उत्तर प्रदेश के प्रमुख विपक्षी दलों ने राजधानी लखनऊ में आयोजित सत्तारूढ़ बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के दलित-पिछड़ा वर्ग भाईचारा सम्मेलन को ढकोसला तथा उसके उम्मीदवारों का शक्ति परीक्षण मात्र करार दिया है.
मुख्य विपक्षी दल समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रवक्ता राजेन्द्र चौधरी ने कहा कि सरकारी खर्चे पर आयोजित हुए बसपा के इस बहुप्रचारित सम्मेलन में पिछड़ों के कल्याण की कोई बात नहीं हुई. इस सम्मेलन का मकसद सिर्फ और सिर्फ सत्ता की ताकत दिखाना और सत्ता के दुरुपयोग का प्रदर्शन करना था. उन्होंने आरोप लगाया कि मायावती की वोट बटोरने की सभी अपीलें अब बेमानी हो गयी हैं. जनता हकीकत जानी गयी है और अब वह किसी के झांसे में नहीं आने वाली.
चौधरी ने कहा कि अपनी गलतियों का दोष केन्द्र की मौजूदा सरकार तथा सपा एवं अन्य पार्टियों की पूर्ववर्ती सरकारों के सिर मढने वाली मायावती को अपना अंधेर राज नहीं दिखाई देता. मायावती अपनी पार्टी के गिरते जनाधार से परेशान है और बौखलाहट में उल्टे-सीधे बयान दे रही हैं.
कांग्रेस प्रवक्ता द्विजेन्द्र त्रिपाठी ने बसपा के महासम्मेलन को पूरी तरह फ्लाप करार देते हुए कहा कि कार्यक्रम में मायावती ने जिस तरह कांग्रेस महासचिव राहुल गांधी का बार-बार नाम लिया उससे लगता है कि वह ‘राहुल फोबिया’ से ग्रस्त हो गयी हैं. उन्होंने कहा कि मायावती की आज की रैली सिर्फ चुनाव का टिकट लेने वाले लोगों के शक्ति परीक्षण से ज्यादा कुछ नहीं थी.
कांग्रेस प्रवक्ता ने कहा कि जाति के नाम पर राजनीति करने वाली मायावती ने अपने शासनकाल के साढ़े चार वष्रो में कभी पीड़ितों की तरफ रुख नहीं किया. अब जब चुनाव नजदीक है तो वह पिछड़ों तथा दलितों की भावनाओं से खिलवाड़ करके एक बार फिर सत्ता हथियाना चाहती हैं. भाजपा की उत्तर प्रदेश इकाई के अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही ने बसपा के महासम्मेलन को सत्ता के दुरुपयोग का नमूना करार दिया है.
उन्होंने कहा कि हर मोर्चे पर नाकाम साबित हुईं मायावती जनता का विश्वास खो चुकी हैं और वह इन महासम्मेलनों के जरिये अपने वोट बैंक को जोड़ने की जद्दोजहद कर रही हैं. शाही ने कहा कि जनता मायावती की असलियत जान चुकी है और अब वह उनके झांसे में नहीं आएगी.