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Assembly Election: UP में हिन्दुत्व, उत्तराखंड में PM मोदी का चेहरा, चुनावों को लेकर 5 राज्यों में क्या है BJP की रणनीति

बीजेपी यूपी में मंडल, कमंडल और गरीब कल्याण की तीन सूत्रीय रणनीति बना काम कर रही है. मंडल से तात्पर्य है, गैर यादव ओबीसी जातियों को बीजेपी के साथ जोड़ना. निषाद पार्टी के रूप में बीजेपी को एक ग़ैरयादव ओबीसी के रूप मजबूत सहयोगी मिला है. अनुप्रिया पटेल पहले से ही बीजेपी के साथ हैं वो भी गैरयादव ओबीसी कुर्मी जाति कि बड़ी नेता हैं.

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5 राज्यों में से 4 राज्यों में भाजपा की सरकार है.
5 राज्यों में से 4 राज्यों में भाजपा की सरकार है.
स्टोरी हाइलाइट्स
  • यूपी में तीन सूत्रीय रणनीति बना रही भाजपा
  • उत्तराखंड में मोदी के चेहरे पर लड़ रही चुनाव
  • सत्ता बचाना बीजेपी की चुनौती

उत्तर प्रदेश, पंजाब, उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा के विधानसभा चुनावों की घोषणा हो चुकी है. पंजाब को छोड़ कर बाकी चार राज्यों में बीजेपी की सरकार है. भाजपा के सामने सबसे बड़ी चुनौती यूपी, उतराखंड, गोवा और मणिपुर में अपनी सरकारों को बचाने की है. उत्तराखंड, मणिपुर और गोवा में बीजेपी की सीधी टक्कर कांग्रेस से है. वहीं इस बार यूपी चुनाव में समाजवादी पार्टी ने मुकाबले को दो तरफा बनाने में अपनी पूरी ताकत लगा दी है. पंजाब में बीजेपी के पास खोने को कुछ नहीं और पहली बार वह बड़े भाई की भूमिका में 70 भी अधिक सीटों पर चुनाव लड़ने की तैयारी में है.

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इन 5 राज्यों के चुनावों में बीजेपी की सबसे बड़ी लड़ाई यूपी में है, जहां बीजेपी ने 2014 और 2019 के लोक सभा चुनावों में बहुत बड़ी जीत हासिल की है. 2017 के विधानसभा चुनाव में प्रचंड बहुमत के साथ यूपी में अपनी सरकार बनाई थी. यूपी में 2014, 2017, 2019 में मिलीं जीत के चाणक्य गृह मंत्री अमित शाह कह चुके हैं कि अगर 2024 में मोदी को फिर प्रधानमंत्री बनाना है तो बीजेपी के लिए 2022 में उत्तर प्रदेश जीतना जरूरी है.

यूपी में तीन सूत्रीय रणनीति बना रही भाजपा

सूत्रों की माने तो बीजेपी यूपी में मंडल, कमंडल और गरीब कल्याण की तीन सूत्रीय रणनीति बना काम कर रही है. मंडल से तात्पर्य है, गैर यादव ओबीसी जातियों को बीजेपी के साथ जोड़ना. वैसे इस बार बीजेपी के साथ ओमप्रकाश राजभर नहीं हैं लेकिन निषाद पार्टी के रूप में बीजेपी को एक ग़ैरयादव ओबीसी के रूप मजबूत सहयोगी मिला है. बीजेपी सूत्रों का कहना है कि निषाद समाज का यूपी की लगभग 100 सीटों पर 10 हज़ार से 70 हज़ार तक वोट हैं. अनुप्रिया पटेल पहले से ही बीजेपी के साथ हैं वो भी ग़ैरयादव ओबीसी कुर्मी जाति कि बड़ी नेता हैं.

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कमंडल से उसका मतलब हिंदुत्व की राजनीति है जिसमें अयोध्या में राम मंदिर निर्माण को और काशी विश्वनाथ धाम का विकास शामिल है. इसी एजेंडे चुनाव प्रचार के दौरान मथुरा में कृष्ण जन्मभूमि कहना, बीजेपी इसी एजेंडे में कानून व्यवस्था और माफिया के खिलाफ कार्रवाई से जोड़ कर देखती है. इसके साथ बीजेपी की रणनीति में केंद्र और राज्य सरकार की योजनाओं का लाभ गरीबों तथा किसानों को पहुंचना गरीब कल्याण के एजेंडे में फिट बैठती है. 

