बिहार में कांग्रेस और आरजेडी का गठबंधन भले ही जमीन पर मजबूत दिखाई देता हो, लेकिन राहुल और सोनिया से लालू प्रसाद यादव की दूरी का असर राजनीतिक समीकरण बिगाड़ सकता है. दरअसल, सजायाफ्ता लालू यादव के साथ मंच साझा नहीं करने की कांग्रेस की नीति का असर कांग्रेस की उन मजबूत सीटों पर पड़ सकता है जहां मीरा कुमार और निखिल कुमार जैसे दिग्गज मैदान में हैं.
हाल ही में राहुल की तरह ही सोनिया गांधी ने भी अपनी सासाराम की सभा में लालू यादव का नाम नहीं लिया. सोनिया के ऐसा करने से लालू के समर्थकों में खासी नाराजगी है. ठीक इसी तरह औरंगाबाद में भी राहुल के मंच पर लालू तो दूर उनकी पार्टी का झंडा या बैनर तक नहीं था. हालांकि सासाराम की सभा में सोनिया ने अपने मंच पर काराकाट से आरेजडी उम्मीदवार को जगह जरूर दी, लेकिन लालू की कमी आरजेडी समर्थकों को खूब खली. सोनिया यहां मीरा कुमार के लिए चुनाव प्रचार करने आई थीं.
बीजेपी उठा रही फायदा
असल में लालू का वोट बैंक प्रदेश में कांग्रेस उम्मीदवारों के लिए संजीवनी की तरह है. ऐसा नहीं है कि कांग्रेसी इसे समझ नहीं रहे है, लेकिन पार्टी आलाकमान की नीति के आगे चुनावी गणित गायब हो गया है. दूसरी ओर, लालू और कांग्रेस की इस दूरी को भांपते हुए बीजेपी फायदा उठाने में लगी है, जबकि कांग्रेस और आरजेडी के नेता इसे तूल देने के मूड में नहीं हैं.
कांग्रेस के मुताबिक वो बड़े नेताओं का इस्तेमाल ज्यादा से ज्यादा करना चाहती है, इसलिए लालू की सभाएं सोनिया और राहुल के साथ नहीं हो रही हैं. खास बात यह है कि राहुल गांधी और सोनिया ने सिर्फ उन दो चुनावी क्षेत्रों में प्रचार किया है जहां कांग्रेस की स्थिति पहले से मजबूत है. जाहिर है ऐसे में बाकी क्षेत्रों में गठबंधन को लालू की जरूरत है और लालू की गैरमौजूदगी गठबंधन रुला सकती है.