scorecardresearch
 

हरियाणा और महाराष्ट्र में बीजेपी सरकार बनाने को लेकर आश्वस्त

चुनावों के ठीक पहले महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ बीजेपी का 25 साल पुराना गठबंधन भले ही टूट गया हो, लेकिन बीजेपी ने इस झटके को संभाल लिया. एकला चलो के सिद्धांत को अमलीजामा पहनाते हुए बीजेपी ने पीएम को आगे रख हरियाणा में भी 'चलों चलें मोदी' के साथ नारा दिया.

Advertisement
X
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी

चुनावों के ठीक पहले महाराष्ट्र में शिवसेना के साथ बीजेपी का 25 साल पुराना गठबंधन भले ही टूट गया हो, लेकिन बीजेपी ने इस झटके को संभाल लिया. एकला चलो के सिद्धांत को अमलीजामा पहनाते हुए बीजेपी ने पीएम को आगे रख हरियाणा में भी 'चलों चलें मोदी' के साथ नारा दिया.

Advertisement

यहां जानिए विधानसभा चुनाव के आखिरी चरणों में बीजेपी ने ऐसा किया कि पार्टी दोनों राज्यों में बनाने को लेकर आश्वस्त है.

लोकसभा चुनावों में मिली अपार सफलता के बाद पीएम मोदी की पहली परीक्षा की घड़ी आई, तो पूरी पार्टी को लगा कि मोदी की लोकप्रियता को भुनाने के सिवा और कोई चारा नहीं. संघ की मंजूरी लेकर पार्टी टी-20 वाली रणनीति के साथ मैदान में उतर गई.

मोदी ने महाराष्ट्र में 27 और हरियाणा में 10 रैलियां कीं. पार्टी अध्यक्ष अमित शाह महाराष्ट्र और हरियाणा में 20-20 रैलियां कर उनसे पीछे नहीं रहे. इसके साथ ही गृहमंत्री राजनाथ सिंह ने महाराष्ट्र में 12 रैलियां कीं, तो सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने 104 सभाएं कीं. कुल मिला कर बीजेपी ने महाराष्ट्र में 715 सभाएं की.

स्थानीय लोगों को निराशा हाथ ना लगे इसके लिए मोदी हों या फिर कोई और वरिष्ठ नेता, हर सभा में मंच पर स्थानीय नेताओं को ही रखा गया.

Advertisement

देश भर से पार्टी नेताओं और कार्यकर्ताओं को दोनों राज्यों में झोंक दिया गया. संघ और बीजेपी कार्यकर्ताओं के साथ साथ पार्टी के महासचिवों और तमाम केन्द्रीय मंत्रियों को भी प्रचार और संगठन को दुरुस्त करने और निगरानी करने के काम में लगाया गया था.

रैलियों के साथ बीजेपी ने महाराष्ट्र में 8, 10 और 12 विधानसभा सीटों के क्लस्टर भी बनाए गए. हर क्लस्टर का जिम्मा एक वरिष्ठ नेता को सौंपा गया. महाराष्ट्र में ऐसे 50 और हरियाणा में 10 क्लस्टर बने. बीजेपी ने ये सुनिश्चित किया कि हर विधानसभा सीट पर एक वरिष्ठ केन्द्रीय नेता या फिर मोदी सरकार का कोई मंत्री मौजूद रहे.

चुनाव प्रचार के दौरान हर विधानसभा सीट पर तीन स्तरीय निगरानी का तंत्र काम कर रहा था. एक स्थानीय नेता के साथ साथ एक केन्द्रीय नेता भी लगा था. ताकि निगरानी में गड़बड़ी की कोई आशंका नहीं रहे.

बीजेपी ने प्रचार के लिए बने डिजिटल रथों में जीपीएस भी लगवाया ताकि इसका दुरुपयोग ना हो. महाराष्ट्र में ऐसे 86 रथ बने, जिन्होंने एक दिन में 10 से ज्यादा जगहों पर बीजेपी का प्रचार किया और राज्य में 8000 के करीब स्थानों पर गए. पार्टी ने इस बात का खंडन किया कि उम्मीदवारों की गाड़ी में जीपीएस लगाए गए थे.

Advertisement

सूत्रों की माने तो बीजेपी महाराष्ट्र के नेता अरसे से शिवसेना से संबंध तोड़ लेने की बात कर रहे थे. इसलिए जब रास्ते अलग हुए तब हर इलाके में कार्यकर्ता तैयार थे. यानि संघ के साथ और मोदी के सहारे पार्टी को लग रहा है कि अब तो दोनों राज्यों में नैय्या पार लग ही जाएगी.

Advertisement
Advertisement