उत्तराखंड में मोदी के चेहरे पर लड़ रही चुनाव

वहीं उत्तराखंड में इतिहास गवाह है कि वहां किसी भी पार्टी सरकार लगातार दो बार सत्ता पर काबिज नहीं हुई है, इसलिए बीजेपी ने सत्ता विरोधी लहर को कम करने के लिए तीन बार मुख्यमंत्री बदल डाले. बीजेपी सूत्रों की माने तो पार्टी पीएम मोदी के चेहरे पर चुनाव लड़ रही है. 2017 के विधानसभा चुनाव से ठीक पहले कांग्रेस से खेमा बदल कर बीजेपी में शामिल होने वाले ज़्यादातर नेता घर वापसी नहीं कर रहे और ये ही बीजेपी के केंद्रीय नेतृत्व के लिए लिए संतोष की बात है. बीजेपी का मानना है कि कांग्रेस ने हरीश रावत को मुख्यमंत्री उम्मीदवार पेश नहीं किया है जिसका फ़ायदा बीजेपी को मिलेगा और साथ बीजेपी भी ऐसा मानती है. बीजेपी मानती है कि इस बार चुनाव में आम आदमी पार्टी  के मैदान में उतरने से बीजेपी विरोधी वोटों का बंटवारा कर होगा और इसका फ़ायदा भी बीजेपी को मिलेगा.

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पंजाब में खास रणनीति पर बढ़ रही आगे

 इस बार चुनाव में पंजाब में सभी पार्टियों का समीकरण बदला हुआ है. पंजाब में बीजेपी इस बार कैप्टन अमरिंदर सिंह और सुखदेव सिंह ढींढसा के साथ गठबंधन में है. बीजेपी को लगता है कि कृषि कानूनों की वापसी के बाद किसानों की नाराजगी कम हुई है. फिरोजपुर में पीएम मोदी की सुरक्षा में सेंध को बीजेपी एक बड़े भावनात्मक मुद्दे के तौर पर पेश कर रही है. बीजेपी का आकलन है कि राज्य में 65 सीटें हिंदु बहुल है और वहां उनका गठबंधन अच्छा प्रदर्शन कर सकता है. वैसे भी बीजेपी को लगता है कि किसान संगठनों के चुनाव से चुनाव पंचकोणीय हो गया है. ऐसे में बीजेपी को लगता है कि किसान संगठनों चुनाव में कांग्रेस, आम आदमी पार्टी और अकाली दल के वोट बैंक में सेंध लगाए तो इसका सीधा लाभ बीजेपी के गठबंधन को मिलेगा, इसलिए बीजेपी इस रणनीति पर आगे बढ़ रही है कि राज्य में उसके बिना सरकार न बन सके.

मणिपुर में बीरेन सिंह ही हैं चेहरा

वहीं मणिपुर में बीजेपी अपने गठबंधन के सहयोगियों बूते पर सत्ता वापसी की रणनीति पर काम कर रही है. इसके लिए उसे अपनी सहयोगी पार्टियों के चुनाव जीतने वाले नेताओं को पार्टी में शामिल कराने में कोई संकोच नहीं है. मणिपुर में बीते दो सालों में मुख्य विपक्षी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष समेत कई बड़े नेताओं को बीजेपी में शामिल चुकी है. वहां बीजेपी ने मौजूदा मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह की अगुवाई में ही चुनाव लड़ने का फैसला किया है.

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गोवा में हैट्रिक की उम्मीद

गोवा में बीजेपी तीसरी बार सत्ता में आने के हर संभव कोशिश कर रहीं है, ये जानते हुए कि इस चुनाव उनके पास इस बार मनोहर पर्रिकर जैसा बड़ा चेहरा नहीं है जिसके नाम पर चुनाव जीता जा सके. इसलिए पार्टी ने मौजूदा प्रमोद सावंत सीएम को चेहरे के तौर पर पेश नहीं किया है. यहां भी पीएम मोदी चेहरा आगे कर चुनाव लड़ रही है. गोवा में बीजेपी को उम्मीद है कि आम आदमी पार्टी और तृणमूल कांग्रेस के मैदान में आने से सत्ता विरोधी मतों के विभाजन की फ़ायदा उन्हें ज़बरदस्त तरीके से मिलेगा.

ये बात बीजेपी नेतृत्व को बहुत अच्छी तरह से मालूम है कि इस बार पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में पार्टी की स्थिति 2017 जैसी नहीं है, इसलिए पार्टी चारों राज्यों में सत्ता में फिर से काबिज होने के लिए और पंजाब में उनके बिना सरकार ना बने, इसके लिए साम, दाम, दंड, भेद की रणनीति पर काम कर रही है.

 

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