भारतीय जनता पार्टी (BJP) ने आगामी विधानसभा चुनावों के लिए डॉ. हर्षवर्धन को पार्टी के मुख्यमंत्री उम्मीदवार के तौर पर पेश करने का फैसला किया है. ये जानकारी बीजेपी के वरिष्ठ सूत्रों ने दी है.
यह फैसला पार्टी द्वारा कराए गए आंतरिक और बाहरी सर्वे के नतीजों के बाद लिया गया, जिसमें विजय गोयल के नेतृत्व में आगामी चुनावों में पार्टी के प्रदर्शन में सुधार होता नहीं दिख रहा था.
सूत्रों ने बताया कि पार्टी सीएम उम्मीदवार के तौर पर साफ छवि के नेता को आगे करना चाहती है इसलिए डॉ. हर्षवर्धन को प्रोजेक्ट करने का फैसला किया गया.
आपको बता दें कि इसी साल फरवरी महीने में बीजेपी ने विजय गोयल को दिल्ली इकाई का अध्यक्ष बनाया था. उनके 8 महीने के कार्यकाल के दौरान पार्टी के अंदर बड़े स्तर पर गुटबाजी और अंदरुनी उठापटक हुई जिस वजह से बीजेपी सत्तारूढ़ कांग्रेस के एक मात्र विकल्प के तौर पर उभर कर नहीं आ सकी.
विजय गोयल का प्रयोग फेल होने के बाद, ऐसा लगता है कि बीजेपी ने मान लिया है कि दिल्ली जैसे शहरी केंद्रों में पार्टी का नेतृत्व करने वाले उम्मीदवार की छवि सबसे अहम है और इसके अलावा विजय गोयल पार्टी कार्यकर्ताओं के अंदर उत्साह भरने में भी नाकाम रहे हैं. इन सबके अलावा पार्टी के कई सीनियर नेताओं को बार-बार विजय गोयल की छवि और उनके काम करने के अंदाज के खिलाफ शिकायत मिलते रहे है.
बीजेपी द्वारा कराए गए आंतरिक सर्वे में भी पार्टी के परंपरागत वोटरों ने विजय गोयल को नकारात्मक वोट दिए. बीजेपी के वाफादार तो यहां तक मानते हैं कि फिलहाल उनकी पार्टी सत्तारूढ़ कांग्रेस के खिलाफ मजबूत चुनौती नहीं पेश कर रही.
इंडिया टुडे सी-वोटर द्वारा अगस्त 2013 में कराए गए ओपिनियन पोल के मुताबिक सीएम पद की रेस में विजय गोयल को महज 12 फीसदी वोट मिले थे जबकि राजनीति में शुरुआत करने वाले अरविंद केजरीवाल 21 फीसदी वोटों के साथ उनसे कहीं ज्यादा आगे थे. वहीं लगातार तीन बार से मुख्यमंत्री रहने के बावजूद शीला दीक्षित 40 फीसदी वोटों के साथ इस रेस में सबसे आगे बनी हुई थीं.
सूत्र ने बताया कि हर्षवर्धन के नाम का ऐलान आने वाले कुछ दिनों में होगा. विजय गोयल के करीबी नेता इस फैसले का जबरदस्त विरोध कर रहे हैं, लेकिन पार्टी का मानना है कि अगर उन्हें दिल्ली में सरकार बनाना है तो विजय गोयल को दरकिनार करने अलावा कोई विकल्प नहीं बचा. पार्टी के थिंकटैंक का मानना है कि दिल्ली की शीला सरकार के खिलाफ जनता में भारी रोष है और अगर पार्टी कांग्रेस विरोधी वोटों को अपनी ओर खींचना चाहती है तो सही उम्मीदवार प्रोजेक्ट करके यह कमाल किया जा सकता है.
अरविंद केजरीवाल और आम आदमी पार्टी को चुनावी क्षेत्रों और ओपिनियन पोल में मिल रहे जबरदस्त समर्थन से बीजेपी का नेतृत्व सखते में है. पार्टी नेतृत्व को ऐसा लगता है कि जो भूमिका बीजेपी को निभानी थी वहां पर AAP जगह बनाने में कामयाब रहा है.
इंडिया टुडे सी-वोटर ओपिनियन पोल में ये बात भी सामने आई थी कि आम आदमी पार्टी 17 फीसदी वोट हासिल करने में कामयाब हो रही है. बीजेपी का मानना है कि 'आप' को मिलने वाले ज्यादातर वोट सत्ताविराधी है जोकि बीजेपी के खाते में आने चाहिए थे.
गौरतलब है कि बीजेपी के कई वरिष्ठ नेताओं ने सामाजिक कार्यकर्ता किरण बेदी को भी दिल्ली लोकसभा सीट की पेशकश की थी पर उन्होंने इस पेशकश को यह कहते ठुकरा दिया कि वह अराजनीतिक ही रहना चाहती हैं.
कौन हैं डॉक्टर हर्षवर्धन
दिल्ली बीजेपी के लिए डॉ. हर्षवर्धन का नाम किसी परिचय का मोहताज नहीं है. पूर्वी दिल्ली की कृष्णानगर सीट से विधायक हर्षवर्धन इस सीट से लगातार चार बार जीत दर्ज कर चुके हैं. 1993 में पहली बार जीतकर विधानसभा पहुंचे और उन्हें दिल्ली के स्वास्थ्य मंत्री की जिम्मेदारी मिली. पेशे से डॉक्टर हर्षवर्धन का स्वास्थ्य मंत्री के तौर पर कार्यकाल आज भी याद किया जाता है.
2008 में विधानसभा चुनावों के वक्त डॉ. हर्षवर्धन बीजेपी अध्यक्ष थे. तब उनके मुख्यमत्री पद के उम्मदीवार के तौर पर प्रोजेक्ट करने की पूरी उम्मीद थी लेकिन ऐन मौके पर पार्टी ने विजय मल्होत्रा को सीएम उम्मीद्वार घोषित कर दिया था. डॉ. हर्षवर्धन की छवि साफ सुथरे और ईमानदार नेता की है. संघ की पसंद और जेटली-गडकरी का समर्थन उन्हें बीजेपी की तरफ से सीएम पद के उम्मीदवार के तौर पर घोषित होने में मददगार हो सकता है.