राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने संघियों से एकदम स्पष्ट कर दिया है कि आरएसएस का काम नमो-नमो जपना नहीं है. अपने कड़े संदेश में भागवत ने यह भी कहा कि स्वयंसेवक बीजेपी के लिए काम करते वक्त अपनी मर्यादा न भूलें.
बेंगलुरु में आयाजित प्रतिनिधि सभा में भागवत ने कहा कि हम राजनीति में नहीं हैं. हमारा काम नमो-नमो करना नहीं है. हमें अपने लक्ष्य के लिए काम करना है, इसलिए आप सभी मर्यादा में रहकर काम करें और संघ के उसूलों के साथ खिलवाड़ न करें. भागवत ने साफ कर दिया कि हमें किसी भी व्यक्ति विशेष के प्रचार प्रसार से दूर रहना चाहिए. बताया जाता है कि इस सभा में बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजनाथ सिंह और रामलाल भी भागवत के साथ मौजूद थे.
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक सभा में जब मौजूद लोगों ने यह सुझाव दिया कि आरएसएस की भूमिका वही होनी चाहिए, जो चंद्रगुप्त मौर्य के लिए चाणक्य की थी तो इसके जवाब में भागवत ने कहा कि वर्तमान परिस्थतियों में हमें तटस्थ रहकर काम करना है. हमारी अपनी मर्यादा है. हमें मर्यादा नहीं तोड़नी है. भागवत ने बीजेपी को सत्ता में लाने के लिए संघ के प्रयासों को जस्टिफाई करते हुए कहा कि इस समय सवाल यह नहीं है कि कौन आना चाहिए. बल्कि बड़ा सवाल यह है कि कौन नहीं आना चाहिए.
भागवत ने स्वयंसेवकों से अपनी बात को और अधिक क्लीयर करने के लिए गीता के एक श्लोक का सहारा लिया. उन्होंने श्लोक 'सर्वेंद्रिय गुणा भासम, सर्वेंद्रिय विवर्जितम' के जरिए यह बताने की कोशिश की उसमें सब इंद्रियों, गुणों का आभास होता है लेकिन वास्तव में वह सब इंद्रियों से रहित है और तटस्थ रहकर काम करता है.
सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक बीजेपी नेताओं ने पार्टी का मैनिफेस्टो बनाने के लिए आरएसएस से मदद मांगी है ताकि संभावित पार्टी विरोधी गतिविधियों पर लगाम लग सके. बताया जाता है कि राजनाथ सिंह ने आरएसएस लीडर्स से मैनिफेस्टो को अंतिम रूप देने के लिए उनके सुझाव मांगे हैं.