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केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी की नाकेबंदी

लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत के बाद बीजेपी मोदी लहर के भरोसे आगे बढ़ी. महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में तो बीजेपी की सरकार बन गई लेकिन जम्मू-कश्मीर में मामला अटक गया. अब दिल्ली की बारी है , जहां 11 महीने से राष्ट्रपति शासन है. मुकाबला बिलकुल अलग है. 2014 के लोक सभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटें बटोर चुकी बीजेपी के टारगेट पर अब भी सिर्फ अरविंद केजरीवाल ही हैं.

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अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी
अरविंद केजरीवाल और किरण बेदी

लोकसभा चुनाव में सबसे बड़ी जीत के बाद बीजेपी मोदी लहर के भरोसे आगे बढ़ी. महाराष्ट्र, हरियाणा और झारखंड में तो बीजेपी की सरकार बन गई लेकिन जम्मू-कश्मीर में मामला अटक गया. अब दिल्ली की बारी है , जहां 11 महीने से राष्ट्रपति शासन है. मुकाबला बिलकुल अलग है. 2014 के लोक सभा चुनाव में दिल्ली की सभी सीटें बटोर चुकी बीजेपी के टारगेट पर अब भी सिर्फ अरविंद केजरीवाल ही हैं.

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लोहे को लोहा ही काटेगा
पिछले विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने विजय गोयल को हटा कर साफ सुथरी छवि वाले हर्षवर्धन को प्रोजेक्ट किया था. आंकड़े भले ही साथ न दे पाए हों पर उन्होंने नाउम्मीद भी नहीं किया. फिर भी बीजेपी को इस बार अपने काडर पर शायद उतना भरोसा नहीं रहा. शायद इसीलिए दिल्ली के मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार के तौर पर हर्षवर्धन, सतीश उपाध्याय सहित तमाम बीजेपी नेताओं की जगह बाहर से आईं किरण बेदी को तरजीह दी गई. क्योंकि मुकाबला केजरीवाल से है. जो किसी आम चुनावी लड़ाई से अलग हटकर है. मोदी को केजरीवाल की काट करने वाली तेजी किरण बेदी में ही दिखाई दी. दोनों ही भ्रष्टाचार के खिलाफ अन्ना आंदोलन में कमांडर थे. दोनो ही मैग्सेसे अवॉर्ड से सम्मानित और दोनों ही ब्यूरोक्रेटिक बैकग्राउंड से हैं.

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केजरीवाल के खिलाफ नूपुर क्या रस्म अदायगी है?
जहां तक नई दिल्ली सीट की बात है तो वहां बीजेपी रस्म अदायगी करती नजर आ रही है. केजरीवाल के खिलाफ बीजेपी ने दिल्ली विश्वविद्यालय की अध्यक्ष रह चुकीं नूपुर शर्मा को मैदान में उतारा है. पिछली बार इसी सीट पर (तब गोल मार्केट) केजरीवाल ने तीन बार मुख्यमंत्री रह चुकीं शीला दीक्षित को शिकस्त दी थी. कहने को तो 31 साल की नूपुर बीजेपी का युवा चेहरा हैं और 2009 में हिन्दुस्तान टाइम्स की 10 प्रेरणास्पद महिलाओं में शामिल रह चुकी हैं, लेकिन केजरीवाल के कद के आगे अभी तो नहीं टिक रहीं – बाद की बात और है.

आप के बागी बिन्नी क्या सिसोदिया को चुनौती दे पाएंगे?
केजरीवाल के सबसे भरोसेमंद साथी मनीष सिसोदिया के खिलाफ बीजेपी ने आप के ही बागी नेता विनोद कुमार बिन्नी को टिकट दिया है. पिछले चुनाव में बिन्नी लक्ष्मी नगर सीट से चुनाव लड़े और कांग्रेस के कद्दावर नेता अशोक वालिया को हराया था. लेकिन सिसोदिया पटपड़गंज से विधायक रह चुके हैं और बिन्नी यहां के लिए बाहरी हैं. मोदी-बेदी लहर में भी बिन्नी अगर यहां से जीतते हैं तो यह बड़ा उलटफेर होगा.

शाजिया की सीट कौन सी होगी?
आम आदमी पार्टी की संस्थापकों में रहीं शाजिया इल्मी भी अब बीजेपी का दामन थाम चुकी हैं लेकिन बीजेपी के घोषित 62 उम्मीदवारों की सूची में वो नहीं है. तो क्या सोमनाथ के खिलाफ बीजेपी शाजिया को मैदान में उतारेगी? आप की 49 दिन की सरकार के सबसे चर्चित मंत्री सोमनाथ भारती को पार्टी ने मालवीय नगर से उम्मीदवार बनाया है. उस दौरान केजरीवाल ने जिस तरह सोमनाथ का बचाव किया, उससे लगता है सिसौदिया के बाद सोमनाथ उनके भरोसेमंद साथी हैं. बीजेपी की अब तक की रणनीति चौंकाने वाली रही है. ऐसे में शाजिया को लेकर भी कयास तो लगाया ही जा सकता है.

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