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BJP मेनिफेस्टो: राम मंदिर के नाम पर भड़की पार्टियां, पर दिग्गी ने ढूंढा 'शुभ संकेत'

बीजेपी भले ही अपने चुनावी मेनिफेस्टो पर इतरा रही हो, लेकिन दूसरी पार्टियों ने इसकी कड़ी आलोचना की है. इस अहम दस्तावेज में राम मंदिर की वापसी से कांग्रेस और सीपीएम भड़क गए हैं. हालांकि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने यह जरूर कहा कि बीजेपी जैसी पार्टी ने मदरसों की मदद की बात कही है तो यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है.

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Digvijay Singh on BJP Manifesto
Digvijay Singh on BJP Manifesto

बीजेपी भले ही अपने चुनावी मेनिफेस्टो पर इतरा रही हो, लेकिन दूसरी पार्टियों ने इसकी कड़ी आलोचना की है. नई दिल्ली में सोमवार को बीजेपी ने लगभग सभी वरिष्ठ नेताओं की मौजूदगी में अपना घोषणा जारी किया. इस अहम दस्तावेज में राम मंदिर की वापसी से कांग्रेस और सीपीएम भड़क गए हैं. हालांकि कांग्रेस नेता दिग्विजय सिंह ने यह जरूर कहा कि बीजेपी जैसी पार्टी ने मदरसों की मदद की बात कही है तो यह लोकतंत्र के लिए शुभ संकेत है.

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मदरसों की मदद के वादे से दिग्विजय खुश!
दिग्विजय ने राम मंदिर के मुद्दे पर बीजेपी को आड़े हाथों लिया. उन्होंने कहा, 'मुझे मालूम था, इन लोगों में राम के प्रति निष्ठा नहीं. केवल राम के नाम का प्रचार किया और उसका राजनीतिक उपयोग किया.' दिग्विजय ने हाल ही में आए कोबरा पोस्ट के स्टिंग का जिक्र करते हुए कहा, 'आप कोबरा पोस्ट का स्टिंग देखेंगे, तो उसमें VHP नेता कह रहे हैं कि जब तक कुछ हिंदू नहीं मरेंगे, तब तक इस आंदोलन में जान नहीं आएगी. 2004 में इन्होंने कहा था कि विशाल मंदिर बनाया जाएगा, फिर बात करनी छोड़ दी. पर मुझे खुशी है कि बीजेपी जैसी पार्टी भी मदरसों को मदद की बात कर रही है, तो यह देश के लिए शुभ संकेत है.'

BJP ने कह दिया अटल को अलविदा: JDU
कभी बीजेपी की सहयोगी रही जेडीयू ने भी 'हिंदुत्व हार्डलाइन' के मुद्दों को घोषणा पत्र में शामिल करने की निंदा की है. जेडीयू महासचिव केसी त्यागी ने कहा, 'आज का दिन अटल युग की समाप्ति का दिन है. अब से 16 साल पहले उन्होंने देश से वायदा किया था कि जो विवादित मुद्दे हैं, मसलन, राम जन्मभूमि विवाद, धारा 370, यूनिफॉर्म सिविल कोड, उन्हें मेनिफेस्टो में नहीं रखेंगे. लेकिन बीजेपी ने आज दोबारा इन मुद्दों को जोड़ अटल को अलविदा कह दिया. इस घोषणापत्र में बिहार को विशेष दर्जे का कोई जिक्र नहीं है.'

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उनका असली चेहरा उजागर: CPI
वामपंथी पार्टी सीपीआई के नेता गुरुदास दासगुप्ता ने कहा कि इस घोषणा पत्र में राम मंदिर का मुद्दा जोड़कर बीजेपी ने अपने असली रंग दिखा दिए हैं. उन्होंने कहा, 'वो अपना हिंदू वोट मजबूत करना चाहते हैं. मगर यही उनका सांप्रदायिक चेहरा है. ये एक चेतावनी है उन लोगों के लिए, जो सोचते हैं कि नरेंद्र मोदी मजबूत नेता हैं और देश चला सकते हैं.'

कांग्रेस नेता राशिद अल्वी ने कहा कि बीजेपी संविधान के मुताबिक मंदिर की बात कर रही है, तो इससे किसे इनकार है. फिर वह 20 साल से किस बात का झगड़ा कर रहे हैं. बीजेपी को बताना चाहिए कि क्या संविधान मस्जिद तोड़कर मंदिर बनाने की इजाजत देता है?

'मंदिर बनाएंगे, तारीख नहीं बताएंगे'
मायावती की पार्टी ने भी राम मंदिर को चुनावी मुद्दा बनाने का विरोध किया है. पार्टी नेता सुधींद्र भदौरिया ने बीजेपी पर तंज करते हुए कहा, 'इसमें भी कह रहे हैं कि हम राम मंदिर बनाएंगे, पर लोगों से बातचीत करने के बाद. जो पुराने लोग हैं, वह जानते हैं, वही नारा है कि रामलला हम आएंगे, मंदिर वहीं बनाएंगे. पर तारीख नहीं बताएंगे. इनका असली मुखौटा अमित शाह और वसुंधरा राजे हैं.'

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