बात ज्यादा पुरानी नहीं है. आर्थिक विकास के मामले में उत्तर प्रदेश पिछड़ा हुआ करता था. 1999 और 2008 की अवधि में जब भारत 7.4 फीसदी की औसत से विकास कर रहा था, उत्तर प्रदेश ने 4.4 फीसदी सालाना की औसत वृद्धि दर दर्ज की. यह राष्ट्रीय औसत से 3 फीसदी कम थी. मायावती के पिछले साढ़े चार साल के शासनकाल में परिदृश्य बदल चुका है. इस अवधि में राज्य ने 7.28 फीसदी की औसत वृद्धि दर दर्ज की है. यह भारत की 8.15 फीसदी की औसत से लगभग 1 फीसदी पीछे है. 2010-11 में राज्य का सकल घरेलू उत्पाद बढ़कर 8 फीसदी पर पहुंच गया है, जो देश के राष्ट्रीय औसत 8.4 फीसदी के काफी करीब है.
14 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
07 दिसंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
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केवल पांच राज्य ही ऐसे हैं, जिन्होंने 11वीं पंचवर्षीय योजना 2007 और 2012 में दी गई अपनी तय वृद्धि दर से ज्यादा तेजी से विकास किया है. ये राज्य हैं: बिहार, छत्तीसगढ़, महाराष्ट्र, पंजाब और यूपी. बिहार और छत्तीसगढ़ में, अपने सुशासन के दम पर ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और रमन सिंह सत्ता में लगातार दूसरी बार वापसी करने में सफल रहे हैं. इन दो राज्यों ने यूपी की अपेक्षा काफी तेजी से विकास किया है. इन्होंने 11.44 फीसदी (बिहार) और 9.71 (छत्तीसगढ़) फीसदी की औसत वृद्धि दर दर्ज की.
30 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
बिहार की तरह यूपी में भी उछाल सरकार आधारित निर्माण से हुआ है. विशेषकर सड़कों से. इंडिया टुडे की राज्यों की दशा और दिशा रिपोर्ट में सहयोगी लेखक बिबेक देबरॉय कहते हैं, ''राजमार्गों से ज्यादा, प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना (पीएमजीएसवाइ) के तहत काफी कारगर ढंग से काम हुआ है.'' पीएमजीएसवाइ के तहत 2007 में 16,000 किमी सड़क निर्माण का आंकड़ा 2010 में 35,000 किमी पर पहुंच गया. मायावती सरकार ने सोशल इंफ्रास्ट्रक्चर में सुधार की दिशा में भी काफी काम किया है. राज्य में शिशु मृत्यु दर में भी कमी आई है.
16 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडे
2007 में 1,000 बच्चों पर 71 शिशुओं की मौत होती थी जो 2010 में 63 पर आ गई. यह हेल्थकेअर में सुधार का संकेत है. इसी तरह शिक्षा क्षेत्र में सुधार के भी संकेत मिलते हैं. स्कूलों में टीचर और बच्चों के अनुपात में बदलाव आया है. यह 2008-09 में 1:49 होता था, 2009-10 में यह 1:42 हो गया. इस सफलता को 88,000 स्कूल टीचरों की भर्ती के जरिए हासिल किया जा सका. देबरॉय के मुताबिक, मायावती ने अपने ताजा कार्यकाल में विकास परियोजनाओं पर बेहतरीन ढंग से अमल किया है. वे कहते हैं, ''उन्होंने अफसरशाही से दक्षता के साथ काम करवाया. न सिर्फ आइएएस बल्कि निचली अफसरशाही से भी बेहतरीन ढंग से काम करवाया.''
9 नवंबर 2011: तस्वीरों में देखें इंडिया टुडेयूपी के लिए बड़ी चुनौती उद्योगों और आधुनिक सेवाओं में अधिक से अधिक निवेश को आकर्षित करना है. फिलहाल, यूपी का अधिकतर आधुनिक सेवा वाला सेक्टर और मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर सिर्फ दो पट्टियों पर ही ध्यान केंद्रित किए हुए है. नोएडा और ग्रेटर नोएडा, जो राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र का हिस्सा हैं, बड़ी संख्या में आइटी और मीडिया से जुड़ी कंपनियां काम कर रही हैं. मध्य यूपी में लखनऊ-कानपुर बेल्ट बड़ी संख्या में छोटे और मझोले निर्माण उद्यमों का ठिकाना है. यूपी जैसे बड़े राज्य के लिए यह काफी नहीं है. इस तरह के निवेश हासिल करने के लिए राज्य को गुजरात, महाराष्ट्र और तमिलनाडु सरीखे राज्यों से मुकाबला करना होगा.