भारतीय कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी) पश्चिम बंगाल में लंबे समय से सत्तारूढ़ है. इस बार पार्टी चुनाव में कैसा प्रदर्शन करती है, इसपर लोगों की निगाहें टिकी हुई हैं.
समझा जा रहा है कि पार्टी को तृणमूल कांग्रेस व कांग्रेस गठबंधन की ओर से भारी चुनौती मिल सकती है.
वैसे कांग्रेस और सीपीएम के बीच कांटे की लड़ाई में पहला हमला सीपीएम की ओर से हुआ था. पार्टी महासचिव प्रकाश करात की अगुवाई में सीपीएम ने अमेरिका के साथ परमाणु समझौते के मुद्दे पर यूपीए-1 से समर्थन वापस ले लिया था. इसके बावजूद सरकार सदन में विश्वास मत हासिल करने में सफल रही थी.
भारत की कम्यूनिस्ट पार्टी (मार्क्सवादी), जिसे माकपा के नाम से भी जाना जाता है, एक साम्यवादी दल है. इसकी स्थापना 1964 में हुई थी. अभी इस पार्टी के महासचिव प्रकाश करात हैं. इस पार्टी का युवा संगठन भारत की जनवादी नौजवान सभा है.
सीताराम येचुरी और बुद्धदेव भट्टाचार्य सीपीएम के सौम्य चेहरे के रूप में गिने जाते हैं. वैसे सीपीएम के प्रति कांग्रेस के मन में आई कड़वाहट भी तनिक भी कम नहीं हुई है.