बिहार में विधानसभा चुनाव के मद्देनजर जेडीयू और आरजेडी के बीच सीटों के बंटवारे पर बातचीत शुरू हो चुकी है. पर्दे के पीछे चल रही इस बातचीत के असली सूत्रधार शरद यादव बने हुए हैं जो लगातार लालू प्रसाद और नीतीश कुमार से बातचीत कर रास्ता निकालने की कोशिश में हैं.
सूत्रों के मुताबिक, जीतने की क्षमता को ही सीट बंटवारे का आधार बनाया जाएगा. लेकिन खास बात यह भी है कि लालू और नीतीश में से कोई भी सीटों को लेकर अपने दावे से पीछे हटना नहीं चाहता है. समझा जा रहा है कि नीतीश कुमार जहां 120 से ज्यादा सीटों पर अपना दावा जता रहे हैं, वहीं लालू प्रसाद ने 130 सीटों पर अपना दावा ठोंक दिया है.
सीट बंटवारे को लेकर दोनों पार्टियों के बीच रस्साकसी तय मानी जा रही है क्योंकि दोनों में से कोई भी कम सीटों पर लड़ना नहीं चाहता. जबकि नीतीश कुमार अपनी सीटिंग सीट से कम पर लड़ने को तैयार नहीं हैं.
बंटवारा और महागठबंधन की गांठ
सीट बंटवारे को लेकर महागठबंधन की गांठ साफ दिखाई देने लगी है क्योंकि जिस तीन-तीन सदस्यीय टीम का गठन कर दोनों तरफ से बातचीत शुरू करने का प्रस्ताव था उस पर पानी फिर गया. अब तक दोनों तरफ तीन-तीन सदस्यों का नाम तय नहीं हो पाया, लेकिन शीर्ष नेता गठबंधन की गांठ सुलझाने बैठ गए हैं. शरद यादव लालू और नीतीश से एक राउंड बातचीत कर दिल्ली जा चुके हैं.
सूत्रों के मुताबिक, लालू प्रसाद ने शरद यादव के सामने 130 सीटों पर अपनी दावेदारी ठोक दी है और बची 113 सीटों को जेडीयू और कांग्रेस के कोटे में रखा है. हालांकि आरजेडी नेता रघुवंश प्रसाद का कहना है कि गठबंधन में कोई कंडीशन नहीं हो सकता. सबको एकदूसरे की ताकत का सम्मान करना होगा.
रघुवंश प्रसाद सिंह कहते हैं, 'देखिए हम कुछ बोलकर बदनाम नहीं होना चाहते, लेकिन अगर बढ़िया से गठबंधन नहीं हुआ और ठीक से सीट शेयरिंग नहीं हुआ तो काफी बागी खड़े होंगे. ऐसे जो हमें नुकसान करेगें. ऐसे में काफी सोच-विचार कर गठबंधन करना होगा.'
नीतीश की शरद को दो टूक
दूसरी ओर, मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने शरद यादव को बता दिया है कि पार्टी अपनी जीती हुई सीटों से कोई समझौता नहीं करेगी. यानी जेडीयू 120 से कम सीटों पर राजी नहीं है. ऐसे में शरद यादव ही दोनों पार्टी के बीच सीटों के दावे और काउंटर दावे के बीच का रास्ता निकाल रहे हैं.
समझा जा रहा है कि लालू कांग्रेस को तब तक तवज्जो नहीं देना चाहते जब तक उनकी सीटों की संख्या तय नहीं हो जाती, वहीं जेडीयू फिलहाज अपने पत्ते खोलना नहीं चाहती.
आरजेडी की नाराजगी नीतीश कुमार के अकेले पोस्टर ब्वॉय बनने पर भी है. लालू प्रसाद को लगता है कि गठबंधन ने नीतीश को नेता मान लिया है, लेकिन नीतीश कुमार सिर्फ अपनी ब्रांडिंग में लगे हुए हैं. रघुवंश प्रसाद सिंह के मुताबिक एकतरफा प्रचार से गठबंधन को नुकसान हो सकता है.