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चुनाव करीब आते ही धार्मिक हुए करुणानिधि

आपको ''63 नयनमारों (तमिल शैव संतों) की तरह 63 सीटें दी गई हैं. उसी भक्ति के साथ ये सीटें आपको स्वीकार कर लेनी चाहिए, जैसी भक्ति नयनमारों की थी.'' कांग्रेस के साथ सीटों के लिए सौदेबाजी के तीन दिनों का खेल खत्म होने के बाद करुणानिधि ने यह घोषणा की थी.

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परिवार के साथ करुणानिधि
परिवार के साथ करुणानिधि

आपको ''63 नयनमारों (तमिल शैव संतों) की तरह 63 सीटें दी गई हैं. उसी भक्ति के साथ ये सीटें आपको स्वीकार कर लेनी चाहिए, जैसी भक्ति नयनमारों की थी.'' कांग्रेस के साथ सीटों के लिए सौदेबाजी के तीन दिनों का खेल खत्म होने के बाद करुणानिधि ने यह घोषणा की थी.

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कट्टर नास्तिक द्रमुक के मुखिया द्वारा धर्म का जिक्र करना उनके भीषण असुरक्षा बोध का ही पता देता है. यह पहली बार नहीं है, जब करुणानिधि ने अपने किसी सहयोगी के साथ धमकी और ब्लैकमेल की राजनीति की है. वे इससे पहले भी यूपीए के साथ ऐसा कर चुके हैं और उससे पहले राजग को भी इस रवैए की झलक दिखा चुके हैं. उन्हें मोलभाव में हमेशा ही सफल होने की कला आती रही है, लेकिन ऐसा लगता है कि इस बार वे कांग्रेस के साथ लड़ाई हार चुके हैं, दिखावा चाहे कुछ भी हो.

2जी घोटाले की द्रमुक और कलैगनर को भारी कीमत चुकानी पड़ी है. द्रमुक के वयोवृद्ध मुखिया को पूर्व टेलीकॉम मंत्री ए. राजा से भी ज्यादा अब इस घोटाले की आंच अपने परिवार पर पड़ने की चिंता सता रही है. दिल्ली के सत्ता गलियारों में चर्चा आम है कि 2जी घोटाले की जांच के तेजी से बढ़ते दायरे में अब सीबीआई करुणानिधि की बेटी और राज्यसभा सांसद कनिमोलि और उनकी पत्नी राजती से पूछताछ कर सकती है. कनिमोलि या राजती का इस घोटाले से सीधा जुड़ाव पार्टी के लिए भी और व्यक्तिगत रूप से करुनानिधि के लिए अनर्थकारी होगा. {mospagebreak}

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सीबीआई सुप्रीम कोर्ट में 15 मार्च को एक स्टेटस रिपोर्ट और 31 मार्च को आरोपपत्र पेश करेगी. कांग्रेस और करुणानिधि के बीच हुई बातचीत के दौरान उपस्थित रहे सूत्र बताते हैं कि यूपीए सरकार से अपने मंत्रियों को वापस बुलाने की धमकी देने के बाद करुणानिधि सरकार के इसी आश्वासन पर कांग्रेस की 63 सीटों की मांग के आगे झुके कि 2जी घोटाले की जांच में उनके परिवार को परेशान नहीं किया जाएगा. लेकिन मुश्किल समय में कांग्रेस से मिला यह आश्वासन भी काफी नहीं है. अपनी पार्टी की परंपराओं से पीछे हटते हुए तमिलनाडु का प्रथम परिवार विधानसभा चुनाव में जीत के लिए ईश्वर की मदद और ज्योतिषियों से सलाह मांग रहा है, जबकि 2जी घोटाले से राज्य में पार्टी की छवि खराब हुई है.

