दिल्ली में 7 फरवरी को विधानसभा चुनाव का ऐलान होते ही सियासी गहमागहमी तेज हो गई है. इन चुनावों को
आम आदमी पार्टी(AAP) के संयोजक अरविंद केजरीवाल और बीजेपी का नेतृत्व करने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से सीधे तौर पर जोड़कर देखा जा रहा है.
साल 2013 के विधानसभा चुनावों में बीजेपी अरविंद केजरीवाल को कम आंकने का
खामियाजा दिल्ली में सत्ता से दूर रहकर भुगत चुकी है. जबकि 2013 में विधानसभा चुनावों में बीजेपी सबसे बड़ी पार्टी
के तौर पर उभरी थी. आगे जानिए कि दिल्ली विधानसभा चुनावों में केजरीवाल की आम आदमी पार्टी पीएम मोदी के
लिए क्यों डर का सबब बनी हुई है.
ये हैं वो 7 वजह जिसके चलते 'आप' से डरते हैं पीएम मोदी
1. आम आदमी पार्टी दिल्ली चुनावों में अरविंद केजरीवाल के नेतृत्व में लड़ने जा रही है. दिल्ली के लोग अब भी केजरीवाल को 'बदलाव का चेहरा' मानते हैं. 2013 विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने डॉ हर्षवर्धन को पार्टी का मुख्यमंत्री चेहरा बनाकर पेश किया था लेकिन इन चुनावों में बीजेपी को अब तक केजरीवाल को टक्कर देने लायक नेता नहीं मिला है.
2. 'आप' दिल्ली विधानसभा चुनावों के लिए काफी वक्त से तैयार दिख रही है. पार्टी ने 70 सीटों पर अपने उम्मीदवारों का पहले ही ऐलान कर दिया है. लोकसभा चुनाव में मिली हार के बाद 'आप' ने हरियाणा और महाराष्ट्र चुनाव लड़ने के बजाय दिल्ली चुनावों पर ही अपना ध्यान केंद्रित रखा. लेकिन इसके उलट बीजेपी हर चुनाव लड़ रही है और बीजेपी अब चुनाव की तारीखों के ऐलान के बाद उम्मीदवार तय नहीं कर पा रही है.
3. बीजेपी 'आप' को इन विधानसभा चुनावों में हल्के में नहीं ले सकती है. हालांकि लोकसभा चुनाव में बीजेपी का दिल्ली में काफी अच्छा प्रदर्शन रहा था लेकिन लगभग सभी सीटों पर आम आदमी पार्टी दूसरे नंबर पर रही थी. दूसरी वजह ये भी है कि 'आप' की छवि दिल्ली में बदलाव से जोड़कर देखी जाती है.
4. सिर्फ 49 दिन की सरकार के बाद केजरीवाल के इस्तीफा देने से लोगों में गुस्सा तो था, लेकिन इसके बावजूद भी लोकसभा चुनाव में आम आदमी पार्टी का वोट फीसद बढ़ा है. बीजेपी को विधानसभा चुनाव में 33 फीसदी वोट मिले थे, जबकि लोकसभा चुनाव में पार्टी को 46 फीसदी वोट मिले. इसके विपरीत आम आदमी पार्टी को विधानसभा चुनाव के 29 फीसदी की तुलना में लोकसभा चुनावों में 33 फीसदी वोट मिले थे.
5. दिल्ली के झुग्गी झोपड़ी इलाके में रहने वाले लोग अरविंद केजरीनवाल का समर्थन कर सकते हैं. इसके अलावा युवा मतदाताओं के बीच 'आप' अब भी लोकप्रिय है. 2013 विधानसभा चुनाव में 'आप' ने 28 सीटें जीती थीं जबकि 19 सीटों पर पार्टी दूसरे नंबर पर रही. दिल्ली की करीब 8 सीटों पर 'आप' 4 हजार वोटों से हारी थी.
6. मोदी और केजरीवाल दोनों की अद्भुत भाषण देते हैं. दोनों ही नेता आम आदमी और भ्रष्टाचार के खिलाफ बात करते हैं. अगर सिर्फ भ्रष्टाचार की ही बात करें तो दोनों नेताओं की छवि आम आदमी के बीच साफ है. लोकसभा चुनाव में लोगों ने विकास की संभावनाओं के मद्देनजर मोदी को वोट दिया था. ऐसे में दिल्ली विधानसभा चुनाव में केजरीवाल को वोट दे सकते हैं.
7. आम आदमी पार्टी सोशल मीडिया पर काफी मजबूत मानी जाती है. पीएम मोदी की तरह अरविंद केजरीवाल के भी ट्विटर, फेसबुक पर एक्टिव फॉलोअर्स हैं. सोशल मीडिया पर ज्यादा एक्टिव होने की वजह से 'आप' बीजेपी के युवा वोटर्स को अपनी तरफ लुभा सकते हैं.