भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के राष्ट्रीय उपाध्यक्ष मुख्तार अब्बास नकवी ने उत्तर प्रदेश में त्रिशंकु विधानसभा की सम्भावना को पूरी तरह खारिज करते हुए कहा है कि इस बार प्रदेश की जनता किसी एक दल को बहुमत देगी जरूरी नहीं कि वह भाजपा ही हो, लेकिन इस दौड़ में वह सबसे आगे है. वह कहते हैं कि भाजपा यदि चुनाव के बाद बहुजन समाज पार्टी (बसपा) या समाजवादी (सपा) के साथ गठबंधन करती है तो यह उसके लिए आत्मघाती होगा.
पांच राज्यों में होने वाले विधानसभा चुनाव की तैयारियों के बीच नकवी ने माना कि इन चुनावों के नतीजे केंद्र की राजनीति में उथल-पुथल लाने वाले होंगे, क्योंकि चुनावी नतीजों के बाद कुछ दल संयुक्त प्रगतिशील गठबंधन (संप्रग) से अलग होंगे तो कई राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन (राजग) में शामिल होंगे. उनके मुताबिक चुनावी नतीजों के बाद मध्यावधि चुनाव होना तय है. नकवी कहते हैं, 'पांच राज्यों में हो रहे विधानसभा चुनावों का राष्ट्रीय राजनीति पर सीधा प्रभाव पड़ेगा. सभी राजनीतिक दलों की प्रतिष्ठा दांव पर है. यह उनके लिए 'एसिड टेस्ट' है जो गैर मुद्दों को मुद्दा बनाकर मैदान में उतरे हैं.' उन्होंने कहा कि 2014 में लोकसभा का अगला चुनाव है, लेकिन यह सरकार उससे पहले पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद गिर जाएगी और मध्यावधि चुनाव होना तय है, क्योंकि विधानसभा चुनाव के नतीजों के बाद उथल-पुथल तय है.
वह कहते हैं, 'चुनाव के बाद राजग का कुनबा बढ़ेगा. संप्रग टूटेगा. इसके कई सहयोगी दल इससे अलग हो जाएंगे. कई लोग हमसे जुड़ेंगे और केंद्र की राजनीति में उथल पुथल मचेगी.
नकवी मानते हैं कि ये चुनाव भाजपा के लिए 'करो या मरो' की स्थिति वाले होंगे. बकौल नकवी, 'भाजपा के लिए यह चुनाव बड़ी चुनौती है. पार्टी के हर कार्यकर्ता के लिए 'करो या मरो' की स्थिति है. कार्यकर्ताओं को यह पता है, इसलिए वे अपनी पूरी ताकत झोंकने में जुट गए हैं.' उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव के बारे में नकवी कहते हैं, 'देश के सबसे बड़े राज्य में चतुष्कोणीय मुकाबला है. इसमें तीन दल तो ऐसे हैं जो संप्रग के घटक हैं या रहे हैं. ये हैं सपा, बसपा और कांग्रेस. आने वाले चुनाव में 50 फीसदी वोटों का बंटवारा इन तीनों दलों में होगा, जबकि शेष 50 फीसदी के लिए भाजपा लड़ेगी. उत्तर प्रदेश में भाजपा की स्वीकार्यता बढ़ी है. चूंकि वह सत्ता में लम्बे समय से नहीं है, इसलिए लोगों ने बदलाव के लिए इसे लाने का मन बना लिया है. उत्तर प्रदेश में अब कांग्रेस, सपा और बसपा की विश्वसनीयता और स्वीकार्यता नहीं रही.' उत्तर प्रदेश के चुनावी मुद्दे के बारे में पूछे जाने पर नकवी कहते हैं, 'भाजपा का मुद्दा 'जीएआरआईबी' (गरीब) होगा. जी से घोटाला, ए से अराजकता, आर से रिजर्वेशन (आरक्षण), आई से इनफ्लेशन (महंगाई) और बी से भ्रष्टाचार. गरीब का यह मुद्दा चुनाव में सबसे प्रभावी कारक होगा. इस गरीब की परिभाषा की आर्किटेक्ट बसपा, सपा और कांग्रेस हैं. यह पूछे जाने पर उत्तर प्रदेश में विकास का मुद्दा बेमानी साबित होता रहा है और वहां जातिगत समीकरण और सोशल इंजीनियरिंग हावी रही है. नकवी ने कहा, 'मुझे उम्मीद है कि इस बार के चुनाव में जाति और धर्म की राजनीति करने वालों की हार होगी. सपा, बसपा और कांग्रेस इसी राह पर चल रहे हैं. प्रदेश ने जाति और धर्म की राजनीति की मार सबसे अधिक झेली है.' मुस्लिम आरक्षण को नकवी 'कोकीन ऑफ कोटा' कहते हैं. वह कहते हैं कि इस बार का अधिकतर मतदाता युवा है. वह चुप है और इन राजनीतिक दलों की गतिविधियों पर उसकी पैनी नजर है. समय आने पर वह इसे जता भी देगी. रही बात भाजपा की तो वह अल्पसंख्यकों और दलितों के लिए अछूत नहीं है. त्रिशंकु विधानसभा होने की स्थिति में भाजपा का क्या रुख रहेगा, इस बारे में पूछे जाने पर नकवी कहते हैं, 'किसी भी सूरत में त्रिशंकु विधानसभा नहीं बनेगी. इस बार जनता किसी एक पार्टी को बहुमत के साथ चुनेगी. मैं यह नहीं कह रहा हूं कि भाजपा को ही जनता चुनेगी, लेकिन हमें उम्मीद है कि इस दौड़ में हम सबसे आगे हैं. हाल ही में एक सर्वेक्षण आया है जिसमें यह पता चला है कि 403 में से 130 से 135 विधानसभा सीटें हैं जो मुस्लिम बहुल हैं और इन मतदाताओं की पहली पसंद भाजपा है.' वह आगे कहते हैं, 'हमने सपा या बसपा का दामन थामा तो यह हमारे लिए आत्मघाती होगा. जनता हमें कभी माफ नहीं करेगी, अगर हमने बसपा या सपा में से किसी को समर्थन दिया या किसी का लिया. बसपा, सपा और कांग्रेस को लेकर लोगों में जबर्दस्त गुस्सा है. हम विपक्ष में बैठना पसंद करेंगे.' परिपाटी के विपरीत उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित न करने के बारे में पूछे जाने पर वह कहते हैं, 'मुख्यमंत्री कौन होगा इसे लेकर केंद्रीय नेतृत्व की सोच स्पष्ट है, लेकिन यह इसकी घोषणा का उचित समय नहीं है. लोकतांत्रिक तरीके से इसके बारे में तय किया जाएगा.' नकवी कांग्रेस को भ्रमित बताते हैं. वह कहते हैं, 'कभी वह मुस्लिम आरक्षण का राग अलापती है तो कभी आतंकवाद के प्रति नरम रवैया अपनाती है. सपा, बसपा और कांग्रेस गुप्त एजेंडे के साथ चुनाव में आगे बढ़ रहे हैं.' कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह की बयानबाजी के बारे में वह कहते हैं कि दिग्विजय, सोनिया गांधी और राहुल गांधी की दरबार के सबसे भरोसेमंद दरबारी हैं. वह उनके इशारे पर ही बयानबाजी करते हैं और उनके बयानों से कांग्रेस पल्ला नहीं झाड़ सकती. उन्होंने कहा उत्तर प्रदेश में भाजपा 'न उगाही, न गुंडई, न भ्रष्टाचार, हम देंगे सुथरी सरकार.' का नारा बुलंद करेगी.