पंचायत आज तक में एनसीपी नेता तारिक अनवर ने कहा कि बिहार में मुस्लिम वोट लिया गया लेकिन मुस्लिम नेताओं का विकास नहीं हुआ. तो वहीं, बीजेपी नेता साबिर अली ने कहा कि मोदी सरकार मुसलमानों के हितों के लिए काम कर रही है. आरजेडी नेता मोहम्मद अली अशरफ फातमी ने बीजेपी की नीतियों पर सवाल उठाए.
बिहार के मुसलमानों का विकास नहीं हुआ है क्योंकि उसकी लीडरशिप फेल हुई?
तारिक अनवरः एक बात से हम सहमत हैं. मुस्लिम वोट लिया गया लेकिन मुस्लिम लीडरों का ग्रोथ नहीं होने दिया. लीडरशिप की बात होती है तो उसे दरकिनार कर दिया जाता है. उनको लीडरशिप नहीं देने का...
ओवैसी जी एक और मुद्दा उठा रहे थे. आर्थिक पैमाने पर मुसलमान अन्य समुदायों से पिछड़ा क्यों है. उन्होंने वोट लिए लेकिन विकास का काम नहीं किया.
मोहम्मद अली अशरफ फातमीः लालू जी जब पहली बार बिहार के मुख्यमंत्री हुए तो आठ मुस्लिम मंत्री थे उनके कैबिनेट में. जहां तक लालू-राबड़ी युग की बात करूं तो मुसलमानों को आबादी के हिसाब से टिकटें दी गईं और विकास की बात है तो सच्चर कमेटी की रिपोर्ट के अनुसार सबसे बढ़िया स्थिति थी नौकरी के मामले में कर्नाटक और आंध्र प्रदेश के बाद बिहार का स्थान था. उस दौरान मुसलमानों के साथ ईमानदारी से पेश आया गया.
बिहार पहला राज्य था जहां इंदिरा आवास के तहत गरीबों को स्थान दिया गया. मुसलमानों की हालत बहुत खराब थी. अगर आप नीतीश कुमार की सरकार को शामिल कर लें तो आज ऐसा कोई मुस्लिम गांव नहीं है जहां स्कूलें, सड़कें नहीं पहुंची है. नीतीश जी हर कब्रिस्तान की घेराबंदी तक कर रहे हैं. आज पांच जगहों पर अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी के लिए किशनगंज में 300 एकड़ से अधिक जमीन मुहैया कराई.
साबिर अलीः मदरसे की बाउंड्री हो गई. आज मुसलमानों की बातें करते हैं. मुसलमान बहुल क्षेत्रों में आज भी सड़कें नहीं हैं. आज टिकट का बंटवारा हो रहा है लेकिन क्या आज किसी भी एक नेता का नाम
साबिर अलीः जब तक राजनीति में जम्हूरियत की सरकार में भागीदारी नहीं होगी तो हिस्सेदारी नहीं बढ़ेगी. धर्मनिरपेक्षता का अर्थ क्या ये है कि मस्जिदों में भैंसे बांध दी जाएं. लालू जी ने ऐसा कहा था.
युवा पीढ़ी ओवैसी जैसे नेता की ओर मुखातिब हो रही है. वो उन्हें सुनना चाहती है.
अली अनवर अंसारीः आजादी के समय से मुस्लिम लीग की सियासत चली तो यहां के मुस्लिमों ने जिन्ना जैसों को नाको चने चबाने पर मजबूर कर दिया. बिहार का चुनाव ये साबित कर देगा. बिहार की जनता उब गई है. वो बदलाव और नया नेता चाहती है.
तारिक अनवरः हम भी ऐसा ही कह रहे हैं. यह बुनियादी सवाल है. सवाल भागीदारी का है. हम भिखमंगे नहीं हैं, हमें भागीदारी चाहिए. मुस्लिम वोट मजबूरी का वोट है, वो जाएगी कहां. फातमी साहब को भी पता है उनकी पार्टी में हैसियत क्या है.
फातमीः मुस्लिम वोट बैंक नहीं है. इसके लिए जिम्मेदार मीडिया है. बराबर की हिस्सेदारी है. हां, जिनकी पॉलिसी अच्छी होती है. जिनका काम अच्छा होता है. पहले नेहरू, इंदिरा के साथ थे.
क्या आपने नब्बे के दशक में माई की राजनीति नहीं की?
फातमीः हमने कभी माई की राजनीति नहीं की. हमने गरीबों की बातें की. ये मीडिया क्रिएशन है. माई का लफ्ज मीडिया क्रिएशन है. भारतीय जनता पार्टी दंगाई है. आपने क्या कभी ये चर्चा की कि बिहार की तरक्की कैसे होगी. आप 25 सालों से डराने की राजनीति कर रहे हैं. कांग्रेस, लालू यादव और तथाकथित सेक्युलर नेताओं की वजह से आज मुसलमानों की वो स्थिति है जो दिख रही है. मुसलमानों को भारतीय जनता पार्टी की राजनीति में बढचढ़ कर भागीदार बनना चाहिए फिर हिस्सेदारी की मांग करनी चाहिए. 1977 के बाद 1982 में भारतीय जनता पार्टी पूरे देश में मुखर हो कर दिखने लगी.
तारिक अनवर जी, क्या आप त्रिशंकु विधानसभा चाहते हैं? जिससे आपकी राजनीति चलती रहे.
नीतीश जी को 8 साल के बाद सेक्युलरिज्म का ख्याल आया. उनका करियर बीजेपी के साथ साथ चला. उनका व्यक्ति विशेष से मतभेद है.
वोटर आपको वोट क्यों दे?
फातमीः हमारी पार्टी की विचार धारा सबको साथ लेकर चलने का है.
अंसारीः जो बदजुबानी और बदकलामी बंद करेगा उसे वोट मिलेगा.
तारिक अनवरः धर्मनिरपेक्षता को लोग अपने फायदे के लिए इस्तेमाल कर रहे हैं.
साबिर अलीः दौर नया, हालात नए. मुसलमान बच्चे के एक हाथ में कुरान तो दूसरे में कंप्यूटर हो ये नरेंद्र मोदी जी की सोच है.
मुसलमानों को टिकटें कितनी मिलेगी?
साबिर अलीः पार्टी का टिकट मैं तय नहीं करता हूं. लेकिन पार्टी ये तय करेगी.
फातमीः हमारा गठबंधन अधिक से अधिक देगा.