पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर चुनाव आयोग ने फिर से रैली और रोड शो पर ब्रेक लगा दिया है. चुनाव आयोग ने कोरोना के बढ़ते मामलों को देखते हुए 31 जनवरी तक रैली और रोड शो पर पाबंदी लगाई है. वहीं, डोर टू डोर कैंपेन के लिए 10 लोगों की इजाजत दे दी गई है. पहले डोर टू डोर कैंपेन 5 लोग ही कर सकते थे.
वैसे इन पाबंदियों के बीच इस बार दलों को कुछ छूट भी दी गई है. घर घर जाकर प्रचार कर रही टीम में कार्यकर्ताओं की संख्या दोगुनी करने पर मुहर लगा दी गई है. इसके अलावा फेज एक और दो मतदान वाले इलाकों में पहली फरवरी से छोटी जनसभा करने की भी छूट दे दी गई है. वहीं वीडियो वैन के जरिए डिजिटल प्रचार के लिए वैन को तय खुले स्थानों पर ही खड़ी करने की इजाजत रहने वाली है. ऐसे में कुछ राहत तो कुछ पाबंदी का दौर जारी रहने वाला है.
ये भी जानकारी दी गई है कि अब प्रत्याशी ओपन स्पेस में पब्लिक मीटिंग कर सकते हैं. लेकिन वो मीटिंग सिर्फ 500 लोग या फिर किसी भी जगह के 50 फीसदी कैपेसिटी के अंतर्गत की जाएगी. ऐसे में सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करना जरूरी रहेगा और सभी कोरोना प्रोटोकॉल्स को भी फॉलो करना होगा. अब ये भी स्पष्ट कर दिया गया है कि 28 जनवरी से पहले चरण के उम्मीदवार कुछ पाबंदियों के साथ अपना प्रचार कर पाएंगे, वहीं 1 फरवरी से दूसरे चरण के उम्मीदवार भी अपना प्रचार शुरू कर सकते हैं.
अब इन पाबंदियों को जारी रखने का फैसला चुनाव आयोग ने इसलिए लिया है क्योंकि कोरोना मामलों में अभी भी बड़ा उछाल देखने को मिल रहा है. चुनावी राज्यों में भी कोरोना का कहर जारी है, ऐसे में किसी भी तरह की लापरवाही नहीं की जा सकती. कहा जा रहा है कि अगर स्थिति सुधरेगी, तो आने वाले दिनों में छूट का दायरा और ज्यादा बढ़ाया जा सकता है. लेकिन अभी के लिए सभी पार्टियों को चुनाव आयोग के नियमों के मुताबिक ही प्रचार करना होगा.
हाल ही में समाजवादी पार्टी को एक नोटिस पहले ही मिल चुका है. लखनऊ की वर्चुअल रैली में सपा की तरफ से जो भीड़ जुटाई गई थी, उस वजह से चुनाव आयोग ने उन्हें नोटिस दिया था. पहली गलती होने की वजह से कोई एक्शन नहीं लिया गया, लेकिन एक सख्त चेतावनी जरूर जारी कर दी गई.