पोस्ट पोल सर्वे में आम आदमी पार्टी के खराब प्रदर्शन के बाद अब वहां चिंतन और बहस का दौर चल रहा है. एक अंग्रेजी अखबार के मुताबिक पार्टी अपने काम काज के तरीकों पर विचार कर रही है.
इस बात पर भी चर्चा चल रही है कि 49 दिन दिल्ली की सरकार चलाने वाली पार्टी ने दीर्धकालीन निर्णयों की बजाय ब्रेकिंग न्यूज पर ज्यादा ध्यान दिया. पार्टी के कुछ प्रमुख नेताओं ने अखबार को बताया कि आम आदमी पार्टी के सबसे बड़ प्रचारक अरविंद केजरीवाल और उनके तमाम सहयोगी वाराणसी में बैठे रहे जबकि शेष उम्मीदवार उनका इंतजार करते रहे. उन उम्मीदवारों को पार्टी से कोई सहयोग नहीं मिला.
नाम न छापने की शर्त पर एक उम्मीदवार ने बताया कि पार्टी का दिल्ली ऑफिस खाली पड़ा था. सभी नेता वाराणसी में डेरा डाले हुए थे. कई उम्मीदवारों को मदद की जरूरत थी. कइयों ने अपने जीवन की कमाई भी लगा दी. उनका मुकाबला जमी-जमाई पार्टियों से था. अब वे सभी बेहद निराश हैं.
आम आदमी पार्टी ने उम्मीदवार खड़े करने में एक रिकॉर्ड बना दिया. उसने बीजेपी और कांग्रेस से भी ज्यादा उम्मीदवार खड़े किए. जहां बीजेपी ने 415 उम्मीदवार खड़े किए वहीं कांग्रेस ने 414 और आम आदमी पार्टी ने 426 उम्मीदवार खडे़ कर दिए. उस उम्मीदवार ने बताया कि अरविंद केजरीवाल ही पार्टी के सबसे बड़े नेता हैं और लोग उन्हें सुनना चाहते हैं लेकिन वह ज्यादातर जगहों में गए ही नहीं. वह ज्यादातर समय वाराणसी में ही रहे और उन्होंने अपनी पूरी ताकत वहीं लगा दी.
कुछ अन्य नेताओं ने कहा कि वाराणसी में उनकी जीत से पार्टी में जान आ जाती लेकिन हार से पूरी पार्टी का मनोबल गिर जाएगा और कई तरह के सवाल भी खड़े हो जाएंगे. एक अन्य नेता ने कहा कि आम आदमी पार्टी के उम्मीदवार पार्टी को गाजियाबाद के चार लोग चला रहे हैं. उन्होंने अपना होम वर्क ठीक से नहीं किया.
एक अन्य ने कहा कि योगेंद्र यादव को कई सवालों के जवाब देने पड़ेंगे, क्योंकि एक्जिट पोल के मुताबिक हरियाणा में पार्टी का खाता भी खुलने की संभावना नहीं है.