बीजेपी के पीएम उम्मीदवार नरेंद्र मोदी के करीबी नेता अमित शाह विवादित बयान देने के बाद अब गिरफ्तारी से बचने का रास्ता तलाशने लगे हैं. मामले में गिरफ्तारी से बचने के लिए अमित शाह ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में अर्जी दी है. उन्होंने कहा कि उनके खिलाफ लगाए गए मामले अप्रासंगिक हैं. कोर्ट ने चुनाव आयोग से बयान की सीडी मांगी है. मामले पर गुरुवार को सुनवाई होगी.
अमित शाह पर पश्चिमी उत्तर प्रदेश में एक सभा के दौरान भड़काऊ भाषण देने का आरोप है. इस बयान के लिए रविवार को बिजनौर में उनके खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया था. चुनाव आयोग भी नोटिस भेजकर उनसे जवाब भी मांग चुका है. सूत्रों के मुताबिक, आयोग को लगता है कि प्रथम दृष्टया में ये चुनाव आचार संहिता के उल्लंघन का मामला है.
अमित शाह के खिलाफ कांग्रेस ने चुनाव आयोग में शिकायत की थी.विपक्षी पार्टियां अमित शाह की गिरफ्तारी की मांग जोर-शोर से कर रही हैं. कांग्रेस महासचिव दिग्विजय सिंह तो यहां तक कह चुके हैं कि जब भड़काऊ बयान के लिए इमरान मसूद को गिरफ्तार किया जा सकता है तो अमित शाह को क्यों नहीं?
गौरतलब है कि अमित शाह ने मुजफ्फरनगर दंगों से प्रभावित पश्चिमी उत्तर प्रदेश के बिजनौर में हाल में ही एक बैठक में कहा था कि यह चुनाव उस सरकार को मतदान के द्वारा बाहर करने का है जिसने उन लोगों को मुआवजे दिए जिन्होंने जाटों को मारा. यह बदले और इज्जत की रक्षा के लिए है. गौरतलब है कि अमित शाह पर विरोधी पार्टियां सांप्रदायिकता फैलाने और माहौल खराब करने का आरोप लगाते रहे हैं.
मुजफ्फरनगर में पिछले साल सितंबर में जाटों और मुसलमानों के बीच दंगे की आग भड़की थी. इसमें 40 से ज्यादा लोग मारे गये थे तथा 50 हजार से अधिक बेघर हो गये थे. शाह ने बीते शुक्रवार को मुजफ्फरनगर दंगों के एक आरोपी सुरेश राणा के साथ जाकर गुर्जर, राजपूत और दलित नेताओं से मुलाकात की थी. बताया जाता है कि शाह ने उनसे कहा था, 'कोई व्यक्ति भोजन और नींद के बिना रह सकता है. वह भूखा और प्यासा भी रह सकता है लेकिन वह अपमानित होकर नहीं जी सकता. अपमान का बदला लेना होगा.'