पश्चिम बंगाल में वाम मोर्चे की सरकार को सीधे तौर पर आड़े हाथ लेते हुए प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था से जुड़ी स्थिति ‘गंभीर चिंता’ का विषय है. उन्होंने राज्य में नयी जान फूंकने के लिये बदलाव लाने का आह्वान किया.
रोजगार के अवसर निर्मित करने के लिये औद्योगिक विकास सुनिश्चित कराने में नाकाम रहने पर राज्य सरकार की कड़ी आलोचना करते हुए सिंह ने कहा कि कल्याणी तथा अन्य क्षेत्रों में कारखाने बंद हो गये हैं. उन्होंने कहा, ‘विनिर्माण, चाय और पर्यटन उद्योग की हालत काफी खराब है. जब तक निवेश नहीं आयेगा, तब तक युवाओं को आमदनी कैसे होगी. यह अफसोस की बात है कि राज्य में संभावनाएं होने के बावजूद बंगाल के बच्चों को नौकरी के लिये दूसरे स्थानों पर जाना पड़ता है.’
सिंह ने कहा, ‘सिर्फ कांग्रेस-तृणमूल कांग्रेस गठबंधन की सरकार विकास के लिये क्रांतिकारी पहल कर सकती है.’ संप्रग सरकार द्वारा गठित सच्चर समिति की रिपोर्ट के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा कि तरक्की के मामले में राज्य के मुस्लिम अन्य राज्यों में रह रहे अपने समुदाय के लोगों से पिछड़ रहे हैं.
सिंह ने कहा, ‘आंध्र प्रदेश, कर्नाटक, गुजरात और असम में सरकारी नौकरियों में मुस्लिमों का प्रतिनिधित्व पश्चिम बंगाल की तुलना में अधिक है. इसके लिये वाम मोर्चा जिम्मेदार है.’ उन्होंने कहा कि केंद्र ने अल्पसंख्यकों के विकास के लिये 15 सूत्री विशेष योजना चलायी है. उन्होंने कहा, ‘कई योजनाओं में 15 फीसदी कोष अल्पसंख्यकों के लिये आरक्षित किया जाता है.’
सिंह ने कहा कि सरकार की सर्वाधिक सपल योजनाओं में 10वीं पूर्व और 10वीं बाद के विद्यार्थियों के लिये चलायी जाने वाली छात्रवृत्ति योजना शामिल है. छात्राओं सहित लाखों विद्यार्थियों को पिछले वर्ष इस योजना से लाभ मिला है. विभिन्न विकास योजनाओं में कोष का उचित इस्तेमाल करने में नाकाम रहने का पश्चिम बंगाल सरकार पर आरोप लगाते हुए सिंह ने कहा कि केंद्र ने मनरेगा, राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन, सर्व शिक्षा अभियान, मध्याह्न भोजन योजना और प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत पर्याप्त कोष राज्य को दिया है.
उन्होंने कहा, यह दुर्भाग्यपूर्ण है कि पश्चिम बंगाल सरकार कोष का इस्तेमाल नहीं कर पायी है. सिंह ने कहा कि आंध्र प्रदेश सरकार ने वर्ष 2010-11 के दौरान मनरेगा के तहत 60 लाख लोगों को रोजगार के अवसर मुहैया कराये, जबकि बंगाल में महज 48 लाख लोगों को 22 दिन रोजगार मिला.
पश्चिम बंगाल की लोक स्वास्थ्य व्यवस्था के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि राज्य में चिकित्सक पर्याप्त संख्या में नहीं हैं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र काम नहीं कर रहे हैं और बच्चे तथा महिलाएं कुपोषण का शिकार हैं.
सिंह ने कहा कि राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के तहत पश्चिम बंगाल 70 फीसदी कोष का इस्तेमाल नहीं कर पाया है.
प्रधानमंत्री ने कहा, वाम मोर्चा राज्य के साथ भेदभाव करने का केंद्र पर आरोप लगाता है लेकिन वह केंद्रीय कोष को खर्च नहीं कर पाता. यह पता लगाया जाना चाहिये कि राज्य सरकार जनता की बेहतरी के लिये केंद्र द्वारा उसे भेजे गये कोष को खर्च क्यों नहीं कर पाती. राज्य की वित्तीय स्थिति पर चिंता जताते हुए सिंह ने कहा कि वर्ष 2009-10 में पश्चिम बंगाल का राजस्व घाटा, अन्य राज्यों के मुकाबले अधिक था.