नरेंद्र मोदी के राज्य गुजरात में विधानसभा चुनाव को दो महीने रह गए हैं. उधर मुकाबले के लिए तैयार एकजुट कांग्रेस को देखते हुए मुख्यमंत्री मोदी अपने मतदाताओं से अपनी भाषण कला के माध्यम से संवाद कर रहे हैं. उनके भाषणों के चलते उनकी विवेकानंद विकास यात्रा राज्य के अधिकांश हिस्सों में भारी भीड़ खींच रही है.
24 सितंबर को सौराष्ट्र के कांग्रेसी गढ़ धोराजी में एक बड़ी रैली को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा, ''कांग्रेस के कुशासन के छोड़े गए गड्ढों को भरने के लिए मैं पिछले 10 वर्षों से संघर्ष कर रहा हूं.” कांग्रेस के इस बयान पर प्रतिक्रिया व्यक्त करते हुए कि मोदी और राहुल गांधी के बीच कोई तुलना नहीं की जा सकती. इस पर, उन्होंने 17 सितंबर को राजकोट की युवा रैली में कहा, ''कोई तुलना कैसे हो सकती है? मैं एक क्षेत्रीय नेता हूं. वे एक अंतरराष्ट्रीय नेता हैं. वे तो इटली में भी चुनाव लड़ सकते हैं.” इसी कड़ी में 22 सितंबर को सुरेंद्रनगर की एक सभा में 'कोल-गेट’ पर उन्होंने कहा, ''अपने घरों के बाहर कोयला छोड़ते हुए हम कभी नहीं डरे क्योंकि हम सोच भी नहीं सकते थे कि उसकी भी चोरी हो सकती है. कांग्रेस की अगुआई वाली यूपीए उसकी भी चोरी कर रही है. आज एआइसीसी का मतलब ऑल इंडिया कोल कांग्रेस हो चुका है.” एक अन्य सभा में एफडीआइ पर अड़ी केंद्र सरकार का असली चेहरा दिखाने के लिए उन्होंने अब्राहम लिंकन के एक प्रसिद्ध कथन को इस तरह प्रस्तुत किया, ''मनमोहन ने लोकतंत्र की परिभाषा को बदल दिया है. उनकी सरकार 'विदेशियों की, विदेशियों द्वारा और विदेशियों के लिए है.”
इस लफ्फाजी के साथ लोकलुभावनवाद भी जुड़ा हुआ है. तीन नए जिलों सोमनाथ, वेरावल और अरावली का नामकरण क्षेत्रीय गौरव को जगाने के लिए किया गया है—सोमनाथ का मंदिर के नाम पर और अरावली का महाराणा प्रताप के पराक्रम की साक्षी पहाडिय़ों के नाम पर. दो छोटे कस्बों, छोटा उदयपुर और बोटाड को इन जिलों का मुख्यालय बनाया गया है. नई रेवडिय़ों में सरकारी कर्मचारियों की भर्ती की उम्र सीमा में बढ़ोतरी और किसानों को कर्ज की ब्याज दरों में 50 फीसदी की कमी शामिल है.
कांग्रेस ने भी हमला तेज कर दिया है. 400 करोड़ रु. के मत्स्य पालन घोटाले जिन्हें मत्स्य पालन मंत्री पुरुषोत्तम सोलंकी फंसे हैं, के बाद पार्टी ने सरकार से इस्तीफा देने की मांग की है. कांग्रेस के तीन नेता—शंकर सिंह वाघेला, शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोधवाडिया—मोदी के खिलाफ अपनी लड़ाई में एक साथ आ गए हैं. चुनाव प्रचार समिति के अध्यक्ष वाघेला कहते हैं, ''मोदी भ्रम के सहारे अपने खराब प्रदर्शन को ढकने की कोशिश कर रहे हैं. लेकिन मतदाता उनका खेल समझ गए हैं.”फिर भी मोदी खुद को पीड़ित व्यक्ति के रूप में प्रस्तुत करना जारी रखे हुए हैं. उनकी रैलियों की स्थायी टेक है, ''हम रोजाना सीबीआइ और एसआइटी जांचों का सामना करते हैं. कांग्रेस को भी कोल-गेट के मामले पर कम से कम एक जांच का सामना करना चाहिए.” मोदी के पास कभी शब्दों की कमी नहीं होती.
