वामदलों को सत्ता से दूर करने के लिए इस बार ममता बनर्जी की पार्टी तृणमूल कांग्रेस ने कांग्रेस पार्टी के साथ गठजोड़ कर लिया है. ममता बनर्जी को उम्मीद है कि यह चुनाव उनकी पार्टी के लिए ऐतिहासिक साबित हो सकता है.
कांग्रेस और तृणमूल कांग्रेस (टीएमसी) ने पश्चिम बंगाल चुनाव में आपसी हितों को ध्यान में रखकर सीटों का तालमेल किया है. दोनों के लिए इन चुनावों में बहुत कुछ दांव पर लगा है. 2011 के बंगाल चुनावों का राष्ट्रीय स्तर पर भी पूरा असर होगा. टीएमसी की हार उसके अस्तित्व के लिए निर्णायक साबित होगी.
अगर 34 साल तक राज करने के बाद बंगाल में वामदलों का किला ढह जाता है, तो यह चुनाव आने वाले सालों में राष्ट्रीय राजनीति की दिशा को भी प्रभावित करेंगे. तब तृणमूल कांग्रेस लोकप्रियता में और इजाफा कर सकेगी.