आम आदमी पार्टी (आप) की राष्ट्रीय कार्यकारिणी के सदस्य अधिवक्ता अशोक अग्रवाल ने मंगलवार को अपने पद और पार्टी से इस्तीफा दे दिया. अग्रवाल 2012 से पार्टी से जुड़े थे.
उनके मुताबिक वो यह सोचकर पार्टी में शामिल हुए थे कि पार्टी समाज के अंतिम व्यक्ति को लाभ पहुंचाने के मजबूत सिद्धांतों के लिए खड़ी है. अग्रवाल ने पार्टी प्रमुख अरविंद केजरीवाल को लिखे एक पत्र में कहा कि बाद में चीजें बदलती नजर आने लगीं और जिन उद्देश्यों और लक्ष्यों पर यह बनी थी, वे खोते जा रहे हैं.
आंदोलन संवेदनहीन होता जा रहा है जिससे लोगों के मन में संदेह पैदा होता जा रहा है, यहां तक कि मेरे जैसे लोगों को आज महसूस हो रहा है कि पार्टी एक निजी लिमिटेड कंपनी की तरह काम कर रही है. पार्टी के लिए काम करने वाले लोगों को न्याय दिलाने के पार्टी के दावे पर चिंता जताते हुए अग्रवाल ने कहा कि पार्टी का आम आदमी के साथ संपर्क कम हो रहा है. अभिजात वर्ग के लोगों के समूह को पार्टी में भार ग्रहण करने के लिए प्रोत्साहित किया गया.
आम आदमी का खयाल पिछली सीट लेने का था और ऐसे लोगों का इरादा आम आदमी के सपनों पर व्यक्तिगत परियोजनाएं पूरी करने का है. अग्रवाल ने कहा कि इस कारण से नुकसान होता दिख रहा है कि हताशा की भावना सामने आ रही है और उस प्रतिबद्धता का कोई मतलब नहीं बनता.
उन्होंने कहा कि वह उन लोगों के साथ न्याय करने में सक्षम नहीं हैं, जिनके लिए वह आंदोलन का हिस्सा बने थे.