1960 में एक शीर्ष पटकथा लेखक के तौर पर करुणानिधि ने एक के बाद एक फिल्म में उग्र संवाद लिखे थे, जिनके जरिए तर्क और विवेक का मजबूत संदेश दर्शकों में गया था. उन्होंने कई अंधविश्वासों पर भी तीखे सवाल किए थे. यह उस द्रविड़ आंदोलन के अनुरूप था, जिसकी नींव ही विवेकशीलता की विचारधारा पर बनी थी. जबकि आज कुछ लोगों के अनुसार, द्रमुक के वही मुखिया ज्योतिषी की सलाह पर पीली शॉल ओढ़ते हैं. {mospagebreak}

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ज्योतिषियों के पास सलाह के लिए सिर्फ करुणानिधि ही नहीं दौड़ रहे. द्रमुक नेता के दूसरे परिवार (पत्नी दयालु और बेटा एम.के. स्टालिन) और तीसरे परिवार ने भी (पत्नी राजती और बेटी कनिमोलि) ज्योतिषियों से सलाह ली है. उनके एक पारिवारिक ज्योतिषी की भविष्यवाणी संकट में फंसे इस परिवार के लिए शायद ही कोई राहत लेकर आई हो. एक पारिवारिक ज्योतिषी ने इंडिया टुडे को नाम न छापने की शर्त पर बताया, ''मैंने कई साल पहले ही द्रमुक के इस पतन की भविष्यवाणी कर दी थी. ग्रहों की स्थिति देखते हुए मैंने उन्हें कुछ प्रसिद्ध मंदिरों में खास पूजा करने की सलाह दी थी, ताकि ग्रहों का असर कुछ कम हो.'' उनका कहना है कि हालांकि करुणानिधि के ग्रह अब अच्छे हैं, लेकिन उनके बेटे स्टालिन और बेटी कनिमोलि के ग्रहों में जीत के संकेत नहीं दिखाई दे रहे.

हाल ही में राजती ने पूरे राज्य की धार्मिक यात्रा शुरू की है. एक सप्ताह पहले उन्होंने तिरुनेलवेली के प्रसिद्ध नेल्लअयप्पार मंदिर में पूजा की. राज्य के आईटी मंत्री पूनगोताई अलादी अरुणा के साथ उस मंदिर में जाकर उन्होंने श्री गंधिमती देवी और भगवान नेल्लअयप्पार (शिव) के सामने प्रार्थना की. वे वहां 50 मिनट रुकीं और उस दौरान वहां के पुजारियों ने अर्चना और विशेष दीपाराधना की. अपनी इस यात्रा के दौरान वे तिरुनेलवेली के नजदीक नव तिरुपति (नौ पवित्र वैष्णव) मंदिर में भी गईं. {mospagebreak}

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करुणानिधि पिछले साल से दूसरे अंधविश्वासों का पालन कर रहे हैं. 2010 में विशाल तंजावुर मंदिर के सहस्राब्दी समारोह में उन्होंने भाग लिया था, हालांकि राजनैतिक विवाद से बचने के लिए तब उन्होंने मंदिर के मुख्य द्वार का इस्तेमाल नहीं किया था. बताया जाता है कि इस मंदिर के मुख्य द्वार से प्रवेश करने पर इंदिरा गांधी को सत्ता खोनी पड़ी थी, जबकि एम.जी. रामचंद्रन को दिल का दौरा पड़ा था. इसी के बाद से इस मंदिर में आने के लिए नेता लोग बगल के दरवाजे का इस्तेमाल करते हैं.

हाल की घटनाओं से करुणानिधि के वंशजों में बढ़ती धार्मिक आस्था का ही पता चलता है. 2009 में लोकसभा चुनाव के दौरान द्रमुक मुखिया के बेटे और मदुरै से सांसद एम.के. अलगिरि ने अपने चुनाव अभियान की शुरुआत एक प्रसिद्ध मंदिर से की थी और तब उस मंदिर की ओर से उन्हें सम्मानित भी किया गया था. कनिमोलि कुछ ही महीने पहले विख्यात वैष्णव मंदिर श्रीरंगम गई थीं. 2010 में जब वे अपनी मां राजती के साथ तंजावुर के पुन्नइन्नाल्लुर मरियम्मम मंदिर के सहस्राब्दी समारोह में गई थीं, तब उन्होंने वहां पूजाअर्चना भी की थी. {mospagebreak}

करुणानिधि के उत्तराधिकारी और राज्य के उपमुख्यमंत्री स्टालिन ने पिछले दिनों सत्य साईं बाबा के दर्शन कर उनका आशीर्वाद लिया. राजती ने तो उनके पांव भी छुए. कलैगनर ने पिछले दिनों माता अमृतानंदमयी और इशा फाउंडेशन के जग्गी वासुदेव के दर्शन किए. जब करुणानिधि से धार्मिक और आध्यात्मिक नेताओं से मेलमिलाप की वजह पूछी गई, तो उनका जवाब था कि उन धार्मिक नेताओं से तालमेल रखना कतई गलत नहीं है, जो लोगों के कल्याण के लिए काम करते हैं.

