बिहार में बीजेपी की हार पर पार्टी के वरिष्ठ नेता लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार की चौकड़ी ने मंगलवार को तीखा हमला किया. चारों नेताओं ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पार्टी अध्यक्ष अमित शाह की कार्यशैली पर गंभीर सवाल खड़े करते हुए कहा कि वो जो जीत का श्रेय लेने वाले थे, उन्हें हार की भी जिम्मेदारी लेनी चाहिए.
वरिष्ठ नेताओं ने इस ओर संयुक्त बयान भी जारी किया है. बयान में नेताओं ने बिहार में हार के लिए जिम्मेदारी तय करने की मांग की है. बयान में कहा गया है, 'यह कहना कि बिहार में हार के लिए हर कोई जिम्मेदार है, का मतलब यह है कि इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है. यह दिखाता है कि वो जो बिहार में जीतने पर श्रेय लेंगे, हारने पर भागेंगे.'
संयुक्त बयान में और क्या
- यह कहना कि बिहार में हार के लिए हर कोई जिम्मेदार है का मतलब यह है कि इसके लिए कोई जिम्मेदार नहीं है.
- यह दिखाता है कि वो जो बिहार में जीतने पर श्रेय लेंगे, हारने पर भागेंगे.
- बिहार में हार पर जिम्मेदारी तय होनी चाहिए.
- यह बताता है दिल्ली में हार के बाद भी सबक नहीं लिया गया.
- जिम्मेदारी संभालने वाले से बिहार में हुई हार की समीक्षा न करवाई जाए.
- बिहार में हार की वजहों की गंभीरता से समीक्षा होनी चाहिए.
'वरिष्ठ नेताओं की हो रही अनदेखी'
इससे पहले मंगलवार को आडवाणी ने मुरली मनोहर जोशी से उनके घर जाकर मुलाकात की है. इस मौके पर यशवंत सिन्हा, अरुण शौरी, शांता कुमार भी मौजूद थे. यशवंत सिन्हा ने कहा कि पार्टी में वरिष्ठ नेताओं की अनदेखी की जा रही है. खास बात यह है कि वरिष्ठ नेताओं की इस मुलाकात में पहले गोविंदाचार्य के भी होने की बात कही गई थी, लेकिन बाद में उन्होंने इसे खारिज कर दिया.
गोविंदाचार्य ने कहा, 'मैं ऐसी किसी मुलाकात का हिस्सा नहीं हूं. मेरा नाम ऐसी किसी मुलाकात या बैठक से नहीं जोड़ा जाए. मैं यही कहना चाहूंगा कि दोनों पक्ष आपस में मिल-बैठकर मुद्दों और मसलों का समाधान करें.'
दरअसल, यह पहली बार है जब लाल कृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, यशवंत सिन्हा और शांता कुमार ने पार्टी के अंदर से पार्टी के शीर्ष नेतृत्व पर न सिर्फ सवाल खड़े किए हैं बल्कि एक साझा बयान जारी किया है. यह इस मायने में भी महत्वपूर्ण है कि जो पार्टी केंद्र की सत्ता में बैठकर सब को साथ लेकर चलने की बात करती है, खुद उसकी पार्टी में लोग उससे नाराज चल रहे हैं.
मार्गदर्शक मंडल और मार्गदर्शन
खास बात यह भी है कि आडवाणी और जोशी दोनों बीजेपी मार्गदर्शक मंडल के सदस्य हैं और कहीं न कहीं उनकी नाराजगी इस बात को लेकर भी है कि जो कुछ हो रहा है वह मार्गदर्शन के हिसाब से चल नहीं रहा है. यशवंत सिन्हा और शांता कुमार भी पार्टी के वरिष्ठ, अनुभवी और परिपक्व नेता हैं और पहली बार जिस तरह से चारों नेताओं ने खास तौर पर बिहार में पार्टी की हार के बाद तीखे तेवर अपनाए हैं, वह प्रधानमंत्री और पार्टी अध्यक्ष के लिए परेशानी का सबब बन सकता है.
विचारधार और संगठन को लेकर सवाल
बीजेपी के भीतर नाराजगी की छिटपुट आवाज इससे पहले भी आती रही है, लेकिन पहली बार पार्टी का वरिष्ठ मंडल इस बात को लेकर मुखर हुआ है कि बिहार की हार के लिए नेतृत्व जिम्मेदार है न कि कोई जातीय समीकरण या आंकड़ों की बाजीगरी. गौर करने वाली बात यह भी है कि आडवाणी, जोशी, सिन्हा और कुमार ऐसे नेता हैं, जिन्होंने बीजेपी को बनते देखा है, संगठन के तौर पर मजबूत होते देखा है. जनसंघ के दौर से पार्टी को एक विचारधारा पर बढ़ते देखने के बाद अब शायद उन्हें इस बात की भी कोफ्त है कि मौजूदा समय में पार्टी को जिस ओर बढ़ना चाहिए, वह बढ़ नहीं रही है. संगठन को जिस तरह मजबूत होना चाहिए, वैसा कुछ हो नहीं पा रहा है.