पिछले लोकसभा चुनावों में कांग्रेस के साथ गठबंधन तोड़ने के पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद के फैसले की आलोचना करते हुए राजद के वरिष्ठ नेता रघुवंश प्रसाद सिंह ने इस कदम को उनकी ‘सबसे बड़ी गलती’ करार दिया है और बिहार विधानसभा चुनावों में लोजपा को 75 सीटें देने पर सवाल खड़े किए हैं.
पूर्व केंद्रीय मंत्री और लंबे समय से लालू के सहयोगी रहे सिंह ने कहा कि कई मुद्दों पर उनके लालू प्रसाद के साथ वैचारिक मतभेद हैं लेकिन वह उनके साथ रहेंगे.
उन्होंने कहा, ‘पिछले लोकसभा चुनावों के दौरान कांग्रेस से गठबंधन तोड़ना लालू प्रसाद की सबसे बड़ी गलती थी.’ उन्होंने इस संबंध में ज्यादा विवरण नहीं दिया लेकिन वह इस फैसले से बिहार विधानसभा चुनावों में होने वाले प्रतिकूल प्रभाव की आशंका जता रहे थे.
गौरतलब है कि राजद और कांग्रेस का 2000 से गठबंधन था तथा 2000 से 2005 के बीच दोनों गठबंधन सरकार में शामिल रहे. इसके साथ ही संप्रग की पहली दूसरी सरकार में राजद प्रमुख सहयोगी दल था.
लेकिन 2009 चुनावों के पूर्व दोनों दलों के संबंधों में खटास आ गई और दोनों ने अलग अलग चुनाव लड़ने का फैसला किया. कइयों का मानना है कि इस फैसले से दोनों को नुकसान हुआ.
सिंह ने विधानसभा चुनावों में लोजपा को 75 सीटें देने के फैसले पर भी आपत्ति जतायी. ‘लोजपा के पास योग्य उम्मीदवार नहीं हैं और उसे 75 सीटें देकर उन्होंने (लालू ने) उनमें से कई सीटों पर राजग की स्थिति मजबूत कर दी है.’ उन्होंने कहा कि इससे राजद के कई योग्य उम्मीदवारों को टिकट नहीं मिला जिससे पार्टी को नुकसान हो सकता है.
पार्टी के उपाध्यक्ष और वैशाली सीट से पांच बार से सांसद सिंह ने कहा, ‘कई मुद्दों पर मेरे लालू के साथ मतभेद हैं.’ हालांकि उन्होंने स्पष्ट कहा‘‘ लेकिन मेरे विद्रोही बनने का कोई कारण नहीं है.’ उनकी इस टिप्पणी का काफी महत्व है क्योंकि ऐसी अटकलें थीं कि वैशाली विधानसभा सीट से अपने रिश्तेदार रघुपति सिंह को राजद का टिकट नहीं मिलने के कारण वह पार्टी छोड़ सकते हैं. रघुपति अब कांग्रेस के टिकट पर मैदान में हैं.
सिंह ने कहा कि अपने रिश्तेदार को टिकट नहीं मिलने से वह अप्रसन्न नहीं हैं क्योंकि उन्होंने उनके टिकट के लिए कभी जोर नहीं दिया.
लालू के साथ बने रहने का कारण बताते हुए सिंह ने कहा, ‘वह (लालू) सामाजिक आंदोलन का प्रतिनिधित्व कर रहे हैं और मैं इस आंदोलन के प्रति कटिबद्ध हूं.