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नीतीश कुमार की कलम से: भाजपा के तथाकथित पैकेज का सच और नरेंद्र मोदी से चार सवाल

जबरदस्त धूमधाम, ड्रामेबाजी, जुमलेबाजी और हो हल्ला के साथ मोदी जी ने बिहार के लिए एक तथाकथित 'स्पेशल पैकेज' की घोषणा की है. बस तभी से भाजपा की प्रचार मशीनरी और उनके अतिउत्साहित कार्यकर्ता, करोड़ों रुपये के सरकारी पैसे के बलबूते पर दिन-रात ये साबित करने में लगे हुए हैं कि बिहार पर एक बहुत बड़ा एहसान किया गया है.

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भाजपा के तथाकथित पैकेज पर उठाया सवाल
भाजपा के तथाकथित पैकेज पर उठाया सवाल

जबरदस्त धूमधाम, ड्रामेबाजी, जुमलेबाजी और हो हल्ला के साथ मोदी जी ने बिहार के लिए एक तथाकथित 'स्पेशल पैकेज' की घोषणा की है. बस तभी से भाजपा की प्रचार मशीनरी और उनके अतिउत्साहित कार्यकर्ता, करोड़ों रुपये के सरकारी पैसे के बलबूते पर दिन-रात ये साबित करने में लगे हुए हैं कि बिहार पर एक बहुत बड़ा एहसान किया गया है.

कई आवंटित कोष को इकट्ठा जोड़कर कहा जा रहा है कि ये स्पेशल पैकेज बिहार की तस्वीर ही बदल कर रख देगा. सच्चाई ये है कि ‘स्पेशल’ पैकेज के नाम पर जो भी प्रचारित किया जा रहा है वह और कुछ नहीं, बस एक छलावा है. सवा लाख करोड़ का जो बड़ा भारी आंकड़ा दिया गया है, असल में वह पुरानी और वर्तमान योजनाओं की स्वीकृत और भविष्य की योजनाओं के लिए स्वीकृत पैसे का महज जोड़ भर है. ये राशि तो विभिन्न मंत्रालय अलग-अलग समय पर बिहार को पहले ही आवंटित कर चुके हैं.

1.25 लाख करोड़ के इस तथाकथित स्पेशल पैकेज में 1.08 लाख रुपये यानी 87 प्रतिशत तो वह है जो पहले से लागू पुरानी सरकारी मदद और योजनाओं और वादों के तहत मंज़ूर किए जा चुके हैं. इन सबको एकसाथ कर ये दिखाने की कोशिश हो रही कि इस तथाकथित पैकेज का आकार कितना बड़ा है. इस पैकेज को बनाने वाले दरअसल हमें ये भरोसा दिलाना चाहते हैं कि ये पैकेज ढेर सारी नयी-नयी योजनाओं का गुलदस्ता है. इससे बिहार को बड़ा भारी फायदा मिलेगा. हालांकि, गौर से देखने पर उनके इन दावों का सच सामने आ रहा है. ये पैकेज ज्यादा से ज्यादा 10,368 करोड़ रुपये का अतिरिक्त संसाधन (incremental resource) बिहार को उपलब्ध कराएगा. ये पैसा भी कब मिलेगा, कैसे मिलेगा, इसका ज़िक्र ही कहीं नहीं किया गया है. इसलिए इन 10,368 करोड़ रुपये का भी राज्य के लिए कोई ख़ास मतलब फिलहाल नहीं दिखता।

अब मैं सिर्फ चार मूलभूत सवाल पूछने जा रहा हूं. मेरी नजर में ये सवाल तथ्यात्मक रूप से केंद्र सरकार द्वारा बिहार सरकार पर किये गए इस ऐतिहासिक 'एहसान' की पोल खोल देंगे.
 
1. पैकेज का वास्तविक आकर क्या है?
केंद्र सरकार और उनके लोग ये समझाना चाहते हैं कि इस स्पेशल पैकेज की कुल राशि 1.25 लाख करोड़ की है. पर ये संख्या जितनी बड़ी दिखाई देती है, ये पैकेज भी उतना ही बड़ा मज़ाक है. धोखा है. इस स्पेशल पैकेज का एक बहुत बड़ा हिस्सा यानि 1.08 लाख करोड़ रुपया वह ही पैसा है जो सन 2007 से 2015 के बीच बिहार सरकार को विभिन्न चालू योजनाओं और पूर्व स्वीकृत विकास की योजनाओं के लिए आवंटित हो चुका है. अब इसी रकम को नया फण्ड या नया निवेश कह कर भरमाया जा रहा है.

