आम चुनाव 2014 में दिल्ली की सातों सीट जीतने वाली बीजेपी के लिए मौजूदा दिल्ली विधानसभा में सरकार बनाना बेहद कठिन हो गया है. उसके मुख्यमंत्री पद के उम्मीदवार हर्षवर्धन समेत तीन विधायक लोकसभा का चुनाव जीतकर सांसद बन गए हैं. ऐसे में 70 सदस्यों वाली विधानसभा में बीजेपी का गणित 32 से घटकर 29 रह गया है. ऐसे में समझा जा रहा है कि सामाजिक कार्यकर्ता और पूर्व आईपीएस अधिकारी किरण बेदी दिल्ली में बीजेपी का चेहरा हो सकती हैं.
तीन सीटें खाली होने के बाद सरकार बनाने के लिए उपचुनाव से पहले भी कम से कम 34 विधायकों की जरूरत पड़ेगी. यानी बीजेपी को पांच विधायक और जुटाने होंगे. जबकि मौजूदा विधानसभा में आम आदमी पार्टी के 28 और कांग्रेस के 8 विधायक हैं. ऐसे में बीजेपी को अगर अन्य दो विधायकों का समर्थन मिल जाता है, तो भी पार्टी बहुमत के आंकड़े का जुगाड़ नहीं कर पा रही. ऐसे में बीजेपी की उम्मीद आम आदमी पार्टी में संभावित टूट पर है. अगर ऐसा नहीं होता है, तो बीजेपी नए सिरे से विधानसभा चुनाव कराने पर जोर देगी, क्योंकि ताजा मोदी लहर में उसे आसानी से बहुमत मिलता दिख रहा है.
लेकिन ऐसी परिस्थिति में मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार कौन होगा, यह तय करना बीजेपी के लिए आसान नहीं है. अगर हर्षवर्धन को फिर से लाया जाता है, तो बीजेपी को चांदनी चौक लोकसभा सीट से उपचुनाव के लिए एक नया चेहरा ढूंढना होगा, जो कांग्रेस और AAP को हराने की क्षमता रखता हो. अगर हर्षवर्धन को केंद्र की सरकार में जिम्मेदारी दी जाती है, तो सूत्रों के मुताबिक किरण बेदी को फिर से बीजेपी से जोड़ने की कवायद हो सकती है. खुद बेदी चुनाव नतीजों और मोदी लहर को देखते हुए ऐसे किसी प्रस्ताव को खारिज करने के बजाए सोचने के लिए तैयार होने का बयान दिया है.