चुनाव आयोग ने शुक्रवार को इस्पात मंत्री श्रीप्रकाश जायसवाल को उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन संबंधी उनकी टिप्पणियों को लेकर आचार संहिता के कथित उल्लंघन के लिए नोटिस जारी किया.
आयोग ने अपने नोटिस में कहा है कि आयोग को प्रथम दृष्टया लगता है कि उपरोक्त बयान देकर मतदाताओं को डराने का प्रयास किया गया है कि या तो उनकी पार्टी कांग्रेस को वोट दें या उततर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन का सामना करें और इस प्रकार उन्होंने आदर्श चुनाव आचार संहिता का उल्लंघनप किया है.
आयोग ने कोयला मंत्री से सोमवार 27 फरवरी को दोपहर दो बजे तक अपना जवाब दाखिल करने को कहा है. आयोग ने अपनी बैठक में इस मुद्दे पर विचार विमर्श किया और जायसवाल को कारण बताओ नोटिस जारी करने का निर्णय करते हुए कहा कि उत्तर प्रदेश में राष्ट्रपति शासन की संभावनाओं पर उनकी टिप्पणियों के लिए क्यों नहीं उनके खिलाफ कार्रवाई की जाये. बैठक में मुख्य चुनाव आयुक्त एस वाई कुरैशी और दोनों चुनाव आयुक्त वी एस संपत और एच एस ब्रहमा उपस्थित थे.
आयोग की यह कार्रवाई भाजपा और समाजवादी पार्टी की शिकायतों के मद्देनजर सामने आयी है. भाजपा ने शिकायत की थी कि जायसवाल ने इस तरह का बयान देकर चुनाव आचार संहिता का उल्लंघन किया है. कानपुर से कांग्रेस सांसद जायसवाल ने पांचवें चरण के मतदान के दौरान अपना वोट डालने के बाद पत्रकारों से बातचीत में कहा कि अगर कांग्रेस को बहुमत मिलता है तो वह सरकार बनाएगी. अगर हमें स्पष्ट बहुमत नहीं मिला तो हम विपक्ष में बैठेंगे और मुझे राष्ट्रपति शासन के अलावा और कोई विकल्प नजर नहीं आता.
जायसवाल ने कहा कि जिन लोगों में विश्वास की कमी होती है वह गठबंधन की बात करते हैं, कांग्रेस कोई गठबंधन नहीं करेगी लेकिन दिल्ली पहुंचने के फौरन बाद जायसवाल अपने बयान से पीछे हटते नजर आए और उन्होंने कहा कि संवाददाताओं ने उनके बयान को ‘तोड़ मरोड़कर’ पेश किया है.
जायसवाल ने कहा कि हकीकत यह है कि उत्तर प्रदेश में हम स्पष्ट बहुमत के साथ सरकार बनाएंगे और कोई ऐसा होने से रोक नहीं सकता. उन्होंने दावा किया कि कुछ पत्रकारों ने उनसे पूछा था कि अगर कोई भी पार्टी राज्य में सरकार बनाने में सफल नहीं हुई तो ऐसी हालत में संवैधानिक प्रावधान क्या होंगे.
जायसवाल ने स्पष्ट किया कि मैंने उन्हें वह बताया था, जिसका संविधान में उल्लेख है. वह यह है कि ऐसी हालत में राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है. आयोग ने इससे पहले जायसवाल के भाषण का वीडियो मंगाया था और साथ ही जिला प्रशासन से रिपोर्ट भी मंगवाई थी.