप ने शिक्षिका और सामाजिक कार्यकर्ता सोनी सोरी को चुनाव मैदान में उतारा है. सोनी पर नक्सलियों के मददगार होने का आरोप है. वह जेल भी गईं, लेकिन उन्हें सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिल चुकी है.

छत्तीसगढ़ में आप के संयोजक संकेत ठाकुर ने बताया कि सोनी सोरी ने 1,000 रुपये के ज्युडिशियल स्टाम्प पेपर पर अपना अलग से घोषणापत्र जारी किया है और कसम खाई है कि अगर वादे पूरे नहीं कर पाईं तो खुद इस्तीफा दे देंगी.

उम्मीदवारी की घोषणा के समय सोनी के बैंक खाते में मात्र 224 रुपये थे, मगर बाद में अमेरिका और कनाडा से उनके हितैषियों ने दान भेजना शुरू किया. स्थानीय कई एनजीओ ने भी स्वत: सोनी की मदद शुरू कर दी है. केजरीवाल के नाम जारी इन सवालों के साथ ही नक्सलियों ने लोकसभा चुनाव और ओडिशा में विधानसभा चुनाव के बहिष्कार को लेकर भी पोस्टर जारी किए हैं.

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