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द्रमुक के चुनाव अभियान में हिंदू मिथकीय आख्यानों के रूपक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं- ऐसी कई मिसालें हैं, जब भगवद्‌गीता से प्रेरणा लेकर पार्टी के चुनावी पोस्टरों में करुणानिधि और स्टालिन को क्रमशः भगवान कृष्ण और अर्जुन के रूप में दिखाया गया. पहले भी अपनी सरकार के कार्यक्रमों को प्रचारित करने के लिए द्रमुक ने धार्मिक रूपकों का प्रयोग किया था.

अक्तूबर, 2009 में अखबारों में सरकार की एक बहुद्देश्यीय मेडिकल इंश्योरेंस योजना की शुरुआत का विज्ञापन दिया गया, जिसमें मृत्यु के देवता 'यम' को एक मजबूत सांड की पीठ पर बैठे हुए मृत्यु शैया पर पड़े एक बूढ़े आदमी की तरफ एक रस्सी फेंकते दिखाया गया था. लेकिन इससे पहले कि वह रस्सी उस बूढ़े तक पहुंचती, पूरे बाजू की सफेद शर्ट पहने और पीली शॉल ओढ़े रहने का हल्का सा संकेत देता एक हाथ बीमार आदमी को बचाने के लिए उस रस्सी को पकड़ लेता है. विज्ञापन बताता है, ''कालामवीसुम केइयेत्रेइ ताडुक्का कलैगनर कापीतु थिट्‌टम,' यानी यम की रस्सी को बेअसर करने के लिए कलैगनर इंश्योरेंस स्कीम. {mospagebreak}

दरअसल यह कांग्रेस ही है, जिसने राजनीति की लंबी पारी खेलने वाले 86 वर्षीय करुणानिधि की आखिरी नौटंकी को निष्फल कर दिया है. भ्रष्टाचार के खुलासे के बाद अपनी पार्टी और ए. राजा का बचाव करने के मामले में मुश्किल में फंसे द्रमुक के मुखिया को अब यह उम्मीद करनी चाहिए कि उनकी अति नाटकीयता पार्टी के मनोबल को हर स्तर पर ऊंचा उठाने में मदद करेगी. कांग्रेस के साथ करुणानिधि की सौदेबाजी से पार्टी कार्यकर्ताओं में यह संदेश गया ही होगा कि यह द्रमुक ही है, जो कांग्रेस को हिलाने की ताकत रखती है, इसलिए सीटों के बंटवारे में द्रमुक का रुख ही निर्णायक रहा है.

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2जी घोटाले की जांच के मामले में कांग्रेस की तरफ से करुणानिधि को मिला आश्वासन ज्यादा मायने नहीं रखता, क्योंकि इस जांच में सीबीआई सीधे सुप्रीम कोर्ट को रिपोर्ट कर रही है. लेकिन द्रमुक मुखिया के पास विकल्प सीमित ही हैं. जयललिता के हाथों उनकी हार के आसार हैं. 2जी घोटाले में आरोपित होने के बाद उनके विरोधी उनके परिवार के खिलाफ कदम उठाएंगे. इसी के साथ केंद्र में भी सत्ता खोने का मतलब और ज्यादा टूट होना होगा. यही वह परिदृश्य है, जहां करुणानिधि, उनकी पत्नियों, बेटों और बेटी को बचा पाना भगवान के लिए भी मुश्किल है. छह दशकों की राजनीति के बाद करुणानिधि को यह कड़वी हकीकत तब समझ में आई होगी, जब उन्होंने 8 मार्च को 63 सीटों की कांग्रेस की 'अतार्किक' मांग को स्वीकार किया होगा.
-साथ में आनंद नटराजन

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