आगामी दिल्ली विधानसभा चुनाव में मुख्यमंत्री शीला दीक्षित अपनी सीट बचाने में भी नाकाम हो सकती हैं. नई दिल्ली विधानसभा सीट पर आम आदमी पार्टी के संयोजक अरविंद केजरीवाल उन्हें भारी अंतर से हरा सकते हैं.
अंग्रेजी अखबार 'इकोनॉमिक टाइम्स' ने एक ओपिनियन पोल के हवाले से लिखा है कि इस बार नई दिल्ली विधानसभा सीट पर सबसे बड़ा उलटफेर हो सकता है.
अखबार ने विधानसभा क्षेत्र के 2101 रजिस्टर्ड वोटरों पर यह सर्वे किया. इसके मुताबिक 4 तारीख को होने जा रहे मतदान में 40 फीसदी लोग केजरीवाल को वोट देने जा रहे हैं. केजरीवाल पुरुषों और महिलाओं दोनों की पसंद बनकर उभर सकते हैं. सर्वे की मानें तो उन्हें पुरुषों के 41 फीसदी और महिलाओं के 42 फीसदी वोट मिल सकते हैं.
सर्वे के मुताबिक, तीन बार की मुख्यमंत्री शीला दीक्षित को सबसे कम वोट मिलने वाले हैं. उन्हें सिर्फ 20 फीसदी वोटों से संतोष करना होगा. दूसरे नंबर पर रहेंगे बीजेपी के उम्मीदवार विजेंद्र गुप्ता. उन्हें 21 फीसदी वोट मिल सकते हैं.
22 से 24 नवंबर के बीच कराए गए इस सर्वे में बहुत कम लोगों ने हिस्सा लिया है. लेकिन फिर भी इसने कहीं न कहीं शीला दीक्षित के लंबे राजनीतिक करियर पर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. अगर वह केजरीवाल जैसे नए नवेले नेता से चुनाव हार गईं तो यह न सिर्फ दिल्ली बल्कि राष्ट्रीय स्तर पर कांग्रेस पार्टी के लिए बड़ा झटका होगा. अगले साल होने वाले लोकसभा चुनावों के लिहाज से भी यह कांग्रेस कार्यकर्ताओं के लिए बेहद निराशा का मौका होगा.
अखबार ने यह सर्वे 'फेस टु फेस' इंटरव्यू के जरिए करवाया. वह भी ऐसे समय में जब आम आदमी पार्टी एक विवादित स्टिंग ऑपरेशन की काली छाया से जूझ रही है. सर्वे की मानें तो 45 साल के केजरीवाल को समाज के सभी वर्गों का समर्थन मिल रहा है. खास तौर से युवाओं में वह बेहद लोकप्रिय नजर आते हैं. सर्वे के मुताबिक, 18 से 25 की उम्र के 49 फीसदी लोग केजरीवाल को वोट देने वाले हैं. इसी उम्र के 19 फीसदी कांग्रेस और 20 फीसदी बीजेपी को वोट देंगे.
इस सर्वे में हिस्सा लेने वालों में 21 फीसदी लोग 18 से 25 साल के थे. उम्र के सभी वर्गों में आम आदमी पार्टी बीजेपी-कांग्रेस से बेहतर स्थिति में नजर आ रही है. अखबार के मुताबिक, उनके इस सर्वे में सिर्फ 2.12 फीसदी का 'मार्जिन ऑफ एरर' है. अखबार ने सर्वे पर 95 फीसदी कॉन्फिडेंस लेवल जताया है.
यह विधानसभा क्षेत्र 1.23 लाख वोटरों का घर है. 2008 में परिसीमन से पहले इस क्षेत्र को गोल मार्केट कहा जाता था. शीला के चुनावी सफर के लिहाज से यह उनका 'होम ग्राउंड' है. वह यहां से तीन बार चुनाव जीत चुकी हैं. हालांकि उनकी जीत का अंतर पिछले दो चुनावों में कम हुआ है.