बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी की ओर से लगातार यह बयानबाजी हो रही है कि जनता इस बार गो-भक्षक या गो-रक्षक में से किसी एक को चुनेगी. लालू यादव की ओर से बीफ को लेकर दिए गए बयान पर राजनीति गर्म हुई तो रणनीति के तहत बीजेपी सबसे पहले मैदान में कूद पड़ी. जिससे चुनाव में ध्रुवीकरण की संभावना प्रबल हो गई है. लेकिन बीजेपी के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपनी ओर से ध्रुवीकरण के सवाल को बेहद कठोरता से खारिज करते हैं.
अमित शाह का कहना है , “ आप बताइए, गोमांस का मुद्दा किसने उठाया? हम पर क्यों आरोप कर रहे हैं. तुष्टिकरण करने के लिए गोमांस का मुद्दा हमने नहीं उठाया, हमने तो सिर्फ जवाब दिया.” इसी से जुड़े एक पूरक सवाल में दादरी से निकला मुद्दा बिहार चुनाव में पहंच गया तो जवाब में शाह ने कहा, “तो क्या यह मुद्दा हमने उठाया है? बीजेपी के किसी कार्यकर्ता ने उठाया क्या? गोमांस का मुद्दा हमने नहीं उठाया. अगर सामने वाला कोई बयान देगा तो जवाब देंगे.”
लेकिन गोमांस से जुड़े एक मामले में जम्मू-कश्मीर की विधानसभा में बीजेपी विधायक की ओर से निर्दलीय विधायक की पिटाई करना कौन सी संस्कृति है. तो शाह बचाव की मुद्रा में कहते हैं, “बीजेपी विधानमंडलों और संसद के सदनों में इस तरह की घटना की निंदा करती है, भर्त्सना करती है. हम इसका समर्थन नहीं करते हैं.”
बीजेपी नेताओं की भड़काऊ बयानबाजी पर नकेल क्यों नहीं कस पा रही? शाह ने इंडिया टुडे को दिए इंटरव्यू में इस सवाल के साथ-साथ आरक्षण, गोमांस, दादरी की घटना से बिहार चुनाव में ध्रुवीकरण, मोदी सरकार के कामकाज, नौकरशाही के हावी होने, कालाधन, बिहार चुनाव में परिवारवाद, बीजेपी की चुनौतियां और संगठन से जुड़े तमाम सवालों के जवाब दिए. पूरी बातचीत के लिए इंडिया टुडे के आगामी अंक की प्रतीक्षा करें.