विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सत्ताधारी माकपा नीत एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ अपने-अपने सहयोगियों से सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर बातचीत में जुट गए हैं."/> विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सत्ताधारी माकपा नीत एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ अपने-अपने सहयोगियों से सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर बातचीत में जुट गए हैं."/> विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सत्ताधारी माकपा नीत एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ अपने-अपने सहयोगियों से सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर बातचीत में जुट गए हैं."/>
केरल में 13 अप्रैल को होने वाले विधानसभा चुनावों के मद्देनजर सत्ताधारी माकपा नीत एलडीएफ और कांग्रेस के नेतृत्व वाला यूडीएफ अपने-अपने सहयोगियों से सीटों के बंटवारे के मुद्दे पर बातचीत में जुट गए हैं.
माकपा पोलितब्यूरो और केंद्रीय समिति इस बारे में विमर्श के लिए इस सप्ताह के अंत में दिल्ली में मिलने वाली है . बैठक में इस बात पर भी फैसला होगा कि क्या मुख्यमंत्री वी एच अच्युतानंदन को दोबारा एलडीएफ का मुखिया बनाया जाए.
पार्टी सूत्रों के मुताबिक, बैठक में इस बात पर भी चर्चा होगी कि अच्युतानंदन के मैदान से हटने के बाद पार्टी का मुखिया कौन होगा.
अच्युतानंदन के हटने पर माकपा प्रदेश सचिव पिनारायी विजयन या प्रदेश के गृह मंत्री कोदियारी बालाकृष्णन को यह पद मिल सकता है.
एलडीएफ में सीटों की भागीदारी की प्रक्रिया उतनी कठिन नहीं होगी, जितनी यह यूडीएफ के लिए हो सकती है क्योंकि पिछले विधानसभा चुनाव के बाद से एलडीएफ में कोई नया सहयोगी नहीं जुड़ा है, जबकि यूडीएफ के साथ ऐसा नहीं है.{mospagebreak}
माकपा सूत्रों के मुताबिक एलडीएफ की सीटों की बड़ी संख्या माकपा के पास ही जाएंगी, जिसके बाद भाकपा, आरएसपी, केरल कांग्रेस और कांग्रेस-एस की बारी आएगी.
यूडीएफ में इस बार केरल कांग्रेस (मणि धड़ा) पिछली बार की तुलना में ज्यादा सीटों की मांग कर सकता है. माना जा रहा है कि इंडियन यूनियन मुस्लिम लीग भी इस बार ज्यादा सीटों की मांग कर सकती है.
यूडीएफ को इस बार एसजेडी को भी सीटें देनी होंगी. पूर्व केंद्रीय मंत्री एम पी वीरेंद्रकुमार के नेतृत्व वाली यह पार्टी 2009 के लोकसभा चुनाव के दौरान एलडीएफ से अलग हो गई थी.
केरल में 2006 के विधानसभा चुनाव में एलडीएफ को 98 सीटें मिलीं थीं, जबकि यूडीएफ को 42 सीटों से ही संतोष करना पड़ा था.