अरविंद केजरीवाल का मिशन बनारस आज से शुरू हो गया है. केजरीवाल सुबह ही बनारस पहुंचे. जहां पर आम आदमी पार्टी के कार्यकर्ताओं ने उनका जोरदार स्वागत किया.
केजरीवाल दूसरी बार बनारस पहुंचे हैं लेकिन इस बार ठहराव लंबा है, और मकसद पूरी तरह से राजनीतिक. पहले दौरे में शहर को पहचाना और अबकी बार शहर के लोगों का मिजाज परखने की कोशिश करने वाले हैं. तभी तो आज से शुरू हो रहे है वाराणसी दौरे में सबसे पहले केजरीवाल दलित बस्ती का रुख करेंगे. वाराणसी लोकसभा क्षेत्र में करीब 1 लाख दलित वोटर हैं और केजरीवाल इनका वोट अपने पक्ष में करने से भला क्यों गुरेज करें. हालांकि दिल्ली में काशी कूच से पहले उन्होंने यही कहा कि अपने लिए नहीं बल्कि देश बचाने के लिए वाराणसी जा रहे है.
वाराणसी में केजरीवाल का मुकाबला किसी और से नहीं बल्कि नरेंद्र मोदी से है और वाराणसी पहुंचने से पहले भारतीय रेल की अपनी बोगी से ही केजरीवाल ने लोगों से इस सबसे बड़े जंग में साथ जुड़ने की अपील कर डाली. उन्होंने ट्विटर पर लिखा, 'वाराणसी-अमेठी के लिए निकल गया हूं. महाक्रांति का आगाज करने. कृप्या देश के लिए दुआ कीजिए. आपकी दुआओं ने हमेशा करिश्मा किया है. अगर वक्त है तो वाराणसी या अमेठी जरुर आइए.'
वाराणसी में चुनाव 12 मई को है और 12 मई तक केजरीवाल काशी में ही डेरा डाले रहेंगे. केजरीवाल की काशी किलेबंदी का प्लान पूरी तरह से तैयार है. कार्यकर्ताओं के पास निर्देशों की फेहरिस्त है जिसकी राह पर चलकर केजरीवाल अपने मिशन और मकसद को अंजाम देना चाहते हैं. एक नजर जरा केजरीवाल के काशी प्लान पर भी.
केजरीवाल का 'प्लान काशी'
वोटिंग से पहले तक वाराणसी में केजरीवाल लोगों से छोटी-छोटी मीटिंग करेंगे. इसके अलावा कुछ दिनों के अंतराल पर बड़ी रैलियां भी की जाएंगी. काशी के लोगों से भी केजरीवाल मुलाकात करेंगे और उनके बीच आम आदमी पार्टी की नीति और नियत तो स्पष्ट करने वाले पर्चे भी बांटे जाएंगे. केजरीवाल अपने विरोधियों को भी समझाने की कोशिश करेंगे. मतदाताओं से जनसंवाद के लिए सभा का भी आयोजन होगा जिसमे लोगों के सवाल लिए जाएंगे और उनके जवाब भी केजरीवाल की ओर से दिए जाएंगे.
सूत्रों की माने तो आम आदमी पार्टी ने वाराणसी के 16 लाख वोटरों में से 10 लाख मतदाताओं से सीधे संवाद के लिए 10 लाख रुपये का बजट बनाया है. 500 कार्यकर्ताओं की एक पूरी टीम इस काम को अंजाम देगी.
वैसे केजरीवाल ने अभी से ही काशी वासियों को सावधान करने के लिए उनके दिमाग में ये बात डालनी शुरू कर दी है कि अगर मोदी काशी के किंग बनते भी हैं तो अगले ही दिन उसका त्यागकर वडोदरा की डगर पर चल पड़ेंगे.
स्थिति साफ है कि काशी फतह करने के लिए केजरीवाल दल, दिल और दिमाग का पूरा इस्तेमाल कर रहे हैं. कोशिश दमदार है लेकिन ये तभी सार्थक होगा जब काशी की जनता इसे कबूल करेगी.