scorecardresearch
 

बिहार में चुनाव नहीं लड़ेंगे चार 'सबसे बड़े' नेता

बिहार में विधानसभा चुनाव अब करीब दो महीने ही दूर है. चुनाव की तैयारियां और राजनीतिक घमासान अपने जोर पर है. लेकिन शीर्ष तीन दलों के चार दिग्गज इस बार चुनाव नहीं होंगे. सीएम नीतीश कुमार, पूर्व सीएम लालू प्रसाद और राबड़ी देवी समेत बीजेपी के सुशील कुमार मोदी चुनाव में कहीं से प्रत्याशी नहीं होंगे.

Advertisement
X
नीतीश कुमार, सुशील मोदी, राबड़ी देवी और लालू प्रसाद
नीतीश कुमार, सुशील मोदी, राबड़ी देवी और लालू प्रसाद

बिहार में विधानसभा चुनाव अब करीब दो महीने ही दूर है. चुनाव की तैयारियां और राजनीतिक घमासान अपने जोर पर है. लेकिन शीर्ष तीन दलों के चार दिग्गज इस बार चुनाव नहीं होंगे. सीएम नीतीश कुमार, पूर्व सीएम लालू प्रसाद और राबड़ी देवी समेत बीजेपी के सुशील कुमार मोदी चुनाव में कहीं से प्रत्याशी नहीं होंगे.

Advertisement

बात प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की हो या दो पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद और राबड़ी देवी की, सभी किसी न किसी कारण से चुनाव मैदान से दूर रहने वाले हैं. जबकि बिहार में बीजेपी के सिपहसालार सुशील मोदी भी विधानसभा चुनाव में अपनी किस्मत आजमाने की इच्छा नहीं रखते हैं.

कानूनी दांव में उलझी सियासत
बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री और आरजेडी प्रमुख लालू प्रसाद का राजनीतिक भविष्य पर कोर्ट-कचहरी का पहरा लगा है. अदालत ने अक्टूबर 2013 में लालू प्रसाद पर छह साल के लिए चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी है. मामला चारा घोटाले का है, वहीं उनकी पत्नी को पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी भी स्पष्ट कर चुकी हैं कि उनकी इच्छा सत्ता की बागडोर संभालने में सियासत में नहीं है.

राबड़ी के ऐसा कहने के पीछे परिवार की नई पीढ़ी के लिए रास्ता सुगम बनाने की बात सामने आ रही है. आरजेडी सूत्रों की माने तो लालू-राबड़ी अपने दोनों बेटों तेज प्रताप और तेजस्वी के अलावा बेटी मीसा भारती को पार्टी का सियासी चेहरा बनाना चाहते हैं. राबड़ी देवी जुलाई 1997 से मार्च 2005 तक राज्य की मुख्यमंत्री रही हैं. वह अभी विधान परिषद की सदस्य हैं.

Advertisement

नीतीश ने भी पीछे खींचे हाथ
प्रदेश के मौजूदा मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने भी स्पष्ट कर दिया है कि वह चुनाव नहीं लड़ रहे हैं. अपने 30 साल के राजनीतिक करियर में नीतीश सिर्फ एक बार चुनाव जीतने में सफल रहे हैं. हालांकि वह 1985 का दौर था, जब इंदिरा गांधी के खि‍लाफ लहर ने जनता परिवार के फसल को लहलहाने का काम किया था.

नीतीश उसके बाद से या तो सांसद रहे हैं या फिर विधान परिषद के सदस्य. हालांकि, जेडीयू में उनके करीबी कहते हैं, 'नीतीश जी किसी एक क्षेत्र से चुनाव क्यों लड़ेंगे, जबकि वो पूरे बिहार के नेता हैं. वैसे भी उनकी एमएलसी की सदस्यता 2018 में खत्म हो रही है, ऐसे में विधानसभा चुनाव लड़ने का कोई औचित्य नहीं जान पड़ता.'

सुशील मोदी का कंफर्ट जोन
राज्य में बीजेपी के सबसे बड़े नेता माने जाने वाले सुशील मोदी का किस्सा भी नीतीश कुमार से जुदा नहीं है. वह भी विधान परिषद के सदस्य हैं और उनका कार्यकाल भी 2018 में समाप्त होने वाला है. हालांकि, समर्थक चाहते हैं कि सुशील मोदी अपने पुराने विधानसभा क्षेत्र पटना सेंट्रल से चुनाव लड़ें, लेकिन बीजेपी नेता ने इस ओर कोई खास दिलचस्पी नहीं दिखाई.

एक बार उन्होंने खुद कहा था, 'मैं बतौर एमएलसी ज्यादा सहुलियत महसूस करता हूं. जब आप विधायक बनते हैं तो वोटरों की समस्याओं से दो-चार होना पड़ता है. इसका कोई अंत नहीं है. जबकि बतौर एमएलसी आप रूटीन की चीजों से बचते हैं और अपनी ऊर्जा को और सकारात्मक कार्यों में खर्च करते हैं.'

Advertisement
Advertisement