कैसे? चलिए एक उदहारण देता हूँ – ये पैकेज दावा करता है कि 54,713 करोड़ रुपये हाईवे, पुलों और रेल ओवर ब्रिज के निर्माण वगैरह पर खर्च किया जाएगा. अच्छी बात है! पर केंद्र सरकार यहां ये नहीं बता रही है कि इनमें से 47,553 करोड़ रुपये की 37 परियोजनाएं तो सरकार से पहले ही स्वीकृत हो चुकी हैं. मतलब यह कि बचे हुए 7,160 करोड़ रुपये (54,713 करोड़ रुपये की विशाल रकम का मात्र 13 प्रतिशत) ही सिर्फ चार संभावित नयी परियोजनाओं पर खर्च होगा.

2. अन्य निवेशकों (stakeholders) की तुलना में केंद्र सरकार का योगदान कितना है?
ये पैकेज मोदीजी की ख़ास कोशिशों का नतीजा बताया जा रहा है. तब यहां एक सवाल बड़ा ज़रूरी हो जाता है कि 10,368 करोड़ रुपये की इस अतिरिक्त धनराशि में अन्य निवेशकों (stakeholders) की तुलना में केंद्र सरकार कितना योगदान करेगी? साधारण शब्दों में कहें तो कितना पैसा केंद्र सरकार की तिजोरी से आएगा और कितना पैसा अन्य देंगे. यानि कितना पैसा बिहार सरकार व अन्य निजी और सार्वजनिक क्षेत्र की संस्थाओं को खर्च करना होगा? इस संबंध में कुछ भी नहीं कहा गया है. इस घोषणा के साथ ही केंद्र सरकार जानबूझ कर गलत सूचना दे रही है.

3. इस पैकेज का पूरा पैसा राज्य सरकार को मिलने की समय सीमा क्या है?
अगर इस पैकेज से बिहार को सचमुच कोई लाभ पहुंच रहा है और ये भी मान लेते हैं कि केंद्र सरकार इस पैकेज का पूरा पैसा दे रही है तो अब सवाल उठता है कि ये सारा पैसा कब तक मिल जाएगा? क्या ये पैसा एक साल के अन्दर मिलेगा? 5 साल में मिलेगा? या फिर आने वाले कई सालों में टुकड़ों-टुकड़ों में मिलता रहेगा? कहीं भी इस बात का संकेत तक नहीं दिया गया है कि वादा किया हुआ ये पैसा आखिर कब तक राज्य सरकार को उपलब्ध करा दिया जायेगा या राज्य में निवेश कर दिया जायेगा? केंद्र सरकार के अधिकारिक नोट में विशाल फंड को लेकर बड़ी-बड़ी बातें दिखती हैं. यही नहीं, ये लागू कब तक होंगी, कैसे होंगी, बिना इस पर रोशनी डालें तथ्यहीन तरीके से लोगों के सामने परोस दी गई हैं.

4. राज्य को पैकेज का लाभ मिलने का तरीका क्या होगा?
अब तक हमने पैकेज के आकार, मुख्य निवेशक/निवेशकों, और फंड पाने की समय सीमा की जांच-पड़ताल की. अब अगला तर्कसंगत सवाल हमें केंद्र सरकार से ये पूछना है कि आखिर इस फंड के मिलने का तरीका क्या होगा? या यूं कहें कि केंद्र सरकार ये पैसा कैसे खर्च करेगी? क्या वह इसे सीधे राज्य सरकार को देगी? या फिर किसी तीसरे पक्ष के माध्यम से पैसा खर्च किया जाएगा? इस सब मामले में हमें यानी आम जनता को अंधेरे में क्यों रखा जा रहा है? फंड वितरण के तौर तरीकों या राज्य सरकार तक पैकेज का लाभ पहुंचाने के बारे में भी कुछ साफ़ नहीं किया गया है.

इन्हीं सब बातों को देखते हुए मुझे जरा भी अचम्भा नहीं हो रहा है कि वित्त मंत्रालय इस विशाल धनराशि को जुटाने के लिए ज़रा भी हाथ पांव मारता नहीं दिख रहा है. यही नहीं इस राशि के बारे में वित्त मंत्री श्री अरुण जेटली के चेहरे पर भी ज़रा शिकन नहीं दिख रही है. हो भी क्यों? उन्हें इस अतिरिक्त आवंटन पर केंद्रीय बजट से एक भी धेला खर्च जो नहीं करना है.

अंत में मैं इसी नतीजे पर पहुंचा हूं कि बिहार के लिए ये जो तथाकथित स्पेशल पैकेज देने की बात की जा रही है, असल में वह एक दुष्प्रचार का पैकेज है. इसके जरिए बिना किसी तथ्य के शोर-गुल मचा, जबरन झूठे उत्साह का माहौल बनाया जा रहा है और बिहार के लोगों को भरमाया जा रहा है. ये सब असल में तथ्यों को तोड़-मरोड़ कर विकास के नाम पर लोगों को गुमराह करने की मोदीजी की एक कोशिश है, बस!

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