हिमाचल प्रदेशप्रदेश में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर सत्ताधारी भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और विपक्षी कांग्रेस एक-दूसरे के खिलाफ जमकर नारेबाजी कर रही हैं. पेश है एक बानगी:
बीजेपी का नारा
'कहो दिल से,
धूमल फिर से’
कांग्रेस का जवाबी नारा
'कहो दिल से,
करप्शन फिर से’
कोई कसर बाकी नहीं छोड़ेंगे
गुजरात में 15 फीसदी आदिवासी वोटों को लुभाने के लिए बीजेपी कोई कसर बाकी नहीं छोड़ रही है. 12&15 फुट के परदों और मुख्यमंत्री मोदी के पोस्टरों वाली 25 एलईडी वैन आदिवासी क्षेत्रों में दौरा कर रही हैं. 50 मिनट की एक फिल्म इस रोड शो का मुख्य आकर्षण है. यह एक मनोहर दृश्य से शुरू होती है जिसमें सुबह के सूरज के साथ आदिवासी लड़के धनुष उठा रहे हैं, और इसमें आदिवासी लोगों के लिए चलाई गई सरकार की योजनाओं की सफलता का बखान करने वाले गाने हैं. फिल्म में इन क्षेत्रों में पहले पहल विज्ञान स्कूल खोलने की मोदी की सफलता, 1,50,000 आदिवासी युवाओं को कुशल नौकरियों के लिए प्रशिक्षित किए जाने, 20 आदिवासी लड़कों को कॉमर्शियल पायलट और एक आदिवासी लड़की को एयरहॉस्टेस बनने में सक्षम बनाने की भी शेखी बघारी गई है. वैन भारी भीड़ को आकर्षित कर रही हैं.
कांग्रेस के लिए इशारा
हिमाचल प्रदेश के दिग्गज नेता वीरभद्र सिंह कांग्रेसी मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में 10 जनपथ से अपना नाम घोषित किए जाने का इंतजार करने के लिए तैयार नहीं हैं. राज्य के पांच बार मुख्यमंत्री रह चुके इस नेता के शिमला और दूसरे शहरों में बड़े-बड़े होर्डिंग नजर आने लगे हैं. उन्हें रणनैतिक रूप से मुख्यमंत्री प्रेम कुमार धूमल की 'उपलब्धियों’ का बखान करने वाले सत्तारूढ़ बीजेपी के विज्ञापनों की बगल में या उनके सामने लगाया गया है. वीरभद्र सिंह के जनता के लिए खुले घर के बाहर एक बिलबोर्ड पर लिखा है, ''यहां के समस्त विकास में हमारा हाथ रहा है.” यह सब तो ठीक है लेकिन क्या 10 जनपथ मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के रूप में उनके नाम की घोषणा करेगा?
उम्मीद की नई नहर
गुजरात के मुख्यमंत्री की बड़ी चिंता का सबब सौराष्ट्र है जहां प्रतिद्वंद्वी केशुभाई पटेल, लेउवा पटेल और अन्य जातियों के बीच मोदी विरोधी भावनाओं को हवा दे रहे हैं. अपने क्षेत्र में कांग्रेस भी टीवी विज्ञापनों में गुजरात के किसानों की आत्महत्या को मुद्दा बना रही है. मोदी देर से हुई बारिश से मिली अंतिम क्षण की राहत को भुनाने की कोशिश कर रहे हैं. 25 सितंबर को उन्होंने इस क्षेत्र के अधिकतर जिलों तक पहुंचने वाली सौराष्ट्र नर्मदा सिंचाई योजना के तीसरे चरण की घोषणा की. राजकोट में किसानों की एक सभा में इस पर 13 मिनट की एक फिल्म दिखाई गई. देखना यह है कि नर्मदा नहर मोदी की तकलीफों को दूर कर पाएगी या नहीं.
मोदी बनाम केंद्र
चुनावों को देखते हुए मोदी और कांग्रेस एक ऐसे विज्ञापन युद्ध में उलझ गए हैं जिसमें कुछ भी मना नहीं है. कांग्रेस ने दो माह पहले टीवी विज्ञापन के जरिए मोदी सरकार के लंबे-लंबे दावों की धज्जियां उड़ाईं. एक महिला मतदाताओं से कहती है, ''बहुत हो चुका. आइए दिशा बदलें और अपनी तकदीर भी.” एक माह बाद दो विज्ञापनों के साथ मोदी ने पलटवार किया—एक में केंद्र के 'अन्याय’ को दिखाया गया था जबकि दूसरे विज्ञापन में दिल्ली पर आरोप लगाया गया कि वह निवेशकों को डराकर राज्य से दूर कर रही है.