उत्तराखण्ड में कांटे के मुकाबले में कांग्रेस 32 सीटों के साथ सबसे बड़ी पार्टी बनकर उभरी है लेकिन सरकार बनाने के जादुई आंकड़े से वह अभी भी चार सीटें पीछे है जबकि भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) ने 31 सीटें जीती है और वह भी बहुमत से दूर है. ऐसे में इस पहाड़ी राज्य में सरकार किसकी बनेगी, यह बहुजन समाज पार्टी (बीएसपी) और निर्दलीय उम्मीदवारों के रुख पर टिक गया है. बीएसपी के तीन उम्मीदवारों ने जबकि तीन निर्दलीय उम्मीदवारों ने जीत हासिल की है. एक सीट उत्तराखण्ड क्रांति दल (यूकेडी) के पास गई.
70 सीटों वाली राज्य विधानसभा में कांग्रेस ने 32 जबकि बीजेपी ने 31 सीटें जीती हैं. उत्तराखण्ड में भाजपा को सत्ता में वापस लाने की जिम्मेदारी मुख्यमंत्री भुवन चंद्र खंडूड़ी़ के हाथों में थी लेकिन एक बड़े उलटफेर में वह खुद कोटद्वार से चुनाव हार गए. खंडूड़ी कोटद्वार से कांग्रेस के प्रत्याशी एस.एस. नेगी से 4623 मतों से हार गए. हालांकि पूर्व मुख्यमंत्री रमेश पोखरियाल निशंक अपनी सीट बचाने में सफल रहे.
भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष बिशन सिंह चुफल डीडीहाट से चुनाव जीत गए हैं. उन्होंने अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी कांग्रेस की रेवती जोशी को करीब 11 हजार मतों से हराया. कांग्रेस के प्रमुख नेता हरक सिंह रावत रुद्रप्रयाग से अपने निकटतम प्रतिद्वंद्वी बीजेपी के मातबर सिंह कंडारी को 1326 मतों से हराने में सफल रहे.
बहरहाल, बीजेपी और कांग्रेस दोनों ने राज्य में अपनी-अपनी सरकार बनाने का दावा किया, लेकिन सबकी निगाहें राज्यपाल मारग्रेट अल्वा पर टिक गई है कि वह आखिर किसे सरकार बनाने का निमंत्रण देती हैं. केंद्रीय संसदीय मामलों के राज्य मंत्री एवं कांग्रेस नेता हरीश रावत ने राज्य में पार्टी की सरकार बनने का विश्वास प्रकट किया है.
उधर, खंडूड़ी और निशंक दोनों ने भरोसा जताया है कि वह सरकार बनाने में सफल रहेंगे. बीजेपी अध्यक्ष नितिन गडकरी ने दिल्ली में संवाददाताओं से बातचीत में कहा कि निर्दलीयों व यूकेडी के सहारे बीजेपी सरकार बना लेगी.