असम की राजनीति में तरुण गोगोई की पहचान कांग्रेस के बड़े नेताओं के साथ-साथ जमीन से जुड़े नेताओं में होती है. 79 साल के तरुण गोगोई आज भी जनता की पहली पसंद हैं. असम में कांग्रेस की लगातार चौथी जीत का लक्ष्य लेकर चुनाव मैदान में तरुण गोगोई फिर उतरे हैं. गोगोई 2001 से लगातार तीसरे कार्यकाल में राज्य के मुख्यमंत्री का दायित्व निभा रहे हैं. गोगोई का जन्म 1 अप्रैल 1936 असम के शिवसागर जिला जो अब जोरहट जिला में पड़ता है. इनके पिता कमलेश्वर गोगोई एक डॉक्टर थे. इन्होंने ग्रेजुएशन की डिग्री जगन्नाथ बरुआ ले ली. जबकि कानून की पढ़ाई गुवाहाटी यूनिवर्सिटी से की. गोगोई ने राजनीति की शुरुआत जमीन स्तर से की है. सबसे पहले 1968 में ये नगरनिगम के मेंबर बने.
नगरनिगम चुनाव से सीएम तक का सफर
गोगोई 6 बार लोकसभा चुनाव जीत चुके हैं. इन्होंने पहली बार जोरहट लोकसभा से 1971 में जीत दर्ज की. इसके बाद दो बार ये कालियाबोर सीट से चुने आए. जहां से अभी इनके बेटे गौरव गोगोई सांसद हैं. 1971 में गोगोई कांग्रेस के ज्वाइंट सेक्रेटरी चुने गए थे और उस वक्त इंदिरा गांधी के ये बेहद करीबी थे. कांग्रेस आलाकमान से करीबी होने का फायदा गोगोई को 1991 में मिला जब इन्हें केंद्रीय मंत्री पद से नवाजा गया. 90 के दशक से पहले गोगोई असम की राजनीति में अपनी गहरी पैठ बना चुके थे. साल 1986–90 तक ये असम कांग्रेस के अध्यक्ष रहने के बाद फिर 1996 में अध्यक्ष चुने गए. गोगाई चार विधानसभा चुनाव भी जीत चुके हैं पहली बार 1996 में ये मार्गेरिटा निर्वाचन क्षेत्र जीत कर आए. उसके बाद 2001 में ये तिताबोर विधानसभा से चुने गए थे.
तरुण गोगोई के लिए आखिरी चुनाव
तरुण गोगोई ने 1972 में डोली गोगाई को अपना जीवनसाथी के रूप में अपनाया. इनके दो बच्चे गौरव गोगोई और चंद्रिमा गोगोई हैं. गौरव गोगोई सांसद हैं. तरुण गोगोई की मानें तो वो इस बार चुनाव लड़ना नहीं चाहते थे. लेकिन असम की जनता से लगाव ने उन्हें आखिरी बार चुनावी मैदान में उतार दिया है. वैसे इस बार गोगोई की चुनौतियां कम नहीं है. बीजेपी की ताकत सूबे में बढ़ी है. साथ ही पूर्व कांग्रेसी नेता हिमांता बिस्वा सरमा बीजेपी में शामिल हो चुके हैं और कांग्रेस के लिए मुसीबतें खड़ी कर रहे हैं. उल्लेखनीय है कि असम की 126 विधानसभा सीटों के लिए दो चरणों में चुनाव चार और 11 अप्रैल को होंगे.