बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर कुछ टीवी चैनलों के गत 20 नवंबर को प्रसारित एक्जिट पोल सर्वेक्षण में राजग को इस चुनाव में सबसे अधिक सीटें मिलने पर राजद सुप्रीमो लालू प्रसाद द्वारा चैनलों की खिंचाई किए जाने पर प्रदेश के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने उसे आज औचित्यहीन बताया और कहा कि चुनाव परिणाम के बाद उनकी परेशानी और बढेगी.
नीतीश ने आज यहां संवाददाताओं से कहा, ‘चाहे वह चुनाव पूर्व का सर्वेक्षण हो या चुनाव के बाद सर्वेक्षण हो, हमारा काम था जनता के बीच जाकर अपनी बातें रखना. हम लोगों ने अपनी बातें रखी हैं और लंबा चुनाव अभियान चला है. हम तो जनादेश यात्रा पर थे और उसके बाद कल 24 नवंबर को मतगणना होगी, जिसके बाद परिणाम लोगों के सामने होगा.’
नीतीश ने कहा, ‘चुनावी सर्वेक्षणों को लेकर लालू जी या किसी को कोई परेशानी है तो उसे कोई दूर नहीं कर सकता क्योंकि वह परेशानी उनकी स्वयं की बनायी गयी है, जिसके लिए वे स्वयं जिम्मेदार हैं.’ नीतीश ने कहा, ‘एक्जिट पोल सर्वेक्षण को लेकर एक दिन प्रतिक्रिया व्यक्त कर देने के बाद फिर दोबारा प्रतिक्रिया व्यक्त की. इसका क्या मतलब और इसका क्या औचित्य है.’
एक्जिट पोल सर्वेक्षण को लेकर लालू द्वारा टीवी चैनलों की खिंचाई किए जाने पर और मीडिया द्वारा स्वयं को प्रताडित किए जाने को लेकर उनके बयान के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने आरोप लगाया कि पिछले 15 वर्षों के राजद शासन के दौरान प्रदेश में लोग उनकी प्रताडना झेलते रहे हैं.{mospagebreak}
बिहार विधानसभा चुनाव में राजग की जीत सुनिश्चित होने को लेकर पूछे जाने नीतीश ने कहा कि वे ऐसा कोई दावा नहीं करते पर उस परिणाम से लालू जी की परेशानी और बढ जाएगी. उन्होंने कहा कि वे इस बारे में कोई कयास नहीं लगाते बल्कि प्रदेश के एक आम नागरिक की तरह मतगणना के परिणामों का उन्हें भी कल इंतजार रहेगा और राज्य की जनता का जो भी आदेश होगा वह उन्हें स्वीकार्य होगा.
नीतीश ने कहा कि अगर प्रदेश की जनता उन्हें आगे काम करने का आदेश देती है अथवा नहीं दोनों परिस्थिति उन्हें स्वीकार्य होगी.
नीतीश ने कहा कि इसी मीडिया ने राष्ट्र को कहां से कहां तक पहुंचाया. उन्होंने कहा, ‘मैं नहीं समझता कि इसमें मीडिया का राजनीतिक उपयोग हुआ बल्कि उसका प्रचार में सबसे अधिक सहयोग मिला है.’ नीतीश ने कहा, ‘मीडिया से यह उम्मीद करना कि वह हर समय आपके पक्ष में ही बोले यह संभव नहीं है.’ उन्होंने लालू के बारे में कहा कि वे नहीं समझते कि मीडिया में जितनी कवरेज उन्हें दी उतनी किसी अन्य राजनीतिज्ञ को दी होगी.
नीतीश ने कहा कि कल जब परिणाम आएंगे तो वह सबको सर्वमान्य होगा. इसलिए इसको लेकर किसी को बेचैन होने की जरूरत नहीं है.
एक्जिट पोल सर्वेक्षण में प्रदेश की नीतीशनीत राजग गठबंधन को सबसे अधिक सीटें हासिल होने की बात को लेकर लालू प्रसाद की नाराजगी के बारे में पूछे जाने पर नीतीश ने कहा कि एक्जिट पोल एवं सर्वेक्षण की पूर्व से ही परंपरा रही है.{mospagebreak}
नीतीश ने कहा कि पूर्व में प्रत्येक चरण के मतदान के बाद एक्जिट पोल आता है, लेकिन इस बार तो पूरा चुनाव समाप्त हो जाने के बाद एक्जिट पोल आया है. इसलिए चुनाव पर इसका कोई प्रभाव पडने वाला नहीं है. उन्होंने कहा कि टीवी चैनलों द्वारा जो एक्जिट पोल कराया जाता है उस बारे में वे बेहतर तौर पर जानते होंगे कि कितना सही और कितना गलत होता है, लेकिन इतना तय है कि लोग उसका इंतजार करते हैं.
नीतीश ने कहा कि जिस तरह ट्रेन से यात्रा के प्लेटफार्म पर गाडी का इंतजार करते हुए समय बिताते हैं. इसी प्रकार मतदान समाप्त हो जाने और मतगणना की तिथि तक परिणाम आने के बीच चुनाव के परिणामों को लेकर मीडिया की ओर से कुछ भी प्रस्तुत किया जाता है तो उसको लेकर किसी को बौखलाहट नहीं होनी चाहिए.
इस चुनाव में राजग को बहुमत मिलने पर नई सरकार के शपथ ग्रहण कार्यक्रम में गुजरात के मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी को आमंत्रित किए जाने को लेकर पूछे गए एक प्रश्न को टालते हुए नीतीश ने कहा कि मतगणना का परिणाम आने के बाद आगे की परिस्थिति के बारे में बोलेंगे.
बिहार में सत्तासीन राजग गठबंधन के घटक दलों जदयू एवं भाजपा के एक साथ मिलकर चुनाव लडने के बावजूद नीतीश द्वारा भाजपा के वरिष्ठ नेता लालकृष्ण आडवाणी के साथ एक मंच पर नहीं आने के बारे में पूछे जाने पर उन्होंने राजग के पूरी तरह एकजुट होने की बात कही.
नीतीश ने कहा, ‘इसका बहुत अर्थ नहीं निकला जाना चाहिए, छठे चरण के चुनाव को छोडकर बाकी चरणों में समय कम था और सीटें अधिक थी. यही कारण है कि सभी सीटों पर हम लोग पहुंच नहीं पाए.’ उन्होंने कहा, ‘इस बार जो चुनाव की तारीखें थीं और कार्यक्रम था उसके मुताबिक एक साथ घूमने में जनसभाएं घट जातीं और इसी को ध्यान में रखकर चुनावी सभाओं के कार्यक्रम तैयार किए गए थे.’{mospagebreak}
नीतीश ने कहा, ‘अंतिम चरण में हम कई जगह साथ घूमे और हमारी मुलाकात भाजपा के कई वरिष्ठ नेताओं अरूण जेटली, सुषमा स्वराज और सुशील कुमार मोदी आदि के साथ हुई.’ उन्होंने कहा कि चुनाव के दौरान जदयू और भाजपा के नेताओं की कई स्थानों पर संयुक्त सभाएं हुईं और एक-दूसरे के प्रत्याशियों के लिए दोनों दलों के नेताओं ने प्रचार किया.